शहरों में पक्षियों की विविधता में गिरावट की वजह बन रहा है बढ़ता तापमान

रिसर्च से पता चला है कि शहरों में बढ़ता तापमान, पक्षियों की विविधता में गिरावट की वजह बन रहा है

By Lalit Maurya
Published: Monday 28 August 2023
दिल्ली में एक टोल बूथ के पास गर्मी से बचने की कोशिश करते पक्षी; फोटो: आईस्टॉक

शहरों में बढ़ती गर्मी केवल इंसानो के लिए ही खतरा नहीं है। इसका असर दूसरे जीवों पर भी पड़ रहा है। ऐसा ही कुछ पक्षियों के साथ भी देखने को मिला है। कॉर्नेल यूनिवर्सिटी और झेजियांग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किए नए अध्ययन से पता चला है कि शहरों में बढ़ता तापमान, पक्षियों की विविधता में गिरावट की वजह बन रहा है। इस रिसर्च के नतीजे 14 अगस्त 2023 को जर्नल साइंस ऑफ द टोटल एनवायरनमेंट में प्रकाशित हुए हैं।

रिसर्च से पता चला है असहनीय गर्मियों में केवल इंसान ही नहीं पक्षी भी शहरों को छोड़ देते हैं। जब शहर गर्म होते हैं तो पक्षी ठंडे उपनगरों की ओर चले जाते हैं। इसकी वजह से शहरों में पक्षियों के प्रजनन और गैर-प्रजनन सीजन के दौरान उनकी विविधता घट जाती है। हालांकि रिसर्च में यह भी सामने आया है कि यह प्रभाव उस सीजन में ज्यादा देखने को मिलता है जब पक्षी प्रजनन नहीं कर रहे होते हैं।

चीन के 336 शहरों में पक्षियों पर किए गए इस अध्ययन में यह निष्कर्ष सामने आए हैं, कि शहरों में बढ़ती इमारतें और कंक्रीट गर्मी को बरकरार रखती हैं, जो सीधे तौर पर पक्षियों की विविधता में गिरावट से जुड़ा है। 

इस बारे में कॉर्नेल लैब और अध्ययन से जुड़े एक शोधकर्ता फ्रैंक ला सॉर्टे ने प्रेस विज्ञप्ति में जानकारी दी है कि यह अपनी तरह का पहला अध्ययन है जो दर्शाता है कि कैसे अर्बन हीट आइलैंड इफेक्ट विभिन्न मौसमों में सीधे तौर पर पक्षियों की विविधता से जुड़ा है।

बता दें कि शहरों में जिन जगहों पर कंक्रीट या पक्की संरचनाएं होती हैं वहां का तापमान दूसरे हरे भरे क्षेत्रों की तुलना में अधिक होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि शहरों में इमारतें, सड़कें और अन्य बुनियादी ढांचे जो कंक्रीट से बने होते हैं वो अन्य प्राकृतिक चीजों जैसे पेड़-पौधों, जल स्रोतों आदि की तुलना में कहीं ज्यादा मात्रा में सूर्य की गर्मी को सोख सकते हैं।

चूंकि यह संरचनाएं ठोस कंक्रीट की होती हैं इसलिए यह इस गर्मी को वापस बड़ी मात्रा में उत्सर्जित करती हैं, जिससे उस क्षेत्र में अन्य प्राकृतिक क्षेत्रों की तुलना में तापमान कहीं ज्यादा होता है। इसी को अर्बन हीट आइलैंड इफेक्ट कहा जाता है।

वैज्ञानिक के मुताबिक हीट आइलैंड इफेक्ट शहरी क्षेत्रों में दिन के तापमान को आठ डिग्री सेल्सियस तक बढ़ा सकता है। इसकी वजह से थोड़ी दूरी पर ही तापमान में भारी अंतर देखने को मिल सकता है।

चीन ही नहीं भारत सहित पूरी दुनिया में बढ़ती गर्मी से जूझ रहे हैं शहर

इस बारे में ला सॉर्टे ने जानकारी दी है कि, "अर्बन हीट आइलैंड इफेक्ट केवल चीनी शहरों तक ही सीमित नहीं है।" उनके मुताबिक इस अध्ययन में जो सामने आया है संभवतः ऐसा दुनिया के अन्य बड़े शहरों में भी हो रहा है जहां बहुत ज्यादा सड़के और इमारतें है साथ ही हरियाली की कमी है। रिसर्च के अनुसार शहर कितना भी बड़ा हो या कहीं पर भी हो गर्मी के चलते पक्षियों की विविधता कम ही रहती है।

भारतीय शहरों में बढ़ती गर्मी को लेकर सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) द्वारा किए एक अध्ययन से पता चला है कि देश में दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और हैदराबाद जैसे बड़े शहर हीट आइलैंड प्रभाव के चलते अपने आसपास के बड़े क्षेत्रों की तुलना में बहुत ज्यादा गर्म हैं। यहां अन्य शहरी गतिविधियों के अलावा, यातायात, उद्योग और एयर कंडीशनिंग द्वारा उत्पन्न गर्मी और स्थानीय कचरा हीट आइलैंड प्रभाव को जन्म दे रहा है।

अपनी इस रिसर्च में वैज्ञानिकों ने चीन में पक्षियों की विविधता को लेकर चल रहे अध्ययन से मिली जानकारियों का उपयोग किया है। साथ ही इसमें उन्होंने यह भी जानने का प्रयास किया है कि शहर अपने आसपास के उपनगरों की तुलना में कितने अधिक गर्म हैं। वैज्ञानिकों का सोचना था कि जब पक्षी प्रजनन नहीं कर रहे होते हैं तो शहरों में उनकी विविधता अधिक होती है, लेकिन ऐसा नहीं है।

इस बारे में अध्ययन और झेजियांग विश्वविद्यालय से जुड़े वैज्ञानिक जियायु वू का कहना है कि, ""हमें यह जानकर हैरानी हुई कि गैर-प्रजनन मौसम के दौरान पक्षियों की विविधता में कमी और भी अधिक थी।" "हमारा सोचना था कि अर्बन हीट आइलैंड इफेक्ट की वजह से पक्षियों के लिए सर्दियों में, खासकर ठंडे शहरों में गर्म रहना आसान हो सकता है। ऐसे में हमें उम्मीद थी कि इस दौरान पक्षियों की विविधता अधिक होगी।"

हालांकि इसके विपरीत चीन के दक्षिण, उत्तर और उत्तर-पश्चिमी हिस्सों में प्रजनन और गैर-प्रजनन दोनों ही सीजन में पक्षियों की विविधता पर अर्बन हीट आइलैंड इफेक्ट ने नकारात्मक प्रभाव डाला था। शोधकर्ताओं का मानना है कि पहाड़ों पर अल्पाइन वातावरण में रहने वाले पक्षियों में अनुकूलन से बढ़ते तापमान के प्रति सहनशीलता बढ़ सकती है, जिससे स्थानीय पक्षी क्षेत्र के शहरी क्षेत्रों में फल-फूल सकते हैं।

रिसर्च के अनुसार जिस तरह से जलवायु में बदलाव आ रहे हैं, उसकी वजह से शहरों के और भी अधिक गर्म होने की आशंका है। इसकी वजह से इन शहरी इलाकों में रहने वाले पक्षियों के लिए चुनौतियां बढ़ जाएंगी। यह पक्षी पहले ही बढ़ते प्रदूषण और उजड़ते आवासों जैसे खतरों का सामना कर रहे हैं।

हालांकि वैज्ञानिकों का मत है कि पेड़-पौधे शहरों को ठंडा रखने में कुछ हद तक मदद कर सकते हैं। लेकिन अध्ययन में यह भी सामने आया है कि चीन के अधिकांश हिस्सों में यह अर्बन हीट आइलैंड इफेक्ट के प्रभावों की भरपाई करने के लिए पर्याप्त नहीं है। यही वजह है कि चीन के ज्यादातर हिस्सों में पौधों के बावजूद शहरों से निकलने वाली गर्मी पक्षियों के लिए समस्याएं पैदा कर रही है।

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