गेहूं के भूसे से बनाया नया नष्ट होने वाला पोलीयूरीथेन फोम
गेहूं के कचरे से पॉलीओल्स प्राप्त किए जाते हैं, ये पॉलीओल्स उन प्रमुख यौगिकों में से एक हैं जो रासायनिक प्रतिक्रिया में एक अहम भूमिका निभाते हैं जो पोलीयूरीथेन फोम बनाते हैं।
By Dayanidhi
Published: Monday 25 January 2021
दुनिया भर में हर साल लगभग 73.4 करोड़ टन गेहूं के भूसे या पराली का उत्पादन किया जाता है, जो बड़ी मात्रा में कूड़े की तरह फेंक दिया जाता है, या जला दिया जाता है। गेहूं का यह भूसा सस्ता है और अब तक इसका अच्छी तरह से उपयोग नहीं किया गया है। हाल ही में स्पेन के कॉर्डोबा विश्वविद्यालय में आरएनएम केमिकल इंजीनियरिंग और एफकयूएम नानोवाल ऑर्गेनिक केमिस्ट्री रिसर्च ग्रुप्स ने पॉलीयूरीथेन फोम बनाने में गेहूं के भूसे का उपयोग करने में सफलता प्राप्त की हैं।
पॉलीयुरेथेन एक पॉलिमर है जो कार्बामेट लिंक से जुड़ने वाली कार्बनिक इकाइयों से बना है। पोलीयूरीथेन फोम रबर के रूप में भी जाना जाता है, यह प्लास्टिक सामग्री, जिसे अक्सर पेट्रोलियम सह-उत्पादों से निर्मित किया जाता है, उद्योग के लिए बहुत आवश्यक है और इसका उपयोग निर्माण और ऑटोमोबाइल क्षेत्रों में सीलेंट के साथ-साथ कई तरह के सामान बनाने तथा एक थर्मल और ध्वनिक इन्सुलेटर बनाने के लिए किया जा सकता है।
चिली के एडवांस्ड पॉलिमर रिसर्च सेंटर (सीआईपीए) ने इसको बनाने में अहम भूमिका निभाई है। शोधकर्ताओं ने गेहूं के कचरे से एक नया प्रयोग किया है। कचरे को तरल में बदला जाता है, जिससे पॉलीओल्स प्राप्त किए जाते हैं। ये पॉलीओल्स उन प्रमुख यौगिकों में से एक हैं जो रासायनिक प्रतिक्रिया में एक अहम भूमिका निभाते हैं जो पोलीयूरीथेन फोम बनाते हैं।
आज तक अरंडी का तेल टिकाऊ पोलीयूरीथेन फोम प्राप्त करने की दौड़ में प्रमुख में से एक रहा है जिसे पेट्रोलियम की आवश्यकता नहीं होती है। शोधकर्ता एस्तेर रिनकॉन द्वारा बताया गया कि यह वनस्पति तेल के हवा के संपर्क में आने से यह पूरी तरह से कठोर और सूखता नहीं है जो कि रबर फोम बनाने की उचित प्रक्रिया में से एक है। यह शोध पॉलिमर नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
नए शोध ने गेहूं के भूसे ने अरंडी के तेल के 50 फीसदी तक के उपयोग को कम कर दिया, जिसके परिणाम स्वरूप सामान पारंपरिक तरीको से बनाया गया। शोधकर्ताओं ने बताया कि हम बहुत ही कम से कम मापदंडों का उपयोग कर इसे प्राप्त करने में सक्षम रहे। एस्तेर रिनकॉन बताते हैं कि फोम के निर्माण में, गेहूं के भूसे को 96 फीसदी तक को परिवर्तित करते हैं।
इसके अलावा, जैसा कि शोधकर्ता ने बताया है, उन्होंने वर्तमान में बाजार पर मौजूद उत्पादों की तुलना में आसानी से नष्ट होने वाले (बायोडिग्रेडेबिल) का उपयोग किया हैं, जिसका अर्थ है कि इससे बनी सामग्री आसानी से विघटित/नष्ट होने में कम समय लगता है।
हालांकि इन नए पोलीयूरीथेन फोम में अनंत प्रयोग हो सकते हैं और यहां तक कि इसे बायोमास के अन्य प्रकारों के साथ निर्मित किया जा सकता है, शोध समूह, अपने अध्ययन के दूसरे चरण में, पौधों की नर्सरी में पौधे के विकास में मदद करने के लिए उनका उपयोग करेगा। शोधकर्ता बताते हैं, पौधे को पानी देने के बजाय सूखे की समस्याओं से निपटने और अधिक पानी को रोकने के उद्देश्य से, हम पानी को फोम में इंजेक्ट करेंगे ताकि पौधा आवश्यकतानुसार इसका उपभोग कर सके।