अनिल अग्रवाल डायलॉग: जलवायु परिवर्तन की वजह से बढ़ रही हैं जूनोटिक बीमारियां

मनुष्यों में 60 फीसदी से अधिक संक्रामक रोगों के लिए जंगली जीव जिम्मेवार हैं और इनसे हर साल 30 लाख लोगों जान चली जाती है

By Rohit Prashar
Published: Wednesday 02 March 2022
राजस्थान के निमली स्थित अनिल अग्रवाल एनवायरमेंट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में पहले दिन जूनोटिक बीमारियों के बढ़ते प्रकोप पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। फोटो: विकास चौधरी

दुनियाभर में फैलने वाले संक्रामक रोगों के पीछे सबसे प्रमुख कारण जूटोटिक है। जूनोटिक बीमारियों की वजह से दुनिया भर में हर साल 30 लाख लोगों की जानें चली जाती हैं।

सेंटर फॉर सांइस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) की ओर से आयोजित अनिल अग्रवाल डायलॉग 2022 के दौरान विशेषज्ञों ने कोरोना महामारी समेत जूनोटिक बीमारियों के बारे में विस्तार से बताया।

सीएसई के सतत खाद्य प्रणाली के कार्यक्रम निदेशक अमित खुराना ने जानकारी देते हुए बताया कि जूनोटिक बिमारियों का खतरा जलवायु परिवर्तन के कारण और अधिक बढ़ गया है। उन्होंने बतााया कि मनुष्यों में 60 फीसदी से अधिक संक्रामक रोग जूनोटिक हैं।

इसके अलावा उन्होंने अपनी प्रेजेटेंशन में आंकड़ों समेत जानकारी दी कि जूनोटिक की वजह से 2.6 अरब लोग प्रभावित होते हैं और हर साल इसकी वजह से 30 लाख लोगों की जान चली जाती है।

उन्होंने कहा कि पर्यावरण और वायरस के बीच गहरा संबंध है, इसलिए पर्यावरण संरक्षण की दिशा में तेजी से काम करना होगा।

डायलॉग के दौरान मंगला हॉस्पीटल एडं रिसर्च सेंटर के एफआईएपी डायरेक्टर और बाल रोग विशेषज्ञ विपिन एम वशिष्ठ ने पर्यावरण के वायरस और बीमारियों के उपर प्रभावों के बारे में कहा।

उन्होंने जूनोटिक बीमारियों के इतिहास के बारे में विस्तार से बताया इसके वर्तमान परिस्थतियों में अधिक तेजी से बढ़़ने की जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि अब जलवायु परिवर्तन बड़ी तेजी से हो रहा है और वायरस के पोषित होने और इसके फैलने के लिए परिस्थितियां अनुकुल होती जा रही हैं।

उन्होंने कहा कि अनियोजित शहरीकरण, औद्योगिकीकरण, प्रदूषण, खेती रसायनों और खेती के अप्राकृतिक तरीकों की वजह से जलवायु परिवर्तन तेजी से बढ़ रहा है।

उन्होंने कहा कि यदि पृथ्वी का तापमान 3 डिग्री तक बढ़ता है तो इससे मौसम में बदलाव आएगा, बाढ़ और सूखे की घटनाएं बढ़ेंगी साथ ही जूनोटिक बीमारियों में बेतहाशा बढ़ोतरी होगी। इसलिए हमें समय रहते संभल जाना चाहिए और वातावरण को बचाने के साथ भविष्य में फैलने वाली महामारियों के लिए अर्ली वार्निंग सिस्टम और हैल्थकेयर सुविधाओं को बेहतर करना चाहिए।

नई दिल्ली स्थित सीएसआईआर इंस्टीट्यूट ऑफ जिनोमिक्स एडं इंटीग्रेटिव बायोलॉजी के निदेशक डॉ अनुराग अग्रवाल ने जीनोम सिक्वेंसिंग के बारे में बताया कि वायरस कैसे फैलते हैं और इनका कैसे पता लगाया जा सकता है।

उन्होंने संक्रामक रोगों की रोकथाम और इनसे निपटने की तैयारियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इसके अलावा अमेरिका के द यूसी डेविस वन हेल्थ इंस्टीट्यूट के रिसर्च फैकल्टी डॉ प्रणव पंडित ने संक्रामक बीमारियों के लिए एक ऐसे निगरानी प्रणाली की जरूरत बताई, ताकि उससे समय पर संक्रामक बीमारियों के बारे में सही जानकारी को न सिर्फ प्रसारित किया जा सके। बल्कि इसके साथ लोगों में संक्रामक रोगों के बारे में जागरूकता भी फैलाई जा सके। 

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