दुनिया का सबसे बड़ा सर्वाहारी जीव है व्हेल शार्क, रिसर्च में आया सामने

व्हेल शार्क जोकि दुनिया की सबसे बड़ी समुद्री मछली है, उसको लेकर की गई नई रिसर्च से पता चला है कि यह मछली दुनिया का सबसे बड़ा सर्वाहारी जीव भी है

By Lalit Maurya
Published: Monday 25 July 2022

व्हेल शार्क जोकि दुनिया की सबसे बड़ी समुद्री मछली है, उसको लेकर की गई नई रिसर्च से पता चला है कि यह मछली दुनिया का सबसे बड़ा सर्वाहारी जीव भी है। इस तरह इस जीव के नाम दुनिया की सबसे बड़ी मछली होने के साथ-साथ दुनिया का सबसे बड़ा सर्वाहारी जीव होने का खिताब भी जुड़ गया है। गौरतलब है कि इससे पहले कोडिएक भालू को दुनिया के सबसे बड़े सर्वाहारी के रूप में जाना जाता था।

गौरतलब है कि इससे पहले कोडिएक भालू को दुनिया के सबसे बड़े सर्वाहारी के रूप में जाना जाता था। व्हेल शार्क की खाने की आदतों के बारे में की गई यह हैरान कर देने वाली खोज ऑस्ट्रेलियन इंस्टीट्यूट ऑफ मरीन साइंस के जीववैज्ञानिकों के द्वारा की गई है। इससे जुड़ी जानकारी जर्नल इकोलॉजी में प्रकाशित हुई है।

व्हेल शार्क (राइनकोडन टाइपस) के बारे में बता दें की यह दुनिया की सबसे बड़ी जीवित मछली है, जो 18 मीटर तक बढ़ सकती हैं। इसका वजन करीब 34 टन होता है। वहीं यदि इसकी उम्र की बात करे तो यह विशालकाय मछली 100 वर्षों तक जीवित रह सकती हैं।

आमतौर पर इस विशालकाय जीव के लिए यही माना जाता था की यह क्रिल, झींगा और छोटी मछलियां खाती हैं, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के निंगलू रीफ के पास इन मछलियों पर की इस रिसर्च से पता चला है कि यह विशालकाय समुद्री जीव क्रिल के साथ-साथ नियमित रूप से समुद्री शैवाल का भी आहार करते हैं।

क्या क्रिल, झींगा और छोटी मछलियों के साथ-साथ पौधे भी खाती है व्हेल शार्क

व्हेल शार्क पौधे खाती हैं इसकी पुष्टि इनके बायोप्सी नमूनों के विश्लेषण से भी हो गई है। वैज्ञानिकों ने जानकारी दी है कि यह जीव वास्तव में क्रिल के साथ-साथ बहुत सारे पौधों का भी सेवन करता है।

इस बारे में ऑस्ट्रेलियन इंस्टीट्यूट ऑफ मरीन साइंस के फिश बायोलॉजिस्ट डॉक्टर मार्क मीकन का कहना है कि, “हमें उन सभी बातों पर दोबारा पुनर्विचार करने की जरुरत है जो हम व्हेल शार्क के भोजन के बारे में जानते हैं और वास्तव में वे जीव खुले समुद्र में क्या कर रहीं हैं।“ 

डॉक्टर मीकन का कहना है कि धरती पर जो सबसे बड़े जीव हैं, वो हमेशा से शाकाहारी रहे हैं। वहीं समुद्र के बारे में यह धारणा रही है कि जो सबसे बड़े व्हेल और व्हेल शार्क जैसे जीव होते हैं वो झींगा और छोटी मछलियों का आहार करते हैं। लेकिन रिसर्च से पता चला है शायद जमीन और पानी में जीवों के विकास से जुड़ी प्रणाली अलग नहीं है।

यह पता लगाने के लिए कि वास्तविकता में व्हेल शार्क क्या खाती हैं, शोधकर्ताओं ने छोटे प्लवक से लेकर बड़े समुद्री शैवाल तक उनके संभावित खाद्य स्रोतों के नमूने एकत्र किए हैं। फिर उन्होंने प्लवक और पौधों में मौजूद अमीनो और फैटी एसिड की तुलना व्हेल शार्क से की है।

इस बारे में डॉक्टर मीकन ने जानकारी दी है कि व्हेल शार्क के टिश्यूस में वो यौगिक मिले हैं जो सरगासम में पाए जाते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता देने कि सरगासम एक तरह का भूरा समुद्री शैवाल है जो निंगलू में आम पाया जाता है। यह शैवाल चट्टानों से अलग होने के बाद सतह पर तैरता रहता है।

डॉक्टर मीकन को लगता है कि विकास के साथ-साथ व्हेल शार्क ने सरगासम को पचाने की क्षमता विकसित कर ली है। ऐसे में व्हेल शार्क केवल क्रिल की दावत उड़ाने निंगलू आती है वो केवल आधी कहानी है, वास्तव में वो वहां शैवाल का भी सेवन कर रही है।

उनके अनुसार व्हेल शार्क एक बहुत बड़ा जीव है और जब आप एक विशाल जीव होते हैं तो आपको बहुत सारे भोजन के साथ-साथ ऊर्जा की भी जरुरत होती है। इस मछली को भी अपना विशाल मुंह खोले के लिए बहुत सारी ऊर्जा खर्च करनी पड़ती है, जब यह अपना मुंह भोजन के लिए खोलती है तो वो एक जाल की तरह काम करता है जिसमें क्रिल के साथ बहुत सारे शैवाल भी होते हैं।

ऐसे में क्या वो उन्हें वापस फेंक देती है। ऊर्जा के रूप में देखें तो यह काफी महंगा है क्योंकि उस इकट्ठा करने के लिए उसने बहुत सारी ऊर्जा खर्च की है। ऐसे में उसने इन शैवाल को अपने आहार का हिस्सा बना लिया है।

अपने इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने इस विशाल जीव के मल का भी विश्लेषण किया है जिससे पता चला है कि यह जीव क्रिल्ल का भी सेवन करता है हालांकि यह हैरान कर देने वाला था कि इस जीव के टिश्यूस में क्रिल्ल जैसे जीव के फैटी एसिड या आइसोटोप सिग्नेचर नहीं मिले हैं। 

इनपर हाल ही में प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज नामक जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि शिपिंग की बढ़ती गतिविधियों के चलते इन विशालकाय मछलियों के बड़े जहाजों से टकराने का खतरा भी बढ़ता जा रहा है, जो इनकी घटती आबादी के लिए जिम्मेवार है। 

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