वैज्ञानिकों ने सफेद हाथ वाले गिब्बन की खोज की

मलेशिया के दक्षिण में विकसित हो रहे हैं सफेद हाथ वाले गिब्बन, जहां उनके वर्गीकरण और आनुवंशिकी की जांच की जाती है।

By Dayanidhi
Published: Wednesday 22 December 2021

बंदरों की ऐसी प्रजाति जिन्हें छोटे वानर के रूप में जाना जाता है, इनमें दक्षिण पूर्व एशिया में रहने वाले गिब्बन की 20 प्रजातियां शामिल हैं। जिन्हें चार मौजूदा प्रजातियों में बांटा गया है- हाइलोबेट्स, हूलॉक, नोमस्कस और सिम्फालंगस। विलुप्त या घटती हुई आबादी को फिर से बसाने के उद्देश्य से संरक्षण, स्थानान्तरण और पुनरुत्पादन को एक महत्वपूर्ण संरक्षण उपकरण के रूप में मान्यता दी गई है। 

प्राकृतिक आवासों के नष्ट होने के चलते गिब्बनों को चिड़ियाघरों और बचाव केंद्रों में रखा जा रहा है। इन्हें अवैध तरीके से पाला तथा इनका व्यापार किया जा रहा है जिससे ये विलुप्ति के कगार पर पहुंच सकते हैं।

मलेशिया में वन्यजीव प्रजातियों के पुनर्वास में मदद करने के लिए 2013 में, वन्यजीव और राष्ट्रीय उद्यान विभाग ने राष्ट्रीय वन्यजीव बचाव केन्द्र (एनडब्ल्यूआरसी) की स्थापना की थी। इन वन्यजीव प्रजातियों में गिब्बन भी शामिल हैं। इससे पहले कि उन्हें फिर से जंगलों में वापस भेजा जाए उनका प्राइमेट रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम के तहत, कैप्टिव या कैद में रह रहे गिब्बनों को कई प्रक्रियाओं और आकलनों से गुजरना पड़ता है। जहां उनके वर्गीकरण और आनुवंशिकी की जांच की जाती है। 

प्रकृति संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ (आईयूसीएन) प्रजाति उत्तरजीविता आयोग द्वारा प्रदान किए गए पुनरुत्पादन और अन्य संरक्षण के लिए दिशानिर्देशों को अपनाया गया। यूनिवर्सिटी मलेशिया सरवाक और मिलवती गनी के शोधकर्ता डॉ. जेफ़्रिन जे. रोवी-रयान और नेशनल वाइल्डलाइफ़ फोरेंसिक लेबोरेटरी ऑफ़ पेरिहिलिटन के सहयोगियों ने एनडब्ल्यूआरसी में सफेद हाथ वाले 12 कैदी गिब्बनों का आनुवंशिक मूल्यांकन किया। उप-प्रजातियों और जानवरों की उत्पत्ति का निर्धारण एक महत्वपूर्ण कदम है जो उनके दूसरी जगह भेजने और पुनरुत्पादन पर आगे के निर्णयों को लेने के लिए जानकारी प्रदान करता है।

शोध टीम ने प्रायद्वीपीय मलेशिया में रहने वाले सफेद हाथ वाले गिब्बन की उप-प्रजातियों की पहले से अज्ञात एक दक्षिणी आबादी का वर्णन किया है। डीएनए तकनीक का उपयोग करके एक सीधी प्रजाति और उप-प्रजाति की पहचान शुरू की गई। शोधकर्ताओं ने अध्ययन किए गए गिब्बन के डीएनए में असामान्य बदलाव या उत्परिवर्तन की खोज की। इस तरह से शोधकर्ताओं ने इनको एक अलग आबादी की तरह पाया, जिसके बारे में उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि वे अलग रहकर विकसित हो रहे होंगे। यह शोध ओपन-एक्सेस जर्नल ज़ूकेज़ में प्रकाशित हुआ है।

डॉ. जेफ्रिन ने कहा कि लंबे समय तक अलग रहने के चलते, यह संभावना है कि दक्षिणी आबादी कुछ स्थानीय प्रजातियों से गुज़री है, लेकिन इस खोज को प्रारंभिक माना जाना चाहिए और इसमें आगे की जांच की आवश्यकता है। इसके अलावा, शोधकर्ताओं का सुझाव है कि थाईलैंड के दक्षिण में रहने वाली यह उत्तरी आबादी हो सकती है।

शोधकर्ताओं ने कहा  कि गिब्बन अभी भी पुनर्वास के दौर से गुजर रहे हैं। अध्ययन के बाद गिबन्स को एक अर्ध-जंगली बाड़े में छोड़ दिया गया है जिसे पुलाऊ उनगका (गिब्बन द्वीप) के रूप में जाना जाता है, जहां उनके विकास पर वन्यजीव प्रजातियों के पुनर्वास के तहत प्राइमेट विशेषज्ञों द्वारा बारीकी से निगरानी की जाती है।

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