इंजीनियरों ने प्लास्टिक के कचरे को जेट ईंधन में बदलने की नई तकनीक बनाई

शोधकर्ताओं ने 90 फीसदी प्लास्टिक को एक घंटे के भीतर जेट ईंधन और अन्य मूल्यवान हाइड्रोकार्बन उत्पादों में बदल दिया।

By Dayanidhi
Published: Tuesday 18 May 2021
Photo : Wikimedia Commons

प्लास्टिक प्रदूषण का असर सबसे अधिक पर्यावरण पर पड़ रहा है। दुनिया भर में हाल के समय में डिस्पोजेबल प्लास्टिक उत्पादों का तेजी से उत्पादन बढ़ा है। बेकार पड़ा प्लास्टिक दुनिया भर में रीसाइक्लिंग करने की क्षमता से कहीं अधिक है।

अब इस समस्या से निजात पाने के लिए वाशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने प्लास्टिक को जेट ईंधन और अन्य मूल्यवान उत्पादों में बदलने का एक अनूठा तरीका विकसित किया है। जिससे दुनिया भर में प्रदूषण फैला रहे, बेकार पड़े प्लास्टिक का पुन: उपयोग करना आसान और अधिक प्रभावी हो गया है। 

शोधकर्ताओं ने अपनी इस प्रक्रिया के तहत 90 फीसदी प्लास्टिक को एक घंटे के भीतर जेट ईंधन और अन्य मूल्यवान हाइड्रोकार्बन उत्पादों में बदल दिया। उत्पादों को बनाने की यह प्रक्रिया आसानी से सक्षम हो जाती है।

यह शोध चुहुआ जिया और होंगफेई लिन, जीन और लिंडा वोइलैंड स्कूल ऑफ केमिकल इंजीनियरिंग एंड बायोइंजीनियरिंग में एसोसिएट प्रोफेसर के नेतृत्व में किया गया है। यह शोध केम कैटलिसिस पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

शोधकर्ता लिन ने कहा कि रीसाइक्लिंग उद्योग में, रीसाइक्लिंग की लागत महत्वपूर्ण है। यह काम इस नई तकनीक के व्यवसायीकरण करने के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। हाल के दशकों से, प्लास्टिक के कचरे के कारण दुनिया भर में पर्यावरण संकट, महासागरों के प्रदूषित होने आदि की समस्या लगातार बढ़ रही है।

जैसे-जैसे प्लास्टिक का कचरा छोटे-छोटे टुकड़ों मे टूट जाता हैं तो यह माइक्रोप्लास्टिक में बदल जाता है। माइक्रोप्लास्टिक के सूक्ष्म कण खाद्य श्रृंखला में प्रवेश कर जाते हैं और मानव स्वास्थ्य के साथ-साथ जीवों के लिए भी खतरा बन जाते हैं।

शोधकर्ताओं ने कहा कि प्लास्टिक को रीसाइक्लिंग करना हमेशा से ही समस्याग्रस्त रहा है। सबसे आम रीसाइक्लिंग करने की विधियां प्लास्टिक को पिघलाती हैं और उसे फिर ढालती हैं, लेकिन इससे अन्य उत्पादों में उपयोग के लिए इसका आर्थिक मूल्य और गुणवत्ता कम हो जाती है।

रासायनिक रीसाइक्लिंग उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों का उत्पादन कर सकता है, लेकिन इसके लिए उच्च प्रक्रिया तापमान और लंबे प्रसंस्करण समय की आवश्यकता होती है, जिससे यह उद्योगों के लिए बहुत महंगा और बोझिल हो जाता है। इसकी सीमाओं के कारण, अमेरिका में हर साल केवल 9 फीसदी प्लास्टिक की रीसाइक्लिंग की जाती है।

इस काम में, डब्लूएसयू शोधकर्ताओं ने पॉलीथीन को जेट ईंधन और उच्च मूल्य वाले चिकनाई युक्त उत्पादों में आसानी से बदलने के लिए एक उत्प्रेरक प्रक्रिया विकसित की। पॉलीइथिलीन, जिसे प्लास्टिक के रूप में भी जाना जाता है, सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला प्लास्टिक है, जिसका उपयोग प्लास्टिक की थैलियों, प्लास्टिक दूध के जग और शैम्पू की बोतलों से लेकर जंग-प्रतिरोधी पाइपिंग, प्लास्टिक मिश्रित लकड़ी और प्लास्टिक के फर्नीचर तक कई तरह के उत्पादों में किया जाता है।

इस प्रक्रिया के लिए, शोधकर्ताओं ने कार्बन उत्प्रेरक और आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले विलायक पर रूथेनियम का उपयोग किया। वे 220 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर एक घंटे के भीतर लगभग 90 फीसदी प्लास्टिक को जेट ईंधन या अन्य हाइड्रोकार्बन उत्पादों में परिवर्तित करने में सक्षम थे।

लिन ने कहा कि प्रसंस्करण परिस्थितियों को नियंत्रित करने, जैसे तापमान, समय या उत्प्रेरक की मात्रा का उपयोग करना, उत्पादों को बनाने की प्रक्रिया को ठीक करने में सफल होना महत्वपूर्ण  है। बाजार की मांग के अनुसार वे उस उत्पाद को बना सकते हैं।

इस कुशल प्रक्रिया का प्रयोग अपशिष्ट पॉलीथीन से चुनिंदा उच्च मूल्य वाले उत्पादों के उत्पादन के लिए एक आशाजनक दृष्टिकोण प्रदान कर सकता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि उनकी यह प्रक्रिया अन्य प्रकार के प्लास्टिक के साथ प्रभावी ढंग से काम कर सकती है। 

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