यूरिया की मदद से पानी को अलग कर किफायती हाइड्रोजन ऊर्जा का ऐसे होगा उत्पादन

वैज्ञानिकों ने बताया कि शोध का लक्ष्य उत्प्रेरक का बेहतर प्रदर्शन हासिल करना है, जो टिकाऊ और कुशल हाइड्रोजन उत्पादन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है

By Dayanidhi
Published: Thursday 07 March 2024
फोटो साभार : आईसटॉक

भारतीय वैज्ञानिकों ने एक नए उत्प्रेरक की पहचान की है जो यूरिया का आसानी से ऑक्सीकरण कर सकता है और इस तरह यूरिया की मदद से मिलने वाले पानी को अलग कर हाइड्रोजन का उत्पादन किया जा सकता है। यह ऊर्जा की मांग को पूरा करने में अहम भूमिका निभा सकता है, साथ ही यह ग्रीन या स्वच्छ ईंधन उत्पादन का एक बेहतर तरीका हो सकता है

यहां बताते चलें कि जब कोई रासायनिक यौगिक किसी प्रतिक्रिया के दौरान इलेक्ट्रॉन खो देता है, तो उसे ऑक्सीकरण कहा जाता है।

जलवायु परिवर्तन से निजात पाने में हाइड्रोजन ऊर्जा के महत्व को समझते हुए, वैज्ञानिक स्वच्छ ऊर्जा के रूप में इसे महत्वपूर्ण मानते हैं। यह तरीका हाइड्रोजन उत्पादन में क्रांति लाने के प्रयास को और तेज कर सकता है।

कैथोड पर हाइड्रोजन का इलेक्ट्रोलाइटिक उत्पादन, जबकि स्वाभाविक रूप से स्वच्छ और ग्रीन है, एनोड पर ऑक्सीजन विकास प्रतिक्रिया की ऊर्जा की मांगों से इसमें रुकावट आई है। ऑक्सीजन को बढ़ाने की प्रतिक्रिया को अन्य एनोडिक प्रक्रियाओं जैसे कि यूरिया इलेक्ट्रो-ऑक्सीकरण प्रतिक्रिया (यूओआर) के साथ बदलने से एक वास्तविक समाधान निकलता है, जिसमें सेल की पूरी क्षमता कम होती है। पानी में यूरिया मिलाने से, व्यावहारिक तौर पर इलेक्ट्रोकेमिकल हाइड्रोजन उत्पादन के लिए ऊर्जा की मांग को लगभग 30 फीसदी तक कम आंका गया है।

यह न केवल विद्युत ऊर्जा को कम करता है इसलिए, पानी से हाइड्रोजन उत्पादन को किफायती बना देता है, बल्कि यूरिया को नाइट्रोजन, कार्बोनेट और पानी में बदलते हुए ऊर्जा उत्पादन के साथ अपशिष्ट जल से यूरिया को दोबारा हासिल किया जा सकता है। इस प्रतिक्रिया से होने वाले फायदों के बावजूद, अभी तक विकसित उत्प्रेरक कॉक्स जहर (यूओआर के सह-उत्पाद) के प्रति स्थिर रूप से संवेदनशील नहीं हैं, जिससे इस प्रक्रिया के उद्योग-स्तर पर अपनाने में बाधाएं पैदा हो रही हैं।

 बेंगलुरु में सेंटर फॉर नैनो एंड सॉफ्ट मैटर साइंसेज (सीईएनएस) के वैज्ञानिकों की एक टीम में शामिल निखिल एन. राव, डॉ. एलेक्स चंद्रराज और डॉ. नीना एस. जॉन की टीम ने एक बिना-उत्कृष्ट धातु उत्प्रेरक, भारी एनआई3+- की क्षमता को उजागर किया। नियोडिमियम निकेलेट (एनडीएनआईओ3) धात्विक चालकता के साथ जो यूरिया के साथ आसानी से ऑक्सीकरण करता है, जिससे यूरिया की मदद से हासिल होने वाले पानी को अलग करके हाइड्रोजन का उत्पादन किया जा सकता है, साथ ही इस पूरी प्रक्रिया के लिए ऊर्जा की भी बहुत कम जरूरत पड़ती है।

वैज्ञानिकों ने बताया यह प्रयोग यूरिया इलेक्ट्रोलिसिस के लिए उच्च-वैलेंट नी-ऑक्साइड पर आधारित उच्च-सक्रिय और सहनशील उत्प्रेरक विकसित करने के लिए चल रही परियोजना के हिस्से के रूप में की गई थी।

टीम ने यूओआर के लिए एक इलेक्ट्रोकैटलिस्ट के रूप में नियोडिमियम निकेलेट का उपयोग किया और एक्स-रे अवशोषण स्पेक्ट्रोस्कोपी, इलेक्ट्रोकेमिकल प्रतिबाधा स्पेक्ट्रोस्कोपी और रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी जैसी तकनीकों का उपयोग करके ऑपरेंडी (ऑपरेटिंग परिस्थितियों में) का प्रदर्शन किया, जिससे पुष्टि हुई कि उत्प्रेरक विशेष रूप से 'प्रत्यक्ष तंत्र' के माध्यम से प्रक्रिया को चलाता है।

इलेक्ट्रोकेमिकल रूप से सक्रिय नियोडिमियम निकेलेट द्वारा प्रदर्शित प्रत्यक्ष तंत्र उत्प्रेरक की बहुत कम नुकसान और पुनर्निर्माण पर आधारित है, जो यूओआर के प्रत्येक चक्र के बाद पुनर्जनन की आवश्यकता वाले अप्रत्यक्ष तंत्र के विपरीत है जो भारी एनआई2+- उत्प्रेरक जैसे एनआईओ के नाम से प्रचलित है।

उत्प्रेरक में बेहतर प्रतिक्रिया कैनेटीक्स, या प्रतिक्रिया को तेज करने और लंबे समय तक इलेक्ट्रोलिसिस के दौरान स्थिरता बढ़ जाती है, जो एक अच्छे इलेक्ट्रोकैटलिस्ट के गुण हैं।

कॉक्स पॉइजन द्वारा उत्पन्न चुनौती से निपटने की दिशा में, जो यूओआर उत्प्रेरक को निष्क्रिय करने और उनके लंबे समय तक चलने वाल इलेक्ट्रोलिसिस के लिए जाने जाते हैं, यहां नियोडिमियम निकेलेट एक आशाजनक समाधान के रूप में उभरा है।

कॉक्स पॉइजन के प्रति इसकी असाधारण सहनशीलता इसे भारी इलेक्ट्रोकैटलिटिक स्थिरता प्रदान करती है। इंडियन एसोसिएशन फॉरद कल्टीवेशन ऑफ साइंस (आईएसीएस), कोलकाता से डॉ. मौमिता मुखर्जी और प्रोफेसर अयान दत्ता के सहयोग से कम्प्यूटेशनल गणना प्रयोगात्मक निष्कर्षों को मान्यता दी गई है।

एसीएस कैटालिसिस में प्रकाशित शोध में कहा गया है कि यह काम भविष्य के अध्ययनों को निर्देशित कर सकता है जिसका लक्ष्य एनआईओओएच प्रजातियों की संख्या को बढ़ाना और इन प्रजातियों को भारी एनआई3+- सब्सट्रेट्स पर स्थिर करना है।

वैज्ञानिकों ने बताया कि शोध का लक्ष्य उत्प्रेरक में सक्रिय एनआई के कम द्रव्यमान लोडिंग के साथ बेहतर प्रदर्शन प्राप्त करना है, जो टिकाऊ और कुशल हाइड्रोजन उत्पादन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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