मंकीपॉक्स की जांच के लिए भारत की पहली स्वदेशी किट लांच, अब तक 10 मामलों की पुष्टि

प्राप्त जानकारी के मुताबिक यह ट्रांसएशिया-एरबा मंकीपॉक्स आरटी पीसीआर किट बेहद संवेदनशील, लेकिन इस्तेमाल करने में आसान है

By Lalit Maurya
Published: Saturday 20 August 2022

दुनियाभर में मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों के बीच देश में एक अच्छी खबर सामने आई है। इस वायरस की जांच के लिए देश में पहली स्वदेशी किट लॉन्च की गई है। इस रियल-टाइम पीसीआर-बेस्ड किट की मदद से मिनटों में संक्रमण का पता चल जाएगा। इस किट को गत शुक्रवार को आंध्रप्रदेश में लॉन्च किया गया है।

गौरतलब है कि इस किट को ट्रांसएशिया बायो मेडिकल्स ने विकसित किया है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक यह ट्रांसएशिया-एरबा मंकीपॉक्स आरटी पीसीआर किट बेहद संवेदनशील, लेकिन इस्तेमाल करने में आसान है।

इसके बारे में ट्रांस-एशिया के फाउंडर सुरेश वजीरानी द्वारा साझा जानकारी से पता चला है कि इस किट की एक्यूरेसी काफी अच्छी है। साथ ही इसकी मदद से मंकीपॉक्स के संक्रमण का जल्द से जल्द पता लगाया जा सकेगा।

वहीं देश में इस बीमारी के खतरे को देखते हुए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) मंकीपॉक्स रोगियों के संपर्क में आने वाले लोगों में एंटीबॉडी का पता लगाने के लिए जल्द एक सीरो-सर्वे कर सकता है।

साथ ही आईसीएमआर यह भी पता लगा सकती है कि उनमें से कितनों में संक्रमण के लक्षण नहीं हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अब तक यह पता नहीं चल सका है कि ऐसे लोगों का अनुपात कितना है, जिनमें वायरल संक्रमण के लक्षण नहीं दिखे हैं।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वैश्विक स्तर पर बढ़ते मामलों को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) इस बीमारी को 23 जुलाई 2022 को एक ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया था। वहीं इसके बाद बढ़ते प्रकोप के चलते अमेरिका ने भी इसे पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया है।

94 देशो में अब तक सामने आ चुके हैं 41 हजार से ज्यादा मामले

अमेरिका के सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) द्वारा जारी आंकड़ों को देखें तो 19 अगस्त तक 94 देशों में इस बीमारी के 41,358 मामले सामने आ चुके हैं। गौरतलब है कि इनमें से 40,971 मामले उन देशों में सामने आए हैं जहां पहले कभी यह बीमारी नहीं पाई गई थी।

आंकड़ों की मानें तो अमेरिका में 14,594, स्पेन में 5,792, जर्मनी में 3,266, यूके में 3,081, ब्राजील में 3,359 और फ्रांस में 2,889 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। वहीं भारत में भी अब तक 10 मामले सामने आए हैं, जबकि एक व्यक्ति की इस बीमारी से मौत हो चुकी है। वैश्विक स्तर पर भी यह बीमारी अब तक 12 लोगों की जान ले चुकी है।

डब्लूएचओ के अनुसार इस बीमारी के फैलने की वजह मंकीपॉक्स नामक वायरस है, जो पॉक्सविरिडे परिवार के ऑर्थोपॉक्स वायरस जीनस का एक सदस्य है। यह वायरस पहली बार 1958 में रिसर्च के लिए रखे गए बंदरों में पाया गया था। हालांकि इसके संक्रमण का पहला मामला 1970 में दर्ज किया गया था।

इसके बीमारी के बारे में डब्ल्यूएचओ का कहना है कि मंकीपॉक्स जोकि एक जूनोटिक बीमारी है इसके लक्षण आमतौर पर 2 से 4 सप्ताह तक रहते हैं उसके बाद यह खुद ब खुद ठीक होते जाते हैं।

हालांकि कुछ मामलों में इसका संक्रमण जानलेवा भी हो सकता है, लेकिन यदि हाल के दिनों में इसकी मृत्यु दर के अनुपात को देखें तो वो करीब 3 से 6 फीसदी के बीच है।

अब तक प्राप्त जानकारी के मुताबिक इससे संक्रमित व्यक्ति को तेज बुखार के साथ-साथ त्वचा पर चकत्ते पड़ने लगते हैं जो चेहरे से शुरू होकर हाथ, पैर, हथेलियों और तलवों तक हो सकते हैं।

साथ ही इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति में मांसपेशियों में दर्द, थकावट, सिरदर्द, गले में खराश और खांसी जैसे लक्षण भी दिख सकते हैं। वहीं कुछ लोगों में आंख में दर्द या धुंधलापन, सांस लेने में कठिनाई, सीने में दर्द जैसी दिक़्क़तें भी हो सकती हैं।

आप मंकीपॉक्स के बारे में ज्यादा जानकारी और ताजा अपडेट डाउन टू अर्थ के मंकीपॉक्स ट्रैकर से प्राप्त कर सकते हैं।

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