स्विट्जरलैंड में हुए एक अध्ययन के मुताबिक, केवल स्विट्जरलैंड में 30 साल में लगभग 2 लाख टन माइक्रो-रबड़ जमा हो चुका है
हाल ही में माइक्रोप्लास्टिक के बारे में बड़ी चर्चा हुई, लेकिन हवा और पानी में माइक्रोप्लास्टिक्स की मात्रा अन्य प्रकार के छोटे-छोटे अणु यानी पॉलिमर की तुलना में बहुत कम है। अब एक नया प्रदूषक हमारे जीवन में आ गया है, जिसे माइक्रो रबर कहा जाता है। माइक्रो रबर गाड़ियों के टायरों के घर्षण से उत्पन्न होने वाला बहुत महीन कण हैं, जो सड़क की सतह के माध्यम से हमारी मिट्टी और हवा में प्रवेश करते हैं।
स्विट्जरलैंड में स्विस फ़ेडरल लैबोरेट्रीज फॉर मैटेरियल्स साइंस एंड टेक्नोलॉजी (एम्पा) के शोधकर्ताओं ने गणना की है कि पिछले 30 वर्षों में, 1988 से 2018 तक, केवल स्विट्जरलैंड के वातावरण में ही लगभग 2 लाख टन माइक्रो -रबर जमा हुआ है, यह पूरी दुनियां के वातावरण में कितना जमा हुआ होगा इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। यह एक ऐसा आंकड़ा है जिसे अक्सर माइक्रोप्लास्टिक्स पर चर्चा के दौरान अब तक अनदेखा कर दिया जाता था। यह अध्ययन एनवायर्नमेंटल पलूशन नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
एम्पा के टेक्नोलॉजी एंड सोसाइटी लैब के आसपास शोधकर्ताओं ने कार और ट्रक के टायर को माइक्रो-रबर के मुख्य स्रोत के रूप में पहचाना है। नोवाक ने कहा हमने टायरों के घर्षण की मात्रा को निर्धारित किया, साथ ही कृत्रिम घास (टर्फ) जैसे चीजों से आऐ रबर को भी हमने अलग किया। हालांकि, यह केवल एक सामान्य सी भूमिका निभाता है, क्योंकि उत्सर्जित रबड़ के कणों का केवल तीन फीसदी कृत्रिम क्षेत्रों से छोटे-छोटे कणों के रूप में आता है। टायरों के घर्षण से शेष 97 फीसदी माइक्रो-रबर आता है।
वातावरण में जारी माइक्रो-रबर के कणों में से, लगभग तीन-चौथाई भाग (74 फीसदी) सड़क के बाईं और दाईं ओर, 4 फीसदी मिट्टी में और लगभग 22 फीसदी जल स्रोत में पाए गए हैं। टीम ने टायरों के आयात और निर्यात के आंकड़ों पर अपनी गणना की और फिर सड़कों पर और सड़क के अपशिष्ट जल में रबर कैसे मिला इसका एक मॉडल तैयार किया है। वर्ष 2000 के बाद से, पानी के रीसाइक्लिंग और मिट्टी के प्रदूषण की रोकथाम के दिशानिर्देशों को काफी कड़ा किया गया है। सड़क के अपशिष्ट जल उपचार संयंत्रों (एसएबीए) के निर्माण जैसे उपायों के माध्यम से, माइक्रो रबर को अब पानी से अलग किया जा सकता है।
माइक्रो रबर के कण हवा के साथ उड़कर सड़क के किनारों पर फैल जाते है, कुछ माइक्रो रबर जमा हो जाते है और कुछ आंशिक रूप से वातावण में उड़ते रहते हैं। हालांकि, एम्पा के एयर पॉल्यूशन, एनवायर्नमेंटल टेक्नोलॉजी, लैब के क्रिस्टोफ हुग्लिन ने 2009 के अध्ययन के अनुसार मनुष्यों पर माइक्रो रबर का प्रभाव कम होने का अनुमान लगाया है। हाउलिन ने यह भी कहा कि, ट्रैफ़िक के नज़दीक के स्थानों में टायर के घर्षण से उत्पन्न माइक्रो रबर कम पाया गया था।
हालांकि, शोधकर्ताओं ने जोर देते हुए कहा, कि माइक्रोप्लास्टिक और माइक्रो रबर समान नहीं हैं। नोवाक कहते हैं कि ये अलग-अलग कण हैं जिनकी तुलना शायद ही एक-दूसरे से की जा सकती है। इनकी मात्रा में भी भारी अंतर हैं: नोवाक की गणना के अनुसार, पर्यावरण में जारी पॉलिमर-आधारित माइक्रोप्रार्टिकल्स का केवल 7 फीसदी प्लास्टिक से बना होता है, जबकि 93 फीसदी टायर के घर्षण से बने होते हैं। नोवाक कहते हैं कि, वातावरण में माइक्रोरबर की मात्रा बहुत अधिक है, इसलिए इस पर अत्यधिक धयान देने की जरुरत है।
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