विज्ञान और तकनीकी क्षेत्रों में आईटीसी की मदद करेगा आईआईटी दिल्ली

आईटीसी का उद्देश्य आईआईटी जैसे संस्थानों की तकनीकी विशेषज्ञता का लाभ उठाना और चुने गए क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों की सहायता करना है

By Dayanidhi
Published: Monday 02 May 2022

आईटीसी लिमिटेड भारत के सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में अहम भूमिका निभा सकता है। आईटीसी ने एसटीईएम यानी विज्ञान, तकनीकी, इंजीनियरिंग और गणित के क्षेत्र में शोध तथा तकनीकी सहायता करने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

यहां बताते चलें कि आईटीसी एफएमसीजी, होटल, पैकेजिंग, कृषि व्यवसाय और सूचना प्रौद्योगिकी में फैले व्यवसायों के क्षेत्र में भारत के अग्रणी समूहों में से एक है।

प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि वर्तमान में शोध के लिए जाने, जाने वाले क्षेत्रों में ऊर्जा भंडारण, कम कार्बन वाली कोल्ड ट्रांसपोर्टेशन और प्लास्टिक बायो डिग्रेडेशन जैसे कुछ नाम हैं, इन पर एक दूसरे के हितों को देखते हुए शोध को और अधिक आगे बढ़ाने की बात की गई है।

आपसी साझेदारी के बारे में बोलते हुए आईटीसी लिमिटेड के कार्यकारी उपाध्यक्ष और प्रमुख सामाजिक निवेश प्रभाकर लिंगारेड्डी ने कहा कि आईटीसी ने सामाजिक विकास के लिए वर्षों से बड़े पैमाने पर हस्तक्षेप कर पर्यावरण प्रबंधन के मिशन को आगे बढ़ाया है। कंपनी ने व्यापक सस्टेनेबिलिटी 2.0 विजन के साथ टिकाऊ उत्कृष्टता की अगले सीमा की शुरुआत की है, जो 'बिल्ड बैक बेटर' या बेहतर निर्माण से वापसी के संकल्प पर आधारित है।

फिर से परिभाषित की गई सस्टेनेबिलिटी 2.0 विजन के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों के साथ समावेशी रणनीतियों को आगे बढ़ता है तथा आजीविका बढ़ाने की बात करता है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन से मुकाबला करने के लिए नए रास्ते अपना सकते हैं, सर्कुलर इकोनॉमी को आगे बढ़ा सकते हैं। इन सभी की सहायता से पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत कर सकते हैं, इस प्रकार देश की एनडीसी के वायदों और एसडीजी लक्ष्यों को हासिल करने में सार्थक योगदान दे सकते हैं।

लिंगारेड्डी ने कहा कि वर्षों से जबकि इन लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में तेजी से कदम उठाए गए हैं, ऐसे कई क्षेत्र हैं जिनमें अभी भी बड़े पैमाने पर और असरकारी बदलाव करने करने के लिए तकनीकी समाधानों के विकास की आवश्यकता है।

आईटीसी का उद्देश्य आईआईटी जैसे संस्थानों की तकनीकी विशेषज्ञता का लाभ उठाना और चुने गए क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों की सहायता करना है, जो भारत को अपने एसडीजी लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में गति देगा।

आईआईटी दिल्ली में अनुसंधान एवं विकास के प्रो. सुनील कुमार खरे ने कहा कि उद्योग बड़े पैमाने पर परिवर्तन के दौर से गुजर रहे हैं, जिसमें स्थायी और उत्पादों की आवश्यकता बढ़ रही है जिनमें प्रयोग जारी हैं। यह साझेदारी आईआईटी दिल्ली में अत्याधुनिक अनुसंधान को आईटीसी में उपयोग होने वाली जानकरी के साथ जुड़ेगा, ताकि नवाचार में तेजी लाई जा सके और हमारे ग्राहकों और समाज के विभिन्न प्रकार के अग्रणी प्रयोगों के लिए समाधान विकसित किया जा सके।

समझौते पर बोलते हुए आईआईटी दिल्ली के कॉर्पोरेट रिलेशंस प्रोफेसर अनुराग राठौर ने कहा हम आईटीसी के साथ जुड़कर बेहद खुश हैं। सस्टेनेबिलिटी आईटीसी के कॉर्पोरेट दर्शन का डीएनए है और हम पारस्परिक हितों के अधिक सहयोग करने के लिए तत्पर हैं, जो नवीन तकनीकों और उत्पादों के नवाचार और विचार को बढ़ावा देंगे।

प्रोफेसर राठौर ने कहा कि आईआईटी दिल्ली ने अकादमिक गतिविधियों, अनुसंधान, नवाचार और प्रौद्योगिकी विकास सहित कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उद्योग और अकादमिक के बीच सहयोग हमें उत्कृष्टता की खोज में मदद करेगा और भारत के सार्वजनिक अनुसंधान और नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को और मजबूत करेगा।

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