भुवनेश्वर में पर्यावरण मानदंडों का उल्लंघन कर रहा है होटल प्रेसीडेंसी, क्या की गई कार्रवाई, कोर्ट ने पूछा सवाल

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

By Susan Chacko, Lalit Maurya
Published: Thursday 12 January 2023
फोटो: विकास चौधरी

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को जानकारी दी गई है कि भुवनेश्वर में होटल प्रेसीडेंसी के पानी के नमूनों में जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग (बीओडी), कुल निलंबित ठोस (टीएसएस) के साथ-साथ कोलीफॉर्म का भी उच्च स्तर दर्ज किया गया है। हालांकि इन दोनों परीक्षण रिपोर्टों में मानक या नियामक सीमाएं नहीं बताई गई हैं। इस बारे में एनजीटी की ईस्टर्न जोन बेंच ने आश्चर्य व्यक्त किया है कि ऐसे में कैसे अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता और बोर्ड विश्लेषक ने इस रिपोर्ट पर हस्ताक्षर किए हैं।

अदालत ने अपने आदेश में ओडिशा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव को अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता और बोर्ड के विश्लेषक के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का निर्देश भी दिया है, जिन्होंने इन जल विश्लेषण रिपोर्टों पर हस्ताक्षर किए हैं। साथ ही उन्हें भविष्य में परीक्षण रिपोर्ट तैयार न करने के लिए कड़ी चेतावनी भी दी है।

गौरतलब है कि ओडिशा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के हलफनामे में 25 नवंबर, 2022 का एक पत्र भी शामिल किया गया है जिसमें उल्लेख किया गया है कि वहां पानी के नमूनों में बीओडी और मल कोलीफॉर्म के उच्च स्तर पाया गया है। इस बाबत एनजीटी ने सवाल किया है कि संबंधित होटल के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है।

भुवनेश्वर विकास प्राधिकरण ने अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि होटल प्रेसीडेंसी अपने पानी और सीवेज को तूफानी जल नाले में छोड़ रहा है और ऐसे में अदालत ने एसपीसीबी को यह सत्यापित करने के लिए कहा है कि होटल का एसटीपी काम कर रहा है या नहीं। आदेश में कहा गया है, "चार साल से अधिक समय बीत चुका है और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वर्तमान रिपोर्ट से भी पता चलता है कि संबंधित होटल पर्यावरण मानदंडों का उल्लंघन कर रहा है।"

ढेंकानाल में केवल 11.85 लाख रुपये की बैंक गारंटी के आधार पर स्पंज आयरन यूनिट को कैसे दे दी गई अनुमति

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 9 जनवरी 2023 को ओडिशा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है, जिसमें जानकारी  मांगी गई है कि 29 अक्टूबर, 2021 को मैसर्स जीएम आयरन एंड स्टील कंपनी लिमिटेड को क्लोजर नोटिस जारी किए जाने के बाद अनुमति देने से पहले एक नया निरीक्षण किया गया था या नहीं।

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के 28 जनवरी, 2022 को दिए आदेश के अनुसार उद्योग अपनी पूरी क्षमता के साथ काम करेगा। वहीं एनजीटी की पूर्वी क्षेत्र बेंच के न्यायमूर्ति बी अमित स्थालेकर की पीठ ने पूछा है कि विवादित उद्योग को केवल 11.85 लाख रुपये की बैंक गारंटी के आधार पर संचालित करने की अनुमति क्यों दी गई?  गौरतलब है कि पूरा मामला ओडिशा के ढेंकानाल जिले में मैसर्स जीएम आयरन एंड स्टील कंपनी लिमिटेड की एक स्पंज आयरन इकाई से जुड़ा है जो पर्यावरणीय मानदंडों के उल्लंघन से सम्बंधित है।

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने तालाब को ढंक उसपर बना दी सड़क, एनजीटी ने मांगी रिपोर्ट

किरंज गांव में तालाब के ऊपर सड़क निर्माण और गुरुग्राम के हाजीपुर में वन क्षेत्र में पेड़ों की कटाई के मामले में एनजीटी ने 11 जनवरी 2023 को एक संयुक्त समिति गठित करने का निर्देश दिया है। मामला गुरुग्राम का है। साथ ही कोर्ट ने समिति को साइट का दौरा करने के साथ प्रासंगिक जानकारी एकत्र करने और इस विषय पर एक विस्तृत तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए भी कहा है। 

गौरतलब है कि आवेदक प्रेम मोहन गौड़ ने कोर्ट को बताया है कि इस सड़क का निर्माण भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा किया जा रहा है और गुरुग्राम नहर से जुड़े एक एलिवेटेड नए राष्ट्रीय राजमार्ग-148एनए में सड़क का निर्माण करते समय एनएचएआई के अधिकारियों ने एक तालाब को ढक दिया है।

यह तालाब हरियाणा तालाब अपशिष्ट जल प्रबंधन प्राधिकरण अधिनियम, 2018 के तहत अधिसूचित है। साथ ही कोर्ट को जानकारी मिली है कि हरियाणा वन विभाग की सामाजिक वानिकी योजना के अंतर्गत आने वाले गुरुग्राम के हाजीपुर गांव में वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 का उल्लंघन करते हुए वन क्षेत्र में पेड़ों की अवैध कटाई भी की गई है।

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