कम वजन की समस्या से सबसे अधिक ग्रस्त हैं दक्षिण एशिया के युवा: आईएफएडी

आईएफएडी द्वारा किये अध्ययन के अनुसार हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले अधिकांश युवा अपने कम वजन को लेकर परेशान हैं, लेकिन उनमें मोटापे और बढ़ते वजन की समस्या भी बढ़ती जा रही है

By Lalit Maurya
Published: Friday 15 November 2019

एशिया पैसिफिक रीजन, जहां पहले से ही बच्चों में कुपोषण गंभीर स्तर पर पहुंच चुका है । वहां अब एक नयी समस्या अपने पैर पसार रही है, वो है युवाओं में कम वजन का होना । गौरतलब है कि इस क्षेत्र में उन युवाओं की सबसे बड़ी आबादी बसती है, जो अपने कम वजन की समस्या से ग्रस्त हैं। हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय कृषि विकास कोष (आईएफएडी) द्वारा जारी ग्रामीण विकास रिपोर्ट 2019 में यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है ।

 रिपोर्ट में चेताया गया है कि युवाओं में विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में कुपोषण की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है, जोकि विकास के लिए एक बड़ी चुनौती है । साथ ही इसमें यह भी कहा गया है कि जिस तरह दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बाधित कर रहा है, उसके चलते कुपोषण की स्थिति और गंभीर हो सकती है । गौरतलब है कि ग्रामीण क्षेत्रों में युवाओं की अधिकांश आबादी बसती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि, "दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया के युवाओं में कम वजन की समस्या सबसे अधिक देखने को मिली है। इस क्षेत्र में बसने वाली लगभग एक तिहाई युवा आबादी का वजन औसत से कम है।"

दक्षिण एशिया में कम वजन वाले युवाओं की संख्या 0.34 फीसदी है। जो की विश्व में सबसे अधिक है, जबकि दक्षिण पूर्व एशिया में दूसरी सबसे अधिक दर 0.28 फीसदी है| हैरानी की बात है कि इसी समय, दुनिया भर में विशेषकर एशिया-प्रशांत क्षेत्र में युवाओं का वजन अधिक बढ़ रहा है। जैसे-जैसे हमारे आहार और भोजन-व्यवस्था में बदलाव आ रहा है, उससे कुपोषण से जुडी नई चुनौतियां सामने आ रही हैं। जिसमें बढ़ता मोटापा और अधिक वजन की समस्या प्रमुख है। रिपोर्ट के अनुसार यह समस्या पूर्वी एशिया में अधिक विकराल हो गयी है, जहां ग्रामीण क्षेत्रों में आ रहा बदलाव इसके लिए मूल रूप से जिम्मेदार है।

आईएफएडी की यह रिपोर्ट विशेष तौर पर ग्रामीण युवाओं पर केंद्रित है। इसके विश्लेषण के अनुसार, ग्रामीण युवाओं में घटते पोषण की एक बड़ी वजह, युवाओं में निरंतर बढ़ रही गरीबी है। इसमें यह भी बताया है कि ऐसा नहीं है जिन देशों में युवाओं की बड़ी आबादी है वो गरीब नहीं हैं। जैसा कि अन्य रिपोर्ट भी बताती हैं, वहां बच्चों में भी पोषण की भारी कमी है। हालांकि ऐसा नहीं है कि इन देशों में बच्चों के बीच बढ़ रहे कुपोषण से निपटने के लिए ध्यान नहीं दिया जा रहा, ऐसा लगता है कि युवाओं में बढ़ रहे कुपोषण के चलते इसकी दर और बढ़ रही है। इसके अलावा जीवन शैली में आ रहे बदलाव और खान-पान में हो रहे परिवर्तन के कारण इन्ही युवाओं में मोटापे और वजन बढ़ने की समस्या बढ़ रही है।

ग्रामीण विकास रिपोर्ट 2019 में एशिया-प्रशांत क्षेत्र के संदर्भ में कहा है कि, "ग्रामीण विकास और बदलाव सम्बन्धी निवेश को विशेष रूप से ग्रामीण युवाओं पर पड़ रही कुपोषण की इस दोहरी मार को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया जाना चाहिए।" चूंकि विकासशील देशों में बसने वाली ग्रामीण युवाओं का लगभग 60 फीसदी आबादी एशिया-प्रशांत क्षेत्र में रहती है, इसलिए इस क्षेत्र के बेहतर कल के लिए विशिष्ट और प्रभावी नीतियों और तत्काल निवेश की जरुरत है।

भविष्य में कुपोषण की यह दोहरी मार और अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाएगी क्योंकि इन क्षेत्रों में युवाओं की आबादी लगातार बढ़ रही है। आंकड़े दर्शाते हैं कि वर्तमान में दुनिया भर में 120 करोड़ की युवा आबादी में से लगभग 100 करोड़ विकासशील देशों में बसते हैं। साथ ही इस वर्ग (15 से 24 वर्ष) की जनसंख्या में हो रही ज्यादातर वृद्धि गरीब और कम विकसित देशों में ही केंद्रित है।

आईएफएडी के एसोसिएट वाईस प्रेजिडेंट और इस रिपोर्ट के प्रमुख पॉल विंटर्स ने बताया कि "हमें इस क्षेत्र में तेजी से हो रहे बदलावों और ग्रामीण क्षेत्रों में आ रहे परिवर्तनों में युवाओं की भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए और कार्य करने की जरूरत है । अगर हम ऐसा नहीं कर पाए तो हम यहां बसने वाले लाखों युवाओं को गरीबी से जूझता छोड़ देंगे।"

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