नैनोट्यूब सेंसर शुरु में ही बता देगा क्यों नहीं बढ़ रहा पौधा

खाद्य सुरक्षा के साथ किसानों की उपज बढाने के लिए यह तकनीकी काफी उपयोगी हो सकती है। 

By Vivek Mishra
Published: Monday 20 February 2023

पर्यावरणीय दबाव या तनाव के कारण पौधों की वृद्धि और विकास बाधित हो सकता है, हालांकि इसका पता  हमें काफी देर से चलता है। जिसकी वजह से वैज्ञानिक और किसान होने वाले नुकसान को जल्दी भांप नहीं पाते। इस समस्या का निदान ऐक नैनोसेंसर कर सकता है जो पौधों की वृद्धि और विकास के लिए जिम्मेदार प्रमुख हार्मोन जिब्रेलिंस (जीए) की रीयल टाइम निगरानी कर सकता है। 

इस नियर-इनफ्रारेड फ्लूरोसेंट कार्बन नैनोट्यूब सेंसर को  सिंगापुर-एमआईटी एलाइंस फॉर रिसर्च एंड  टेक्नोलॉजी (स्मार्ट) के शोधार्थियों और टेमासेक लाइफ साइंसेज लैबोरेट्री (टीएलएल) ने मिलकर तैयार किया है। 

वैज्ञानिकों का दावा है कि इस नैनोसेंसर को पौधों के रूट में आसानी से डाला जा सकता है और वह हमें पौधों की वृद्धि के बिल्कुल प्रारंभिक चरण में होने वाले बदलावों की जानकारी दे सकता है। हमें यह भी पता चल सकता है कि पौधे पर किस तरह का पर्यावरणीय दबाव है। 

यह कदम न सिर्फ जैव प्रौद्योगिक क्षेत्र के लिए बल्कि कृ़षि क्षेत्र में किसानों  के लिए बेहद लाभप्रद साबित हो सकता है। किसान इससे अपने फसल  का प्रबंधन कर सकते  हैं और उनकी उपज को भी बढाया जा सकता है।

पौधों में वृद्धि और विकास के लिए जिम्मेदार प्रमुख और विशिष्ट हार्मोन जीए3 और जीए4 की निगरानी नैनोट्यूब आसानी से कर सकता है। 1960 की हरित क्रांति में जिब्रेलिंस यानी जीए की प्रमुख भूमिका रही है। इस पर किया जा रहा अध्ययन खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित कर सकता है। 

जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग और बढ़ते समुद्र स्तर के कारण कृषि योग्य मिट्टी के खारा होने का खतरा बढ़ गया है। इससे मिट्टी में खारापन बढ़ता जा रहा है। यह पौधों में वृद्धि और विकास के लिए जिम्मेदार हार्मोन जीए  बायोसिंथेसिस को प्रभावित करते हैं। यह जीए मेटाबॉलिज्म भी बढाते हैं। जिसके कारण पौधे में जीए कंटेंट कम हो जाता है। नैनो ट्यूब पौधों में खारेपन के कारण पड़ने वाले प्रभाव को प्रारंभिक स्तर पर ही जांच लेता है। 

इस वक्त पौधों में जीए 3 और जीए4 के स्तर की जांच के लिए मास स्पेक्ट्रोस्कोपी आधारित विश्लेषण का इस्तेमाल किया जाता है। यह न सिर्फ समय ज्यादा लेता है बल्कि इस प्रक्रिया में बर्बादी भी बहुत होती है। जबकि नैनोट्यूब इन सब चीजों से बचाता है। 

वैज्ञानिकों ने नैनोट्यूब  सेंसर के बारे में एक रिसर्च पेपर भी प्रकाशित किया है। इसका शीर्षक "नियर इंफ्रारेड फ्लूरोसेंट कार्बन नैनोट्यूब सेंसर्स फॉर द प्लांट हार्मोन फैमिली जिब्रेलिंस" है। 

इस तकनीकी का इस्तेमाल एराबिडोप्सिस (सरसो समूह का पौधा, शोध के लिए ज्यादा इस्तेमाल होता है), तुलसी और सलाद के पौधों पर किया गया।  सलाद के पौधे में पाया गया कि जीए कंटेंट कम होन और खारेपन के तनाव के कारण उसकी ग्रोथ प्रभावित हुई। नैनोट्यूब सेंसर ने जीए स्तर कम होने की जानकारी शुरुआती छह घंटों में दी। 

 इस तकनीकी का उपयोग करके पौधों में शुरुआती खराबी को पहचाना जा सकता है।

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