Old-style corruption better?
Sin tax for redemption
The Goods and Services Tax of 40 per cent on “sugar-sweetened aerated and flavoured water” has a big bang impact on public health
जलवायु परिवर्तन: संकट को नकारने की गुंजाइश खत्म
अब समय आ चुका है जब हम अपने पूर्वाग्रहों से बाहर निकलें और कुछ न करने के बहाने ढूंढना बंद करें
शासन मायने रखता है : कोविड-19 महामारी ने यही दिखाया
भारत के लिए वायरस नहीं बल्कि यह सच्चाई एक शर्मिंदगी की वजह है कि हम सामान्य समय में भी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए ...
Delhi and the winter air: Hold your breath, it’s still unsafe
The rush of traffic is a key cause of air pollution — let's not lose sight of this. Dust exacerbates the problem, but&…
Last straw to stubble burning
Straw can be converted into fuel for use in vehicles. It can also replace coal in old power plants, reducing …
पर्यावरण की चुनौती से संकट तो बढ़ा, लेकिन समावेश का अवसर भी मिला
सेंटर फॉर साइंस एनवायरमेंट (सीएसई) को 2018 को इंदिरा शांति पुरस्कार दिया गया। इस मौके पर सीएसई की महानिदेशक सुनीता नारायण द्वारा दिया गया ...
हर बूंद मायने रखती है
जलस्रोतों को कानूनी संरक्षण की जरूरत है ताकि वर्षा जल को संचय किया जा सके। ज्यादातर राज्य दावा करते हैं कि उन्होंने कारगर कदम ...
वैध-अवैध के बीच की कहानी
हम जानते हैं कि प्रदूषण कहां है। हम इसे देख सकते हैं लेकिन साबित नहीं कर सकते। नमूनों के लेने की प्रक्रिया में समस्या ...
Food and dissent
Sunita Narain's response to the comments on her previous editorial "Why I would not advocate vegetarianism"
First, justify jallikattu?
If the tradition has to be kept alive in spirit, then its proponents must muster courage to walk the talk
The new extreme reality of floods
Floods are destroying vast parts of the country because of how we have mismanaged our floodplains
It’s sugar, honey; and it’s a crime
Tests from a German laboratory found that Indian honey is adulterated with sugar syrup
A journey with you
E-vehicles or e-mobility?
India has unique reasons for faster adoption of electric vehicles, but we need to be bold and aggressive in our plans
प्रवासी मजदूर: रोजगार एवं उत्पादन का भविष्य
यह एक अवसर है, जब हम अपनी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित कर सकते हैं और उसे ऊंचा उठा सकते हैं, लेकिन यह इतना आसान ...
प्रकृति के साथ शांति से नहीं रह रहे हम
अगर हम धरती के साथ उसी बेवफूकी से पेश आते रहे तो इस साल भी कुछ नया नहीं होने वाला, सुनीता नारायण का आलेख
आम चुनाव: सार्वजनिक संस्थानों की मजबूती से निकलेगा समाधान
लोग समझ चुके हैं कि जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण उनके लिए बड़ी चुनौती है, लेकिन सार्वजनिक संस्थानों की कमजोरी के चलते उन्हें समाधान नहीं दिख ...
Men in black
Carbon market has the potential to unlock billions of dollars for countries in the Global South. But is this voluntary carbon market working for …
एंटीबायोटिक्स के बेजा इस्तेमाल से तिहरे खतरे की ओर बढ़ रही है दुनिया
अत्यधिक या दुरुपयोग के कारण एंटीबायोटिक दवाएं अब बेअसर साबित हो रही हैं, दूूसरे दवा कंपनियां भी नई एंटीबायोटिक दवाएं नहीं बना रही हैं
स्टॉकहोम सिंड्रोम: 50 साल का जश्न मनाते वक्त विचार करना जरूरी
स्टॉकहोम सम्मेलन की 50वीं वर्षगांठ का उत्सव हमारे साझे भविष्य के बारे में होना चाहिए, अतीत के विभाजनों पर नहीं
चमोली आपदा: भूल, गलती और सबक
असल मुद्दा हिमालय के नाजुक क्षेत्र की वहन क्षमता जो जलवायु परिवर्तन के कारण और भी अधिक दबाव में है
किसानों को बस समर्थन चाहिए
समय आ गया है कि हम अपने खाने की वास्तविक कीमत पर बात करें,जो हमारे लिए अनाज पैदा करने वाले किसानों के लिए लाभकारी ...
MGNREGA: Today and tomorrow
The programme can provide a safety net for the poor, not just in COVID-19 times, but for times to come
वायु प्रदूषण से बच्चों को बचाने के लिए कुछ तो कीजिए
हम प्रदूषण के सभी स्रोत कम कर सकते हैं। तब भी जब हवा न चल रही हो। साफ हवा हमारा हक है, लेकिन इसके लिए ...