नोएडा में अवैध निर्माण को लेकर एनजीटी गंभीर, अधिकारियों को नोटिस देने का दिया निर्देश

मामला उत्तर प्रदेश के नोएडा और ग्रेटर नोएडा में घरों, दुकानों और अन्य वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों के अवैध निर्माण से जुड़ा है

By Susan Chacko, Lalit Maurya
Published: Thursday 04 April 2024

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा में अवैध निर्माण के आरोपों को गंभीरता से लेते हुए अधिकारियों सहित अन्य को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है। मामला उत्तर प्रदेश के नोएडा और ग्रेटर नोएडा में घरों, दुकानों और अन्य वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों के अवैध निर्माण से जुड़ा है। इस बारे में दो अप्रैल, 2024 को दिए अपने आदेश में ट्रिब्यूनल ने उत्तरदाताओं को सुनवाई से कम से कम एक सप्ताह पहले हलफनामा दाखिल करने को कहा है।

इस मामले में अगली सुनवाई आठ जुलाई, 2024 को होनी है। गौरतलब है कि आवेदक ने पर्यावरण नियमों को ताक पर रख ग्रेटर नोएडा और नोएडा में बड़े पैमाने पर घरों, दुकानों और वाणिज्यिक भवनों के अवैध निर्माण को लेकर ट्रिब्यूनल में शिकायत की थी।

इन निर्माण में बड़े पैमाने पर मिट्टी का उपयोग किया जा रहा है, जिसके लिए गांवों और उसके आसपास बड़े पैमाने पर अवैध खनन किया जा रहा है। इसके कारण बड़े और खतरनाक गड्ढे बन रहे हैं, जिससे खतरा पैदा हो रहा है।

आवेदक का यह भी दावा है कि ये निर्माण उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) से जल (प्रदूषण रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की धारा 25 के तहत स्थापना और संचालन के लिए आवश्यक सहमति लिए बिना ही हो रहे हैं। न ही इसके लिए वायु (प्रदूषण रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के तहत स्थापना और संचालन की सहमति ली गई है।

इसके अलावा, इन अवैध निर्माणों और कॉलोनियों के लिए उचित सीवरेज नेटवर्क की व्यवस्था भी नहीं है। उनका यह भी कहना है कि वहां ट्यूबवेल की मदद से भूजल का दोहन किया जा रहा है और इसके लिए एनओसी नहीं ली गई है।

आवेदक की ओर से पेश पेश वकील ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) द्वारा दिए जवाब का हवाला देते हुए खुलासा किया है कि इन डेवलपर्स के संबंध में कार्यालय रिकॉर्ड में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।

एनजीटी ने प्राधिकरण को दिए बागपत में अवैध मिट्टी खनन के आरोपों की जांच के निर्देश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने प्राधिकरण को बागपत में चल रहे अवैध मिट्टी खनन के आरोपों की जांच के निर्देश दिए हैं। मामला उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के काठा और मविकला गांव में चल रहे अवैध मिट्टी खनन से जुड़ा है।

इस मामले में मीडिया में छपी खबरों पर स्वतः संज्ञान लेते हुए एनजीटी ने दो अप्रैल 2024 को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, लखनऊ के क्षेत्रीय अधिकारी को दावों की जांच करने को कहा है। साथ ही उन्हें दो महीने के भीतर ट्रिब्यूनल के रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए भी कहा गया है।

गौरतलब है कि 15 फरवरी, 2024 को अमर उजाला में एक खबर प्रकाशित हुई थी, जिसमें बागपत के काठा गांव में हो रहे अवैध मिट्टी खनन पर प्रकाश डाला गया था। इस रिपोर्ट के मुताबिक, काठा और मविकला गांवों में जेसीबी और ट्रकों की मदद से मिट्टी का खनन किया जा रहा है। ग्रामीणों इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। खबर में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि अधिकारियों ने अवैध मिट्टी खनन की सूचना मिलने पर बडौत क्षेत्र में छापेमारी की थी।

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