He is Assistant Professor of Department of Sociology, Central University of Allahabad
ग्रीनवाशिंग या प्रकृति से ‘सात-पाप’
जर्मन चिन्तक उलरिच बेख के लिए यह सभ्यता “डरे हुए लोगों…
भोजन की बाइनरी में धंसी-फंसी दुनिया
हर्बर्ट मार्क्यूज के शब्दों में कहें तो ‘फॉल्स नीड्स&…
पर्यावरणीय संकट काल में मार्क्सवाद और वैकल्पिक विकास-विमर्श
मार्क्स का विमर्श उन्नीसवी सदी में रहा है, जबकि पर्यावर…