पुरुषों के समान अधिकारों से वंचित हैं दुनिया की 240 करोड़ महिलाएं, खाई पाटने में लगेंगे 50 वर्ष

विश्व बैंक की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, पुरुषों की तुलना में महिलाएं अपने कानूनी अधिकारों का बमुश्किल 77 फीसदी ही लाभ ले पाती हैं

By Lalit Maurya
Published: Thursday 02 March 2023

कहा जाता है कि कानून की नजर में सब समान है। इस मामले में महिला-पुरुष या अमीर गरीब, लिंग, जाति, धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा। यही वजह है कि कानूनी तौर पर सबको समान उपचार पाने का अधिकार है।

लेकिन देखा जाए तो वैश्विक स्तर पर पुरुषों की तुलना में महिलाऐं अपने कानूनी अधिकारों का बमुश्किल 77 फीसदी ही लाभ ले पाती हैं। वहीं इस दिशा में होती प्रगति की बात करें तो कानून के तहत महिलाओं को भी समान उपचार मिले इस दिशा में हो रहे सुधार की गति पिछले 20 वर्षों के सबसे निचले स्तर पर आ गई है।

रिपोर्ट की मानें तो दुनिया भर में कामकाजी उम्र की करीब 240 करोड़ महिलाओं को अभी भी पुरुषों के समान अधिकार प्राप्त नहीं हैं। हालांकि रोजगार में मौजूद लिंग सम्बन्धी भेदभाव के इस अंतर को भरने से हर देश में प्रति व्यक्ति दीर्घकालिक सकल घरेलू उत्पाद औसतन 20 फीसदी बढ़ सकता है। अनुमान है कि अगर महिलाएं पुरुषों की बराबर दर से नए व्यवसाय शुरू और उनका विस्तार करती है तो इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था को 495.4 लाख करोड़ रुपए (छह लाख करोड़ डॉलर) का फायदा हो सकता है।

2022 के लिए विश्व बैंक द्वारा जारी महिला, व्यवसाय और कानून सूचकांक में औसत स्कोर केवल आधा अंक बढ़कर 77.1 पर पहुंचा है। सुधार की दिशा में आई यह गिरावट वैश्विक स्तर पर ऐसे महत्वपूर्ण समय में आर्थिक विकास के लिए एक बड़ी बाधा बन गई है। यह जानकारी विश्व बैंक द्वारा आज जारी नई रिपोर्ट ”वूमेन बिजनेस एंड द लॉ 2023" में सामने आई है।

इस बारे में विश्व बैंक समूह के मुख्य अर्थशास्त्री और डेवलपमेंट इकॉनोमिक्स के वाईस प्रेसिडेंट इंदरमित गिल का कहना है कि, "ऐसे समय में जब वैश्विक स्तर पर आर्थिक विकास की गति धीमी हो रही है। सभी देशों को संकट के इस संगम का सामना करने के अपनी पूरी उत्पादक क्षमता को संगठित करने की आवश्यकता है।"

उनके अनुसार सरकारें अपनी आधी आबादी को दरकिनार नहीं कर सकती। दुनिया भर में महिलाओं को समान अधिकारों से वंचित करना न केवल महिलाओं के लिए अनुचित है। साथ ही यह पर्यावरण अनुकूल समावेशी विकास को बढ़ावा देने की देशों की क्षमता के लिए भी बड़ी बाधा है।

इस रफ्तार से वर्षों में भी नहीं मिलेगा समान अधिकार

ऐसे में रिपोर्ट का कहना है कि सुधार की मौजूदा गति को जोड़ें तो कई देशों में आज रोजगार में प्रवेश करने वाली एक औसत महिला पुरुषों के बराबर अधिकार पाने से पहले ही रिटायर हो जाएगी।

इस रिपोर्ट में अक्टूबर 2022 तक के आंकड़े शामिल किए गए हैं, जो कानूनी तौर पर लैंगिक समानता की दिशा में वैश्विक प्रगति को मापने के लिए उद्देश्यपूर्ण बेंचमार्क प्रदान करते हैं। विश्व बैंक ने अपनी इस नई रिपोर्ट में महिलाओं की आर्थिक भागीदारी से संबंधित आठ क्षेत्रों में 190 देशों के कानूनों और नियमों का आकलन किया है। इन क्षेत्रों में गतिशीलता, कार्यस्थल, वेतन, विवाह, मातृत्व, उद्यमिता, संपत्ति और पेंशन जैसे मुद्दे शामिल हैं।

इस रिपोर्ट में जो तथ्य सामने आए हैं उनके अनुसार दुनिया में आज सिर्फ 14 ऐसे देश हैं, जहां कानून महिलाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार देते हैं। यह सभी समृद्द अर्थव्यवस्थाएं हैं।

रिपोर्ट की मानें तो 2022 के दौरान 18 देशों में केवल 34 लिंग संबंधी कानूनी सुधार दर्ज किए गए थे। यह संख्या 2001 के बाद से सबसे कम है। इनमें से अधिकांश सुधार अभिभावकों और पिता के वैतनिक अवकाश बढ़ाने, महिलाओं के काम करने पर लगे प्रतिबंध हटाने और समान वेतन को अनिवार्य रूप से लागू करने पर केंद्रित थे।

वहीं यदि रिपोर्ट द्वारा मापे गए क्षेत्रों में हर जगह पर्याप्त कानूनी लैंगिक समानता तक पहुंचने की बात करें तो इसके लिए 1,549 सुधार करने होंगे। यदि मौजूदा रफ्तार से देखें वर्तमान गति से इस लक्ष्य को हासिल करने में औसतन कम से कम 50 वर्ष लगेंगे।

यह नवीनतम रिपोर्ट पिछले 50 वर्षों के दौरान कानून में लैंगिक समानता की दिशा में होती वैश्विक प्रगति का व्यापक मूल्यांकन प्रदान करती है। देखा जाए तो 1970 के बाद से, वैश्विक औसत महिला, व्यवसाय और कानून स्कोर में करीब दो-तिहाई का सुधार हुआ है, जो 45.8 से बढ़कर 2022 में 77.1 अंक पर पहुंच गया है।

हालांकि इस सदी के पहले दशक में कानूनी लैंगिक समानता की दिशा में अच्छा-खासा फायदा दर्ज किया गया था। 2000 से 2009 के बीच, जहां 600 से ज्यादा सुधार पेश किए गए थे। वहीं 2002 से 2008 में 73 वार्षिक सुधारों को दर्ज किया गया। इसके बाद से सुधार की इस रफ्तार में थकान दिखाई दे रही है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जिनमें लंबे समय से मानदंड स्थापित हैं, जैसे कि संपत्ति में महिलाओं का अधिकार और संपत्ति का मालिकाना हक इस दिशा में प्रगति धीमी हुई है।

वर्तमान में देखें तो ओईसीडी जैसी उच्च आय वाली अर्थव्यवस्थाओं में महिलाओं के लिए आर्थिक अवसरों की समानता के मौके सबसे ज्यादा हैं, लेकिन विकासशील देशों में इस दिशा में हो रहे महत्वपूर्ण सुधार जारी हैं। यदि उप-सहारा अफ्रीका की बात करें तो उसने पिछले साल इस मामले में महत्वपूर्ण प्रगति की है।

अफ्रीका ने 2022 में वैश्विक स्तर पर हुए सभी सुधारों में करीब आधे से ज्यादा का योगदान दिया है। सात अर्थव्यवस्थाओं के साथ बेनिन, कांगो रिपब्लिक, कोटे डी आइवर, गैबॉन, मलावी, सेनेगल और युगांडा ने 18 सकारात्मक कानूनी परिवर्तन दर्ज किए हैं।

हालांकि इस दिशा में पिछले पांच दशकों में काफी विकास हुआ है। लेकिन अभी भी महिलाओं को कानून के तहत समान अवसर दिलाने की दिशा में काफी कुछ करने की जरूरत है, जिससे अच्छे इरादों के साथ ठोस परिणाम प्राप्त हो सकें।

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