नजफगढ़ झील मामला : सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी का फैसला किया रद्द, कहा याचिकाओं पर फिर करें सुनवाई

एनजीटी ने याचिकर्ता की याचिकाओं का निस्तारण करते हुए कहा था कि नजफगढ़ झील के मामले को भी यमुना की समिति ही देखेगी। 

By Vivek Mishra
Published: Monday 07 August 2023

दिल्ली से हरियाणा की सीमा तक मौजूद नजफगढ़ झील के पुनरुद्धार की मांग करने वाले मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के उस फैसले को रद्द कर दिया है जिसमें उन्होंने याचीकर्ता की यचिकाओं को यह कहते हुए सुनवाई से मना कर दिया था कि यमुना मामले में गठित उच्च स्तरीय समिति ही इस मामलों पर संज्ञान लेगी। 

एनजीटी ने नजफगढ़ मामले में याचीकर्ता द नेशनल ट्रस्ट फार आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज की याचिकाओं को 16 फरवरी, 2023 को निस्तारण कर दिया था। पीठ ने कहा था कि यमुना को प्रभावित करने वाले नालों और वाटर बॉडीज में प्रदूषण की रोकथाम को दिल्ली में एलजी के अधीन बनी उच्च स्तरीय समिति और हरियाणा में मुख्य सचिव के जरिए ही देखा जा रहा है। नजफगढ़ झील के पुनरुद्धार का मामला भी यमुना से ही आंतरिक रूप से जुड़ा हुआ है। इसलिए गठित उच्च स्तरीय समिति ही इन मामलों को देखेगीI 

सुप्रीम कोर्ट में याचीकर्ता की ओर से अधिवक्ता आकाश वशिष्ठ ने एनजीटी के इस फैसले के विरुद्ध अपील की थी। इस अपील पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस संजय करोल की पीठ ने कहा कि याचीकर्ता की अपील को आंशिक तौर पर अनुमति दी जाती है। 
 
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि एनजीटी ने मामले को ठीक से नहीं सुना और याचिकाओं का निस्तारण कर दिया। एनजीटी की ओर से यह त्रुटि हुई है। पीठ ने कहा इस मामले में अंतर मंत्रालयी समिति बनी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नजफगढ़ पुनरुद्धार मामले में याचीकर्ता की सभी याचिकाओं पर फिर से सुनवाई की जाए।  
 
याचीकर्ता ने अपील में यह मुद्दा भी उठाया था कि हरियाणा सरकार ने एनजीटी में नजफगढ़ झील के लिए जो एनवॉयरमेंट मैनेजमेंट प्लान जमा किया है उसमें स्पष्ट लिखा हुआ है कि "तमाम न्यायिक आदेशों खासतौर से सुप्रीम कोर्ट के द्वारा  8 फरवरी, 2017 के आदेश के तहत झील को वेटलैंड (संरक्षण और प्रबंधन) अधिनियम, 2017 के तहत अधिसूचित करना अतिआवश्यक है। इस अधिसूचना से शहरीकरण के कारण झील पर मंडरा रहे विकास के खतरे से बचाया जा सकता है।  
 
 

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