पहला भाग : ओमिक्रॉन की दस्तक है एक लंबी महामारी का संदेशा, लेकिन क्यों ?

कोविड-19 का लगातार तीसरा वर्ष शुरू हो चुका है, दुनियाभर में कोविड के नए वैरिएंट ने चिंता बढ़ा दी है। पिछली बार की तरह ही मामलों की रफ्तार भी तेज हो चली है, आखिर हमारा क्या होगा ?

वैश्विक महामारी कोविड-19 का तीसरा साल एक नए वेरिएंट के साथ शुरू हुआ है। ठीक वैसे ही जैसे दूसरे वर्ष की शुरुआत में डेल्टा वेरिएंट आया था। डेल्टा इस महामारी के घातक लहर का कारण बना, लेकिन ओमिक्रॉन नाम का नया वेरिएंट अधिक प्रसार योग्य है और इम्यूनिटी से खुद को बचा ले जाने में सक्षम बताया जा रहा है। इसका अर्थ है कि इस बार दुनिया को एक लंबी महामारी के लिए तैयार रहना चाहिए

दुनियाभर में कोविड-19 महामारी के दो साल पूरे होने के वक्त एक खामोशी थी। कुछ लोगों ने तो यह उम्मीद भी जगानी शुरू कर दी थी कि शायद कोविड के अंत की शुरुआत हो चुकी है। एक सदी पहले स्पैनिश फ्लू महामारी (1918-20) ने ऐसा ही रूझान दिखाया था। तब भी यह फ्लू अपने दूसरे वर्ष के अंत में कम हो गया था। लेकिन यह खत्म नहीं हुआ था। एक और साल तक इसका असर जारी रहा था। कुछ ऐसे ही संकेतों के साथ कोविड-19 नवंबर 2021 में अपने तीसरे वर्ष में प्रवेश कर रहा है। इसी के साथ दुनियाभर में नए मामलों और मौतों में लगातार वृद्धि हो रही है।

हालांकि, कोई भी महामारी हमेशा किसी खास ढर्रे पर नहीं चलती। उसका उभार रोगजनक (रोग पैदा करने वाले कारक) के उत्परिवर्तन (रूप परिवार्तन) पर निर्भर करता है। जब दुनिया राहत की उम्मीद कर रही थी, तब कोविड-19 का कारण बनने वाला वायरस सार्स-सीओवी -2 अपना रूप बदल रहा था। इस बदलाव के संकेत सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में दिखे, जो कोविड-19 की संख्या में मौजूदा बढ़ोतरी की व्याख्या करते हैं।

19 नवंबर से पहले के सप्ताह में दक्षिण अफ्रीका में एक दिन में सिर्फ 200 से 300 केस आ रहे थे। दक्षिण अफ्रीकी प्रांत गौतेंग में कोविड-19 मामलों में जबरदस्त वृद्धि दर्ज की जा रही है। गौतेंग ने जुलाई 2021 में भी डेल्टा वेरिएंट लहर का सामना किया था और यहां की 60-80 प्रतिशत आबादी ने सीरोलॉजी परीक्षण में एंटीबॉडी दिखाना शुरू कर दिया था। लेकिन 21 नवंबर से 28 नवंबर के बीच गौतेंग में कोविड-19 मामलों में 360 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई, जिसने वैज्ञानिकों को चौंका दिया।

19 नवंबर को देश के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कम्युनिकेबल डिजीज (एनआईसीडी-एसए) ने इसका कारण जानने के लिए जीनोमिक निगरानी बढ़ाने का फैसला किया। 23 नवंबर को एक निजी प्रयोगशाला ने वायरस के छह जीनोम प्रस्तुत किए। आरटी-पीसीआर परीक्षण में इस्तेमाल इन जीनोम की जांच में से एक में विफलता की सूचना मिली। एक विशिष्ट जेनेटिक फ्रैगमेंट की मौजूदगी का पता लगाने के लिए यह जांच की जाती है और इसकी विफलता बताती है कि जीन गायब (मिसिंग) है। यह स्थिति वायरस के स्वरूप में बदलाव की ओर इशारा करती है। 24 नवंबर को गौतेंग के 30 क्लीनिकों से जमा किए गए 100 अन्य नमूनों की जीनोटाइपिंग की गई थी, ताकि यह जांचा जा सके कि वायरस उत्परिवर्तित (स्वरूप परिवर्तन) हो रहा था या नहीं। उसी दिन, दक्षिण अफ्रीका में सार्स-सीओवी-2 के एक नए संस्करण का पता चला। इसे ओमिक्रॉन नाम दिया गया, जो अब तक के वायरस का सबसे बड़ा उत्परिवर्तित रूप है। इसके 50 म्यूटेशन में से 32 स्पाइक प्रोटीन से लैस हैं। अधिक उत्परिवर्तन का अर्थ है, अधिक संप्रेषणीयता (प्रसार) और प्रतिरक्षा कवच से खुद को बचा ले जाने की उच्च संभावना। 26 नवंबर को ओमिक्रॉन को “वेरिएंट ऑफ कंसर्न” (वीओसी) नाम दिया गया। यानी, एक ऐसा वेरिएंट जो पहले के वेरिएंट की तुलना में अधिक संक्रामक, घातक और टीकों के खिलाफ अधिक प्रतिरोधी है। गौतेंग में अकेले दक्षिण अफ्रीका में सक्रिय मामलों का 52 प्रतिशत हिस्सा है। विशेषज्ञों द्वारा इस वृद्धि को ओमिक्रॉन से जोड़ा गया है। हालांकि, इस नए वेरिएंट की भूमिका को सत्यापित करने के लिए महामारी विज्ञान अध्ययन अभी भी चल ही रहे हैं।

एनआईसीडी-एसए ने पाया कि जिन लोगों का ओमिक्रॉन टेस्ट पॉजिटिव था, उनमें कोई असामान्य लक्षण नहीं थे। इनमें भी अधिक थकान, सूखी खांसी, बुखार, मांसपेशियों में दर्द और रात में पसीना आना जैसे सामान्य लक्षण ही पाए गए थे। महामारी विज्ञानी और सेंटर फॉर एड्स प्रोग्राम ऑफ रिसर्च इन साउथ अफ्रीका (कैप्रिसा) के निदेशक, सलीम एस अब्दुल करीम ने 30 नवंबर को एक प्रेस वार्ता में कहा, “हम इस बात से चकित हैं कि संख्या कितनी तेजी से बढ़ रही है।”

1 दिसंबर को एनआईसीडी-एसए ने आधिकारिक तौर पर घोषणा की कि देश ओमिक्रॉन वेरिएंट की वजह से कोविड-19 की चौथी लहर में प्रवेश कर चुका है। दो सप्ताह के भीतर दक्षिण अफ्रीका ने कोविड-19 मामलों में तेज वृद्धि देखी। गौतेंग के तशवाने जिले में 21-27 नवंबर के बीच संक्रमण की संख्या 8,569 थी, जो 28 नवंबर से 4 दिसंबर के बीच बढ़कर 41,921 हो गई।

साउथ अफ्रीका मेडिकल रिसर्च सेंटर में एड्स और टीबी रिसर्च के कार्यालय निदेशक फरीद अब्दुल्ला द्वारा प्रिटोरिया में स्टीव बीको/ तशवाने जिला अस्पताल परिसर के कोविड-19 रोगियों के अनुभव का एक विस्तृत विश्लेषण मौजूदा लहर की स्थिति बताता है। हालांकि एनआईसीडी ने कहा है कि जिले में लगभग सभी मामले ओमिक्रॉन के कारण थे लेकिन अस्पताल इस बात की पुष्टि नहीं कर सका। 4 दिसंबर को एसएएमआरसी की वेबसाइट पर प्रकाशित एक लेख में, अब्दुल्ला एक “तार्किक धारणा” देते हुए लिखते हैं कि ये मामले नए वेरिएंट के कारण हैं और इसका इस्तेमाल इसकी विशेषताओं को समझने के लिए किया जा सकता है। अब्दुल्ला कहते हैं कि 14-29 नवंबर के दौरान, करीब 166 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनमें से 10 की मृत्यु 2 दिसंबर से पहले के दो सप्ताहों में हुई। मृतकों में से चार की आयु 26 से 36 वर्ष के बीच थी, पांच की उम्र 60 से अधिक थी और एक बच्चा था, जिसकी मौत का कारण कोविड-19 नहीं था। अस्पताल में मृत्यु दर 6.6 प्रतिशत थी, जो पिछली सभी लहरों के दौरान देखी गई 23 प्रतिशत से काफी कम थी। वह कहते हैं, “यह पिछले 18 महीनों में अस्पताल में होने वाली मौतों के अनुपात के अनुकूल है, जो 17 प्रतिशत था।” उन्होंने कहा कि 3 दिसंबर से मृत्यु दर बढ़ सकती है, क्योंकि बीमारी की गंभीरता स्पष्ट होती जाएगी। अस्पताल में भर्ती होने की औसत अवधि भी पिछले 2 सप्ताह में कम हो गई। यह पिछले 18 महीनों के 8.5 दिनों से घट कर यह 2.8 दिन ही रह गई।

2 दिसंबर तक अस्पताल के कोविड-19 वार्ड में 42 लोग थे, जिनमें से 29 को ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत नहीं थी। ये इमरजेंसी मामले थे। उन्हें वायरस के कारण भर्ती नहीं किया गया था, बल्कि अस्पताल के प्रोटोकॉल के अनुसार, जांच किए जाने पर ये पॉजिटिव पाए गए थे। अब्दुल्ला कहते हैं, “ऑक्सीजन पर निर्भर शेष 13 मरीजों में से 9 (21 प्रतिशत) में कोविड-19 निमोनिया था।” शेष चार को कोविड-19 से अलग अन्य स्थितियों के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता थी।

यही ट्रेंड दूसरे अस्पतालों में भी देखने को मिला। 3 दिसंबर को जोहान्सबर्ग के हेलेन जोसेफ अस्पताल में 37 रोगियों में से 31 को ऑक्सीजन की आवश्यकता नहीं थी, जबकि प्रिटोरिया के डॉक्टर जॉर्ज मुखरी अकादमिक अस्पताल में 80 रोगियों में से केवल 14 ऑक्सीजन और एक वेंटिलेटर पर थे।

अब्दुल्ला कहते हैं, “यह एक ऐसी तस्वीर है जो पिछली लहरों में नहीं देखी गई थी। पिछली तीनों लहर के दौरान मरीज (जो जीवित रह सकते थे) कोविड-19 वार्ड में कमरे की हवा पर थे और ये रोगी आमतौर पर ठीक होने की प्रतीक्षा करते रहे।” इसके अलावा, 2 दिसंबर तक हाई-केयर-वार्ड में केवल चार मरीज थे और एक गहन देखभाल में था। पिछली लहरों के मुकाबले यह संख्या काफी कम थी। अस्पताल के कोविड-19 वार्ड में 38 वयस्कों में से 24 का टीकाकरण नहीं हुआ था, छह को टीका लगाया गया था, जबकि बाकी की स्थिति अज्ञात थी। अब्दुल्ला कहते हैं कि नए वेरिएंट ने कम आयु वर्ग को लक्षित किया है। 19 नवंबर से 2 दिसंबर के बीच नए मरीजों में से कम से कम 80 प्रतिशत तक 50 वर्ष से कम आयु के थे। संक्रमित लोगों में से अधिकांश (28 प्रतिशत) 30 से 39 वर्ष की आयु, जबकि 19 फीसदी 0-9 वर्ष की आयु के थे। अब्दुल्ला का तर्क है कि ऐसा इस क्षेत्र में टीकाकरण कवरेज के कारण हो सकता है। 50 से ऊपर के 57 प्रतिशत लोगों ने कम से कम एक खुराक प्राप्त की है, 18-49 आयु वर्ग के लिए यह आंकड़ा सिर्फ 34 प्रतिशत है।

वहीं, ओमिक्रॉन ने बहुत ही तेज रफ्तार के साथ दुनियाभर में पैर फैलाना शुरू कर दिया है। कई तरह के कयास भी कोविड के इस वैरिएंट के साथ जुड़ गए हैं।  

अगली कड़ी में पढ़िए कितना तेज है ओमिक्रॉन ... 

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