डाउन टू अर्थ खास: गीर गायों के प्रति बढ़ता मोह कितना सही?
राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत गीर नस्ल के साथ स्वदेशी गोवंश की अंधाधुंध क्रॉसब्रीडिंग ने स्वदेशी नस्लों के भविष्य पर प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं
ग्रामीण भारत के लिए बाढ़ व सूखे से भी ज्यादा नुकसानदायक थी कोविड-19 की दूसरी लहर
दूसरी लहर में किसानों और खेतिहर मजदूरों के संक्रमित होने के कारण ग्रामीण सप्लाई चेन पर असर पड़ा, ऐसा पहली लहर के दौरान नहीं ...
कैग रिपोर्ट : बंद किए गए उपकरों से भी सरकार ने भरी झोली, न कृषि कल्याण और न मजबूत हुई तकनीकी
कैग ने कहा कि रिजर्व फंड की उदासीनता वित्त मंत्रालय की विफलता है। भारत की संचित निधि में रह जाने वाले उपकरों की राशि ...
भारत को फिर से बुलंद करना होगा गरीबी हटाओ का नारा
केवल गरीबी रेखा से नीचे रह रहे लोगों के लिए गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम चलाने से कुछ नहीं होगा, सभी गरीबों के लिए व्यापक कार्यक्रम ...
प्रवासी श्रमिकों ने श्रमदान से पुनर्जीवित की घरार नदी
सालों पहले चैक डेम बनने से जब नदी का पानी कम हो गया तो खेतों की सिंचाई रुक गई और धीरे-धीरे लोग गांव छोड़ ...
कोरोना लॉकडाउन: मजदूर क्यों न खोते धैर्य?
अमीर अब सरकार पर सबसे ज्यादा भरोसा करते हैं, जबकि कम विशेषाधिकार लोगों का अनुभव इससे उलट रहा
रोजगार की गुत्थी: स्वरोजगार के आंकड़ों से छिपाई जा रही है हकीकत
बेरोजगारी दर में कमी इस बात की तरफ इशारा है कि अधिक से अधिक लोगों को रोजगार तो मिला है। लेकिन क्या वास्तव में ...
कोविड-19 के कारण आए आर्थिक संकट से दुनिया के पिछड़े देशों में बढ़ी बाल मजदूरी
घाना, नेपाल और युगांडा में बच्चे दिन में 14 घंटों तक खतरों से भरे कामों को करने के लिए मजबूर हैं, जिसके लिए उन्हें पूरी मजदूरी तक नहीं ...
बंधुआ मजदूरों की तरह काम करते हैं ईंट भट्ठा मजदूर, 10 माह तक नहीं जा सकते घर
भट्ठों पर मजदूरी का हिसाब व भुगतान सीजन के अंत में ही होता है। जहां इनके राशन के पैसे भी काट लिए जाते हैं
बजट से उम्मीदें: ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मौजूदा संकट से बाहर निकालना होगा
बजट में जलवायु परिवर्तन से खाद्य सुरक्षा के लिए दीर्घकालिक खतरे को पहचानने की जरूरत है, भले ही यह अल्पावधि में कोई चुनावी मुद्दा ...
मणिपुर डायरी : हिंसा की वजह तलाशता एक लेख
मणिपुर में प्रशासनिक नाकामी और राजनैतिक विश्वासघातों का परिणाम रहा कि सात दशकों में भूमिहीनता बढ़ते-बढ़ते लगभग 71 प्रतिशत हो गई
डाउन टू अर्थ, गहन पड़ताल: लम्पी बीमारी ने बिगाड़े हालात, ग्रामीण ही नहीं शहरी भी प्रभावित
मवेशियों में दो वायरस से होने वाली बीमारियां लम्पी रोग और अफ्रीकी स्वाइन फ्लू इस साल पूरे भारत में अप्रत्याशित तौर पर फैल गईं। ...
हर तीस घंटे में एक अरबपति बना और दस लाख नए गरीब, पर कैसे
ऑक्सफेम की नई वेल्थ जनरेशन रिपोर्ट के मुताबिक, ‘कमाई के हिसाब से निचले स्तर के 50 फीसदी लोगों में शामिल एक मजदूर को जितना ...
गहरे सदमे में है भारतीय अर्थव्यवस्था
ग्रामीण क्षेत्रों में मौजूदा महामारी का आर्थिक प्रभाव बेहद नुकसानदेय होने वाला है क्योंकि वहां ज्यादातर अनौपचारिक और कम कमाई करने वाली मजदूर रहते ...
सिविल सोसायटी सर्वे का दावा, राजस्थान में सरकार बदलने के बाद बंद हुईं कल्याणकारी योजनाएं
राजस्थान के 25 संसदीय क्षेत्रों में से 16 क्षेत्रों में 3,968 लोगों पर यह सर्वे किया गया
क्या भारत में सचमुच घट गई गरीबी या बेकार का मच रहा है हल्ला?
12 साल बाद किए गए पारिवारिक उपभोग व्यय सर्वेक्षण के आंकड़ों पर सवाल उठ रहे हैं
संसद में आज: अगस्त में रोजाना कोविड-19 से संबंधित 169 टन कचरा पैदा हुआ
15 सितंबर 2020 को संसद के दोनों सदनों में कोविड-19 सहित कई अहम मुद्दों पर सवाल जवाब हुए
पथ का साथी: गांव लौटे प्रवासियों के सामने खड़ी हैं कई दिक्कतें
डाउन टू अर्थ के रिपोर्टर विवेक मिश्रा इन दिनों उत्तर प्रदेश के गांवों में हैं और गांव पहुंचे प्रवासियों के साथ दिन बीता रहे ...
बड़ी पड़ताल: उत्तराखंड में रिवर्स माइग्रेशन, कितना टिकाऊ?
पांच साल के अंतराल में खींची गई इन दो तस्वीरों में एक मामूली अंतर है। दूसरी तस्वीर में न केवल दो लोग अतिरिक्त हैं, ...
पर्यावरण मुकदमों की डायरी: 15 दिन के अंदर प्रवासी मजदूरों को उनके घर भेजने का इंतजाम करें: सुप्रीम कोर्ट
यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार
मार्च से जून के बीच सड़क दुर्घटनाओं में 29,415 की मौत, लेकिन कौन थे ये लोग?
सरकार ने संसद को बताया कि लॉकडाउन के दौरान कितने प्रवासी श्रमिक सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए, उनके पास इसके आंकड़े नहीं हैं
महामारी में मनरेगा ने दिया साथ, लेकिन उम्मीदों पर पूरी तरह खरी नहीं योजना
रिपोर्ट से पता चला है कि इस दौरान मनरेगा के तहत काम करने वाले औसतन केवल 36 फीसदी परिवारों को 15 दिनों के भीतर ...