नहीं होगी पानी की बर्बादी, जमीन के नीचे रिसाव का पता लगाना हुआ आसान

शोधकर्ताओं ने एक तकनीक विकसित की है, जिसे 'वाटर हैमर' परीक्षण के रूप में जाना जाता है। जो रिसाव वाली जगह के बारे में सटीक जानकारी देता है

By Dayanidhi
Published: Monday 02 March 2020
Photo credit: Flickr

 

पानी एक अनमोल प्राकृतिक संसाधन है, जो हमारे घरों तक पहुंचने से पहले काफी बर्बाद हो जाता है, जिसे रोकने की सख्त जरूरत है। आज दुनिया भर में बढ़ती आबादी के लिए पानी की आपूर्ति करना एक बहुत बड़ी चुनौती है।

अध्ययनकर्ता टार्टाकोवस्की ने कहा कि हम नहाने के लिए शावर लेने के समय को कम करने के बारे में बात करते हैं ताकि पानी की बचत की जा सके, लेकिन जल आपूर्ति के दौरान ही 50 प्रतिशत पानी बर्बाद हो जाता है। डैनियल टार्टाकोवस्की, स्टैनफोर्ड स्कूल ऑफ अर्थ, एनर्जी एंड एनवायरनमेंटल साइंसेज में ऊर्जा संसाधन इंजीनियरिंग के प्रोफेसर हैं।

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, सैन डिएगो के अब्दुलरहमान अलावदी और टार्टाकोवस्की ने साथ मिलकर जल रिसाव का पता लगाने के लिए उपयोग किए जाने वाले प्रेशर सेंसर के माध्यम से डेटा की तेजी से और सटीक व्याख्या करने का एक नया तरीका निकाला है। यह एक ऐसा कदम है जिससे पानी के अरबों गैलन और धन दोनों की बचत होगी।

टार्टाकोवस्की ने कहा कि पानी बचाने के अलावा इस विधि का उपयोग अन्य उद्योगों पर भी लागू किया जा सकता है, जहां रिसाव का पता लगाने के लिए प्रेशर सेंसर का उपयोग होता है। जैसे कि समुद्र के नीचे से तेल और प्राकृतिक गैस ले जा रहे पाइपों में इसका उपोग किया जा सकता है। तेल ओर गैस के रिसाव से पर्यावरणीय खतरे पैदा होते हैं उन्हें रोका जा सकता है। यह शोध वाटर रिसोर्सेज रिसर्च पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

नई विधि पानी की आपूर्ति करने वाले पाइपों से होने वाले रिसाव का पता करती है, जो आम तौर पर भूमिगत होते हैं। दुनिया के अधिकतर देशों विशेष रूप से उत्तरी अमेरिका और यूरोप में जल आपूर्ति करने वाले नेटवर्को पर सेंसर लगे होते हैं, ये सेंसर पानी के बहने के प्रेशर को मापते हैं।

शोधकर्ताओं ने एक तकनीक विकसित की है, जिसे 'वाटर हैमर' परीक्षण के रूप में जाना जाता है। जो रिसाव वाली जगह के बारे में सटीक जानकारी देता है। परीक्षण में अचानक पाइप में बह रहे पानी को बंद करना और सेंसर का उपयोग करके डेटा इकट्ठा करना शामिल है। टार्टकोवस्की और अलावदी ने रिसाव वाली जगह की सटीक जानकारी के लिए एक गणितीय मॉडल में इस डेटा को मिलाकर एक नया तरीका निकाला है।

रिसाव का पता लगाने का मौजूदा तरीका महंगा है, टार्टाकोवस्की ने कहा लागत को कम करने की आवश्यकता है। इसलिए एक ऐसा तरीका विकसित किया है, जो तेजी से काम करता है और रिसाव वाली जगह की सटीक जानकारी देता है। इसका उपयोग लैपटॉप पर रियल टाइम में कर सकते हैं।

शोधकर्ताओं द्वारा विकसित तरीका समय और श्रम और पानी को बर्बाद होने से बचाता है। उदाहरण के लिए, यदि आप फुटबॉल के मैदान की लंबाई वाले पाइप में रिसाव को ढूंढना चाहते हैं, यातो आप गीली मिट्टी के मिलने तक पूरे मैदान को खोद सकते हैं, या नई विधि का उपयोग करके उसी जगह का पता लगा सकते है जहां पर पाइप में रिसाव हो रहा हो।  

टार्टाकोवस्की ने कहा कि शहरों में पाइपो से होने वाले रिसाव को ढूंढ़ना और भी कठिन होता है। शहरों में पाइप इमारतों के नीचे होते हैं और आपको चीजों को तोड़ना पड़ता है। यहां आपको रिसाव वाली जगह की सटीक जानकारी होना आवश्यक है। शहरों में पानी के रिसाव होने की सबसे अधिक आशंका होती है। पुराने शहरी क्षेत्रों में, पुराने पाइपों के जटिल नेटवर्क के साथ बड़ी समस्याएं होती हैं।टार्टाकोवस्की ने कहा कि ऐसे ऑपरेटर जो 'वाटर हैमर' परीक्षण का नियमित उपयोग करते हैं, उनकी लागत लगभग शून्य होती है। यह रिसाव वाली जगह के बारे में सटीक जानकारी देता है।

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