90 फीसदी से ज्यादा ‘आयल स्लीक्स’ के लिए जिम्मेवार है इंसान, समुद्री जीवों के लिए है बड़ा खतरा

'आयल स्लीक्स' के करीब आधे मामले तटों के लगभग 25 मील के दायरे में पाए गए, जबकि 90 फीसदी का दायरा 100 मील से ज्यादा नहीं था

By Lalit Maurya
Published: Wednesday 13 July 2022
थाईलैंड के आओ फ्राओ बीच पर आयल स्लीक्स को साफ करती रॉयल थाई नेवी और स्थानीय स्वयंसेवकों की टीम; फोटो: फ्रीपिक डॉट कॉम

अमेरिका और चीनी वैज्ञानिकों की एक टीम ने जानकारी दी है कि समुद्रों में 90 फीसदी से ज्यादा ‘आयल स्लीक्स’ के लिए हम इंसान ही जिम्मेवार हैं। जो समुद्री इकोसिस्टम और वहां रहने वाले जीवों के लिए बड़ा खतरा है। वैज्ञानिकों को इस बारे में उस समय पता चला था जब वो महासागरों में बढ़ते तेल प्रदूषण की मैपिंग कर रहे थे।

आयल स्लीक्स के यह आंकड़े पिछले अनुमानों से कहीं ज्यादा हैं। इससे पहले वैज्ञानिकों का मानना था कि वैश्विक स्तर पर करीब 50 फीसदी आयल स्लीक्स के लिए इंसान जिम्मेवार हैं, जबकि बाकी प्राकृतिक स्रोतों से वातावरण में फैल रहा है।

देखा जाए तो 'आयल स्लीक्स' समुद्र की सतह पर फैली तेल की बहुत महीन परत होती है। जो बड़े पैमाने पर होते तेल रिसाव के कारण समुद्री सतह पर फैल जाती है। इसके अलावा तेल की यह परत अन्य इंसानी कारणों और प्राकृतिक स्रोतों से भी लगातार पैदा होती रहती है।

इसके बारे में फ्लोरिडा स्टेट यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ अर्थ, ओशियन एंड एटमॉस्फेरिक साइंस के प्रोफेसर और शोध से जुड़े वैज्ञानिक इयान मैकडोनाल्ड का कहना है कि इन निष्कर्षों के बारे में जो बात सबसे ज्यादा हैरान करने वाली है वो यह है कि जितनी बार भी हमने समुद्र में फैले इस तेल का पता लगाया इसकी वजह जहाजों और पाइपलाइनों के साथ समुद्र तल में प्राकृतिक स्रोतों से होता रिसाव था। इसके साथ ही उद्योगों और आबादी की वजह से समुद्रों में छोड़ा जा रहा सीवेज भी कहीं न कहीं इनआयल स्लीक्स की वजह है।

जर्नल साइंस में प्रकाशित इस शोध के मुताबिक थोड़े समय के लिए रहने वाले तेल के यह चकते हवा और धाराओं की वजह से लगातार इधर उधर होते रहते हैं। वहीं लहरें उन्हें लगातार तोड़ती रहती हैं जिससे इनकी जांच में कठिनाई होती है।

अपने इस विश्लेषण के लिए वैज्ञानिकों ने 2014 से 2019 के बीच उपग्रही रडारों से प्राप्त 560,000 से ज्यादा छवियों की जांच की है। पुराने तेल प्रदूषित स्थानों, सीमा और संभावित स्रोतों का पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने आर्टिफिशल इंटेलिजेंस की भी मदद ली है।

समुद्री जीवों और इकोसिस्टम के लिए बड़ा खतरा है यह फैला हुआ तेल

देखा जाए तो समुद्र में फैले तेल की छोटी से छोटी मात्रा भी प्‍लैंकटनों पर बड़ा प्रभाव डाल सकती है। यह अति-सूक्ष्‍म जीव वहां समुद्री खाद्य प्रणाली का आधार हैं, जिनपर मछलियों से लेकर कई जीवों का जीवन निर्भर करता है। वहीं गहराई में रहने वाले अन्य समुद्री जीव जैसे व्हेल और समुद्री कछुए जब सांस लेने के लिए सतह पर आते हैं तो वो इस आयल स्लीक्स का शिकार बन जाते हैं।

शोध में जो निष्कर्ष सामने आए हैं उनसे पता चला है कि ज्यादातर आयल स्लीक्स तटों के पास पाए गए हैं। इनमें से करीब आधे तटों के लगभग 25 मील के दायरे में थे, जबकि 90 फीसदी का दायरा 100 मील से ज्यादा नहीं था। इतना ही नहीं आयल स्लीक्स की 2 फीसदी से भी कम घटनाएं खुले समुद्र में मौजूद तेल उत्पादक क्षेत्रों के आसपास पाई गई थी, लेकिन आयल स्लीक्स के उच्च घनत्व वाले 21 अलग-अलग क्षेत्र शिपिंग मार्गों के साथ-साथ मेल खाते हैं।

इस बारे में शोध और यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ फ्लोरिडा से जुड़े वैज्ञानिक चुआनमिन हू का कहना है कि "सैटेलाइट से ली तस्वीरें समुद्र में तेल प्रदूषण की निगरानी के लिए एक कुशल और बेहतर तरीका प्रदान करती है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां इंसानों की पहुंच मुश्किल है।"

वैज्ञानिकों को दुनिया के अन्य क्षेत्रों की तुलना में मैक्सिको की खाड़ी में तेल प्लेटफार्मों के पास अपेक्षाकृत कम ‘आयल स्लीक्स’ मिले हैं जो दर्शाता है कि यह अमेरिका द्वारा आयल प्लेटफॉर्म ऑपरेटरों के लिए बनाए कड़े नियमों और उनके पालन का ही नतीजा है, वहां तेल के रिसाव के कम मामले सामने आए हैं।

ऐसे में मैकडोनाल्ड का कहना है कि हम इससे सीख ले सकते हैं और इसी तरह नियमों को उन जगहों पर लागु कर सकते हैं जहां इस तरह की घटनाएं ज्यादा दर्ज की गई हैं। इससे स्थिति में व्यापक बदलाव आ सकता है।

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