ओडिशा में प्रस्तावित ईको-सेंसिटिव जोन से केवल 0.76 किमी की दूरी पर हो रहा है अवैध खनन

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

By Susan Chacko, Lalit Maurya
Published: Friday 16 December 2022

रिपोर्ट से पता चला है कि क्योंझर में एक प्रमुख खनन क्षेत्र हदागढ़ वन्य जीव अभ्यारण्य की सीमा से केवल 1.26 किलोमीटर ही दूर है। इतना ही नहीं इसकी और प्रस्तावित ईको-सेंसिटिव जोन की सीमा से दूरी करीब 0.76 किलोमीटर तथा प्रस्तावित टाइगर कॉरिडोर से केवल 1.18 किलोमीटर दूर है।

यह बातें क्योंझर के कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट द्वारा दायर संयुक्त जांच रिपोर्ट में सामने आई हैं। मामला उड़ीसा के क्योंझर का है।

ऐसे में समिति ने सिफारिश की है कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा इको-सेंसिटिव जोन की अंतिम अधिसूचना तक उक्त क्षेत्र में किसी भी प्रकर की खनन गतिविधियों की अनुमति न दी जाए। इस मामले में आनंदपुर के तहसीलदार यह सुनिश्चित करेंगें कि साइट को अलग करके इलाके में कोई अवैध खनन संबंधी गतिविधियां नहीं होनी चाहिए।

रिपोर्ट में यह भी सिफारिश की गई है कि वन विभाग को भूजल को रिचार्ज करके क्षेत्र को फिर से जीवंत करने के लिए उपचारात्मक उपाय के रूप में मिट्टी और नमी संरक्षण सम्बन्धी कार्यों को करने की आवश्यकता है। गौरतलब है कि यह रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा 6 सितंबर, 2022 को दिए आदेश पर कोर्ट में सबमिट की गई है।

तीन महीनों में पेन्नैयार जल विवाद न्यायाधिकरण के गठन की प्रक्रिया को पूरा करे केंद्र: सर्वोच्च न्यायालय

सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को पेन्नैयार जल विवाद न्यायाधिकरण के गठन की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए तीन महीने का समय दिया है। मामला कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच चल रहे विवाद से जुड़ा है। गौरतलब है कि केंद्र ने इसके लिए सर्वोच्च न्यायालय से छह महीनों का समय मांगा था।

केंद्र की दलील थी कि "पेन्नैयार जल विवाद न्यायाधिकरण की जानकारी के लिए प्रस्ताव" को संबंधित मंत्री द्वारा अनुमोदित किया जाना है और उसके बाद एक कैबिनेट नोट तैयार किया जाना है।

इस कैबिनेट नोट में ट्रिब्यूनल के गठन और पदों (अध्यक्ष और मूल्यांकनकर्ताओं) के सृजन के लिए भी मंजूरी मांगी जाएगी। इस कैबिनेट नोट को अनुमोदन के बाद, गृह मंत्रालय, कानून और न्याय, वित्त और प्रधान मंत्री के अधिकारी को उनकी राय जानने के लिए भेजा जाएगा, जिन्हें कैबिनेट नोट में भी शामिल किया जाएगा। इसके बाद इसका कानूनी पुनरीक्षण, कानून और न्याय मंत्रालय द्वारा किया जाना है और फिर इसके लिए गजट अधिसूचना जारी की जाएगी।

गोवा को डंप माइनिंग संबंधी गतिविधियों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दी अनुमति

विशेषज्ञ समिति द्वारा 12 अप्रैल, 2015 को सबमिट रिपोर्ट की सिफारिश के अनुसार आवेदक को डंप माइनिंग करने की अनुमति देने के लिए प्रार्थना करते हुए गोवा राज्य द्वारा आवेदन दायर किया गया था। जैसा कि उक्त आवेदन का कोई विरोध नहीं किया गया था। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के अनुसार राज्य सरकार को डंप माइनिंग संबंधी गतिविधियों के लिए अनुमति देने को तैयार है।

यह आदेश, 13 दिसंबर 2022 को जस्टिस बी आर गवई और विक्रम नाथ की पीठ द्वारा पारित किया गया है। गोवा सरकार ने दिसंबर 2021 को राज्य में माइनिंग डंप से कचरे को हटाने के लिए एक नीति जारी की है, जिसमें भारतीय खान ब्यूरो द्वारा परिभाषित अयस्क के थ्रेसहोल्ड मूल्य से नीचे के सभी खनिज शामिल हैं।

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