भारत को फिर से बुलंद करना होगा गरीबी हटाओ का नारा

केवल गरीबी रेखा से नीचे रह रहे लोगों के लिए गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम चलाने से कुछ नहीं होगा, सभी गरीबों के लिए व्यापक कार्यक्रम शुरू करने होंगे

By Richard Mahapatra
Published: Thursday 08 October 2020
कोविड-19 की वजह से भारत में गरीबी महामारी का प्रकोप बढ़ेगा: फोटो: विकास चौधरी

आधिकारिक तौर पर कोई भी तर्क दे सकता है कि भारत में गरीबी नहीं है। ऐसा इसलिए, क्योंकि हम जानते ही नहीं हैं कि देश में कौन गरीब है? और ऐसा शासन प्रणाली की वजह है। हमने लगभग एक दशक से देश में गरीबों की गिनती नहीं की है। लगता है कि सरकार को अपने न्यू इंडिया के नारे में गरीबी का स्तर राजनीतिक रूप से उपयुक्त नहीं लगता है।

लेकिन अब हमें गरीबी पर बात करने की क्या जरूरत है? पहली बात, ऊपर हमने आपको बताया कि हमने गरीबी का जायजा लेना ही बंद कर दिया है। इससे भारत के सैकड़ों विकास कार्यक्रमों के प्रभावों का आकलन करना भी मुश्किल हो जाता है, विडंबना यह है कि हम गरीबी तो दूर करना चाहते हैं, लेकिन यह नहीं जानते कि गरीब कौन है और उनकी संख्या कितनी है? बावजूद इसके हमारी विकास योजनाओं का लक्ष्य गरीबी को दूर करना है। इनमें वे गरीब शामिल हैं, जिनकी पहचान बरसों पहले गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) रह रहे लोगों के एक वर्ग के रूप में की जाती है।

दूसरी बात, हाल के वर्षों के सभी आर्थिक संकेतक बताते हैं कि देश का एक बड़ा गरीबी से उभर नहीं पा रहा है या एक बेहतर जीवन जीने में अक्षम है। तीसरी बात, अगर इतना राजनीतिक और मौद्रिक पूंजी निवेश करने के बावजूद, विकास सूचक सकारात्मक नहीं है, तो हमें अपने गरीबी-विरोधी कार्यक्रमों को फिर से आकलन करने की जरूरत है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि केंद्र के हस्तक्षेप के बावजूद देश के कुछ इलाकों में रह रहे लोग दशकों से गरीबी से उभर नहीं पाए हैं।

अब कोविड-19 महामारी का दौर चल रहा है, जो आर्थिक रूप से विघटनकारी है। हम आने वाले दिनों में कोविड-19 के मामलों को रोकने में सक्षम हो सकते हैं, लेकिन स्वास्थ्य से इतर इसका दुष्प्रभाव बहुत ज्यादा है। अब तक कई वैश्विक अनुमानों में कहा गया है कि इस महामारी की वजह से कई देशों पर बड़े स्तर पर आर्थिक असर देखा जाएगा। सभी एक बात पर सहमत हैं कि सभी देशों में गरीबी बढ़ने वाली है। लेकिन इन आंकड़ों में भारत के गरीबी के आंकड़े शामिल नहीं हैं। फिर भी यह आकलन किया जा रहा है कि कोविड-19 की वजह से भारत में कम से कम 80 लाख से एक करोड़ नए गरीब बढ़ जाएंगे।

अनौपचारिक (असंगठित) क्षेत्र में काम कर रहे मजदूरों ने पिछले चार से पांच महीने के दौरान बिलकुल भी कमाई नहीं की है। इस क्षेत्र में ही सबसे अधिक लोग काम करते हैं। एक गरीब, अब और ज्यादा गरीब हो जाएगा। अगर तुम गरीब हो तो यह झटका तुम्हारे सामने जीवित रहने का संकट खड़ा कर देगा। ऐसे समय में तुम उधार लेकर ही जीवित रह सकते हो और भविष्य में अगर कुछ कमाने का मौका मिला तो सबसे पहले तुम्हे यह कर्ज चुकाना होगा। मतलब साफ है, बेशक आगे जितनी अच्छी कमाई हो जाए, तब भी तुम गरीब ही रहोगे।

भारत की गरीब आबादी का आकार अब कितना बड़ा होगा? चूंकि हमारे पास आधिकारिक आंकड़े नहीं हैं, इसलिए इसका सटीक अनुमान नहीं लगाया जा सकता। लेकिन हाल के वर्षों में ग्रामीण विकास दर में गिरावट हुई है। खासकर खेती अब घाटे का व्यवसाय हो गया है और गैर कृषि कार्य भी नहीं मिल रहा है, इससे ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन बढ़ा है। इसका मतलब है कि गरीबी की महामारी ग्रामीण क्षेत्रों में तो बढ़ेगी ही। साथ ही, शहरी क्षेत्रों में भी इसका असर होगा। यानी कि कोविड-19 की वजह से ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्र प्रभावित होंगे और इससे पूरे देश में गरीबी बढ़ने की आशंका है।

अब हमें उभरती हुई अर्थव्यवस्था का झूठा लबादा उतार देना चाहिए और 1970 के दशक के अपने नारे "गरीबी हटाओ" को दोबारा से बुलंद करना चाहिए। अब बीपीएल आबादी पर ध्यान केंद्रित करने वाली योजनाओं से गरीबी उन्मूलन संभव नहीं है। गरीबी चाहे गांवों में हो या शहरों में। गरीबी चाहें बीपीएल से नीचे रहने वाले लोगों की हो या इस रेखा से ऊपर रहने वालों की। गरीबी एक बड़ी चिंता का विषय है। ऐसे में अगर एक अर्थव्यवस्था के रूप में इस पर हम गंभीरता से बात नहीं करते हैं तो हम वो सब खो देंगे तो हमने पिछले 70 सालों में हासिल किया है। अन्यथा आने वाले समय में फिर कोई नेता देश में होगा, जो यह कहेगा कि पिछले 70 साल में हमने कुछ नहीं किया।

Subscribe to Weekly Newsletter :