अफ्रीका-एशिया में टीबी से पीड़ित पांच में से चार लोगों को नहीं होती लगातार खांसी

अफ्रीका और एशिया में 6,00,000 से अधिक लोगों के आंकड़ों का विश्लेषण किया और पाया कि टीबी से पीड़ित 82.8 फीसदी लोगों को लगातार खांसी नहीं थी और 62.5 फीसदी को बिल्कुल भी खांसी नहीं थी

By Dayanidhi
Published: Thursday 14 March 2024
फोटो साभार: सीएसई

दुनिया के सबसे घातक संक्रमण टीबी या तपेदिक के 80 फीसदी से अधिक रोगियों को लगातार खांसी नहीं होती है, इसके बावजूद इसे बीमारी के प्रमुख लक्षण के रूप में देखा जाता है। संक्रमण मुख्य रूप से खांसने से फैलता है, लेकिन हो सकता है यह केवल सांस लेने से भी फैलता हो।

एम्स्टर्डम यूएमसी और एम्स्टर्डम इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ एंड डेवलपमेंट के नेतृत्व में किए गए शोध ने अफ्रीका और एशिया में 6,00,000 से अधिक लोगों के आंकड़ों का विश्लेषण किया और पाया कि तपेदिक से पीड़ित 82.8 फीसदी लोगों को लगातार खांसी नहीं होती थी और 62.5 फीसदी को बिल्कुल भी खांसी नहीं थी। ये परिणाम द लैंसेट इंफेक्शियस डिजीज में प्रकाशित हुए हैं

एम्स्टर्डम यूएमसी में ग्लोबल हेल्थ के प्रोफेसर और एआईजीएचडी में सीनियर फेलो फ्रैंक कोबेलेंस कहते हैं, हमारा शोध इसके पीछे के कारण बताता है कि बीमारी की जांच और उपचार के भारी प्रयासों के बावजूद, पूरे अफ्रीका और एशिया में तपेदिक या टीबी का बोझ शायद ही कम हो रहा है। हम पहले से जानते थे कि 1.06 करोड़ लोगों के बीच एक बड़ा अंतर था जो इससे बीमार पड़ते हैं। उन्होंने कहा 2022 में स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा तपेदिक के 75 लाख मामले दर्ज किए गए थे।

कोबेलेंस ने कहा, लगातार खांसी अक्सर जांच के लिए प्रवेश बिंदु होती है, लेकिन अगर टीबी से पीड़ित 80 फीसदी लोगों में खांसी नहीं होती है, तो इसका मतलब है कि जांच  बाद में होगी, हो सकता है तब जब संक्रमण कई अन्य लोगों तक फैल चुका हो या बिलकुल न हो।

अध्ययन में 12 देशों में राष्ट्रीय निगरानी योजनाओं के परिणामों का विश्लेषण किया गया और पाया गया कि खांसी की कमी के साथ-साथ, टीबी से पीड़ित एक चौथाई से अधिक लोगों में कोई लक्षण नहीं थे, ये दोनों लक्षण पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक आम पाए गए। इसके अलावा अध्ययन से पता चला कि बिना खांसी वाले एक चौथाई लोगों के थूक में बैक्टीरिया की मात्रा अधिक होती है और वे हो सकता है अत्यधिक संक्रामक होते हों।

कोबेलेंस कहते हैं, जब हम इन सभी कारणों को ध्यान में रखते हैं, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि हमें वास्तव में टीबी से पीड़ित लोगों की पहचान करने के बड़े पहलुओं पर पुनर्विचार करने की जरूरत है। यह स्पष्ट है कि वर्तमान शोध, विशेष रूप से सबसे अधिक संसाधन-गरीब की परिस्थितियों में बड़ी संख्या में  टीबी के मरीज छूट जाएंगे। इसके बजाय हमें एक्स-रे स्क्रीनिंग और नए सस्ते और उपयोग में आसान परीक्षणों के विकास पर गौर करना चाहिए।

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