बैठे ठाले: कोटा फैक्टरी में कालिया

“यह सोचकर खुश होना चाहिए कि आने वाले कल के मुकाबले हम आज सुखी हैं क्योंकि कल पेट्रोल 100 के पार चला जाएगा!”

By Sorit Gupto
Published: Monday 10 May 2021

एक सुसज्जित हॉलनुमा कमरा था। बहुत बड़ी टेबल के दूसरी ओर मिलिटरी वर्दी में एक आदमी बैठा था। उसके सामने तीन-चार लोग बैठे थे। दीवारों से सटी कुर्सियों पर भी लोग बैठे थे। फिर भी कमरे में सन्नाटा था। पेश है खबरें तफसील से...

आप इस वक्त राजस्थान के विख्यात कोचिंग नगरी कोटा के सुविख्यात कोचिंग सेंटर, गब्बर कोचिंग इंस्टिट्यूट के मालिक के आलीशान दफ्तर में हैं। कमरे में पसरे सन्नाटे को तोड़ते हुए मालिक पूछते हैं, “क्यों रे साम्भा! हमने इंजीनियरिंग के तैयारी की फीस कितनी रखी है?”

साम्भा सर विनम्रता से जवाब देते हैं, “पूरे पचास लाख सरदार!”

टेबल के दूसरी ओर बैठे कुछ लोगों की ओर इशारा कर मालिक चीखते हैं, “और ये ऑल इंडियन काउंसिल ऑफ टेक्निकल एजुकेशन के एक्सपर्ट कह रहे हैं कि इंजीनियरिंग पढ़ने के लिए फिजिक्स, मैथ्स वगैरह की जरूरत नहीं है? बहुत नाइंसाफी है! फिजिक्स और मैथ्स के बल पर ही हम अभिभावकों से रुपए एंठते हैं, इसी के बल पर हम अपना गिरोह…... मेरा मतलब है कोचिंग चला रहे हैं। मैंने अपने रिटायरमेंट का जुगाड़ तो इलेक्टोरल बांड में इन्वेस्ट करके कर लिया है।”

मालिक साहब अब टीचर लोगों की ओर देखते हुए कहते हैं, “तेरा क्या होगा रे कालिया?” यह सुनते ही कालिया उर्फ जीतू भैया उठ खड़े हुए। उन्होंने गला खंखार कर कहना शुरू किया, “आदरणीय गब्बर सर और उपस्थित एक्सपर्ट, इंजीनियरिंग के लिए मैथ्स का ज्ञान बहुत जरूरी है क्योंकि मैथ्स के बिना यह हिसाब लगाना बहुत मुश्किल हो जाएगा कि किस अधिकारी को कितनी घूस देनी है। मैथ्स के बगैर हमारे छात्र कैसे हिसाब लगाएंगे कि एक बोरी सीमेंट में कितनी “फ्लाई-एश” की मिलावट की जाए। ऐसे में तो पूरा कामकाज ठप्प हो जाएगा। देश की प्रगति रुक जाएगी!”

कालिया की दलील सुनकर एक एक्सपर्ट ने कहा, “हमने तो यह पॉइंट सोचा ही नहीं था। हम वापस मैथ्स को इंजीनियरिंग के सिलेबस में ले लेते हैं पर फिजिक्स पढ़ने का कोई मतलब नहीं है।”

जीतू भैया उर्फ कालिया सर ने अपना वक्तव्य जारी रखा, “अब हम फिजिक्स के महत्व पर बात रखेंगे। फिजिक्स के सिद्धांतों के बगैर हम एक कदम नहीं चल सकते। गति के नियमों को ही ले लीजिए। लॉ ऑफ इनर्शिया हमें बताता है कि बड़े ऑर्डर जिन्हें मिलते आए हैं, उन्हीं को मिलते रहेंगे जब तक कि कंसर्न्ड अथॉरिटी पर कोई एक्सटर्नल फोर्स अर्थात विभाग के मंत्री को उचित पार्टी फंड देकर दबाव न डाला जाए। गति का तीसरा नियम कहता है कि एवरी एक्शन हैज इक्वल एंड अपोजिट रिएक्शन अर्थात हम जिस कार्पोरेट सेक्टर को औने–पौने दाम पर जितने रेलवे-एलआईसी-बैंक बेचेंगे, वह उसी अनुपात में हमें पार्टी फंड देगा। थर्मोडाइनॅमिक्स बताता है कि एक व्यवस्था के रूप में भ्रष्टाचार केवल अपने रूप बदलता है। वह अनादि, अनंत है। वह खत्म नहीं हो सकता।”

वह आगे बताते हैं, “न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत हमें सिखाता है कि पैसा सबको अपनी ओर आकर्षित करता है। पैसे का खिंचाव नहीं रहेगा तो भला छात्र किसलिए इंजीनियर बनेंगे? आइन्स्टाइन के सापेक्षता का सिद्धांत हमें सिखाता है कि आज की तुलना में हम बीते हुए कल में सुखी थे क्योंकि पेट्रोल 100 रुपए के नीचे था। आज जो लोग पेट्रोल के 100 रुपए लीटर होने पर रो रहे हैं, दरअसल उन्हें यह सोचकर खुश होना चाहिए कि आने वाले कल के मुकाबले हम आज सुखी हैं क्योंकि कल पेट्रोल 100 रुपए के पार चला जाएगा!” यह सुनने ही उपस्थित एक्सपर्ट वाह! वाह कर उठे। उनमें से एक ने कहा, “हम तुरंत इंजीनियरिंग के सिलेबस में मैथ्स और फिजिक्स को सम्मिलित कर रहे हैं।”

Subscribe to Weekly Newsletter :