उत्तराखंड में तीर्थयात्रियों का लगता तांता राज्य की पारिस्थितिकी को कर रहा है प्रभावित, एनजीटी ने तलब की रिपोर्ट

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

By Susan Chacko, Lalit Maurya
Published: Tuesday 16 August 2022

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल  (एनजीटी) ने एक संयुक्त समिति को उत्तराखंड में तीर्थस्थलों और उसके आसपास संवेदनशील जैव विविधता वाले क्षेत्रों में पारिस्थितिकी के संरक्षण के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

गौरतलब है कि एनजीटी के समक्ष दायर एक आवेदन में कहा गया है कि उत्तराखंड में लोकप्रिय तीर्थ स्थलों और उसके आसपास के क्षेत्रों में घोड़ों और तीर्थयात्रियों की तेजी से होती वृद्धि के चलते इकोसिस्टम पर बुरा असर पड़ रहा है।

यह भी जानकारी दी गई है कि उत्तराखंड में कोविड-19 के बाद से तीर्थयात्रियों और पर्यटकों की संख्या में तेजी से भारी वृद्धि हुई है। विशेष रूप से केदारनाथ, हेमकुंड साहिब, गंगोत्री गोमुख धाम और यमोनोत्री धाम में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में भारी इजाफा हुआ है।

वहीं केदारनाथ-बद्रीनाथ मंदिर समिति का कहना था कि 11 जून 2022 की शाम तक उत्तराखंड में चारधाम यात्रा के लिए पहुंचने वाले तीर्थयात्रियों की कुल संख्या 19 लाख से ज्यादा थी।

बेलगढ़ में होते अवैध खनन से प्रभावित हो रहा यमुना का बहाव, एनजीटी ने अधिकारियों को लगाई फटकार

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा के मुख्य सचिवों को उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं जिन्होंने बेलगढ़ में होते अवैध खनन के कार्य को कवर करने की कोशिश की है। गौरतलब है कि हरियाणा के यमुनानगर जिले में होते इस अवैध खनन के चलते यमुना नदी का प्रवाह बदल गया है।

एनजीटी का यह आदेश उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में एक ठेकेदार द्वारा किए गए खनन के संबंध में था। हालांकि  आवेदक का कहना था कि वो पट्टाधारक हरियाणा के बेलगढ़ में अवैध खनन भी कर रहा था। इस माइनिंग साइट का निरीक्षण 12 मई, 2022 को उत्तर प्रदेश और हरियाणा के अधिकारियों की एक संयुक्त टीम द्वारा किया गया था।

कोर्ट का कहना है कि एक तरफ रिपोर्ट में यह कहा गया है कि वहां अवैध खनन नहीं किया गया है वहीं दूसरी तरफ यह भी स्वीकार किया गया है कि हरियाणा की सीमा क्षेत्र में पड़ने वाले क्षेत्र में होते अवैध खनन से यमुना का प्रवाह मार्ग बदल गया है।

न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल की पीठ ने अपने 12 अगस्त 2022 को दिए आदेश में कहा है कि रिपोर्ट में अवैध खनन को छुपाने की कोशिश की गई है। रिपोर्ट के अनुसार साईट पर पैरों के निशान नहीं मिले हैं। इसलिए इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई।

बहाली के लिए किए जाने वाले अध्ययन के बिना नहीं किया जा सकता माइनर मिनरल का खनन: एनजीटी

एनजीटी ने अपने एक आदेश में स्पष्ट कर दिया है कि बहाली के लिए किए जाने वाले अध्ययन के बिना माइनर मिनरल का खनन नहीं किया जा सकता। इस मामले में आवेदक राजा मुजफ्फर भट का कहना है कि बडगाम के लालगाम में खनन के लिए दी गई पर्यावरण मंजूरी (ईसी) गैर कानूनी है। मामला जम्मू-कश्मीर में बडगाम की चदूरा तहसील के लालगाम का है।

इस मामले में आवेदक का कहना है कि मैसर्स एनकेसी प्रोजेक्ट्स को बिना किसी पुनःपूर्ति अध्ययन के पर्यावरण मंजूरी (ईसी) दी गई थी, जोकि सतत रेत खनन प्रबंधन दिशानिर्देश, 2016 और रेत खनन, 2020 के प्रवर्तन और निगरानी दिशानिर्देशों का उल्लंघन है। इस मामले में परियोजना प्रस्तावक ने क्षेत्र की बहाली के लिए रिपोर्ट तैयार नहीं की थी जिस वजह से एनजीटी ने आगे की खनन गतिविधियों पर रोक लगा दी है।

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