अब बेकार चीजों व खाना बनाने के बाद बचे हुए तेल से बनेंगी ईंटें: शोध

सीमेंट, लोहा और इस्पात उत्पादन हर साल वैश्विक कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) उत्सर्जन के 15 फीसदी से अधिक के लिए जिम्मेदार है

By Dayanidhi
Published: Thursday 15 September 2022

ईंटें और सीमेंट बनाना बहुत महंगा है, लेकिन जैविक रसायनज्ञ अधिक टिकाऊ विकल्पों पर काम कर रहे हैं। इसी क्रम में शोधकर्ता बेकार पड़ी चीजों से निर्माण सामग्री बनाने की योजना बना रहे हैं। यह शोध फ्लिंडर्स यूनिवर्सिटी के रसायनविदों की अगुवाई में किया गया है।

सर्कुलर इकोनॉमी में एक और कदम के तहत फ्लिंडर्स चल्कर लैब के शोधकर्ताओं ने हल्के लेकिन टिकाऊ पॉलिमर बिल्डिंग ब्लॉक्स बनाने के लिए कम लागत वाले कच्चे माल का उपयोग किया है, जिन्हें एक चिपकने वाले मुक्त रासायनिक प्रतिक्रिया के साथ जोड़ा जा सकता है।

उनके नवीनतम अध्ययन ने इन सामग्रियों की ताकत का परीक्षण किया और उन तरीकों का पता लगाया जिनसे निर्माण को मजबूत किया जा सकता है।

मैथ्यू फ्लिंडर्स में रसायन विज्ञान के प्रोफेसर जस्टिन चल्कर कहते हैं कि वर्तमान में टिकाऊ निर्माण सामग्री विकसित करने की भारी जरूरत है, सीमेंट, लोहा और इस्पात उत्पादन हर साल वैश्विक कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) उत्सर्जन के 15 फीसदी से अधिक के लिए जिम्मेदार है।

उन्होंने कहा इस अध्ययन में, हमने एक नई प्रकार की ईंट का परीक्षण किया जिसे हम खाना पकाने से बचे बेकार तेल से बना सकते हैं, जिसे सल्फर और डाइसाइक्लोपेंटैडिन (डीसीपीडी) के साथ मिलाया जाता है। सल्फर और डीसीपीडी दोनों पेट्रोलियम रिफाइनिंग के उत्पाद हैं।

ईंटें अमाइन उत्प्रेरक की एक छोटी सी मात्रा के साथ गारे या मोर्टार के बिना एक साथ बंध जाती हैं। यह सभी शुरुआती सामग्री भरपूर मात्रा में उपलब्ध हैं और इन्हें औद्योगिक कचरे के रूप में जाना जाता है।

फ्लिंडर्स यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ साइंस एंड इंजीनियरिंग में चलकर लैब की नई पॉलीमर रिसर्च टीम आगे के विकास के लिए क्लीन अर्थ टेक्नोलॉजीज के साथ सहयोग कर रही है।

मैक्रोमोलेक्यूलर केमिस्ट्री एंड फिजिक्स जर्नल में सस्टेनेबिलिटी पर एक विशेष अंक में प्रकाशित नवीनतम अध्ययन ने नई ईंटों के यांत्रिक गुणों का परीक्षण करने और कार्बन फाइबर फिलर्स सहित निर्माण में उन्हें सुदृढ़ करने के तरीकों को देखने के लिए शोध को आगे बढ़ाया है।

चलकर लैब के शोध सहयोगी डॉक्टर मैक्सिमिलियन मान का कहना है कि अपशिष्ट पदार्थों को मूल्यवान निर्माण सामग्री में बदलने के साथ-साथ पॉलिमर ईंटों के सल्फर-सल्फर बॉन्ड का मतलब है कि उन्हें पारंपरिक निर्माण पद्धति की तरह गारे के बिना एक साथ बांधा जा सकता है।

डॉ मान कहते हैं कि इस नए उत्प्रेरक प्रक्रिया में संबंध बहुत मजबूत है, अपने स्वयं के गारे या मोर्टार के साथ एक टिकाऊ निर्माण सामग्री का उत्पादन करता है जो संभावित रूप से निर्माण को सुव्यवस्थित करेगा। मुख्य अध्ययनकर्ता पेरिस पॉलिंग का कहना है कि शोध टिकाऊ सामग्री विज्ञान में नए वैज्ञानिक विकास का एक बहुत अच्छा उदाहरण है।

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