कार्बन डाइआक्साइड उत्सर्जन में पहले नंबर पर है पश्चिम बंगाल
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट ने कोयला आधारित बिजली खरीद का राज्यवार आकलन और विश्लेषण किया है
By Anil Ashwani Sharma
Published: Wednesday 06 January 2021
प्रदूषित कोयला खरीद कर बिजली उत्पादन के मामले में पश्चिम बंगाल देश में पहले स्थान पर है। इसका मतलब है कि यह राज्य सबसे अधिक कार्बन डाई आक्साइड उत्सर्जित कर के मामले में देश में पहले पर नंबर है। यह खुलासा सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) ने किया है।
सीएसई ने कोयला आधारित बिजली खरीद का राज्यवार आकलन और विश्लेषण किया और इसमें पाया कि पश्चिम बंगाल सल्फर के अनुपालन में देश में सबसे फिसड्डी राज्य है। और प्रदूषित कोयला खरीद कर बिजली उत्पादन में नंबर एक राज्य है।
सीएसई द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार राज्य में बिजली की आपूर्ति करने वाले अधिकांश स्टेशनों ने केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा अधिसूचित दिसंबर, 2015 के सल्फर डाइऑक्साइड मानदंडों के अनुपालन के लिए पर्याप्त उपाय नहीं किए हैं।
इस संबंध में सीएसई के औद्योगिक प्रदूषण कार्यक्रम के निदेशक निवित कुमार यादव कहते हैं, “कोयला आधारित बिजली स्टेशनों में तीन प्रमुख प्रदूषक हैं- कण पदार्थ, नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड का उत्सर्जन होता है। पावर स्टेशन सल्फर डाइऑक्साइड मानदंड के अनुपालन में विशेष रूप से पिछड़ गए हैं।
ध्यान रहे कि पहले से ही सल्फर डाई आक्साइड के मानदंडों को कमजोर करने के लिए दबाव बना हुआ है। दिसंबर, 2015 में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कण पदार्थ, नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए एक निश्चत मानदंड निर्धारित किया हुआ है, लेकिन केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय इस मानदंड में और छूट देने की मांग कर रहा है।
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि बिजली संयंत्रों से सल्फर डाइऑक्साइड का उत्सर्जन भारत में आधे से अधिक मानवजनित उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं।
सीएसई ने अपने मूल्यांकन में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को उनके बिजली उत्पादन के प्रतिशत के आधार पर श्रेणी प्रदान की है। 33 राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा कोयला आधारित बिजली संयंत्रों से ही बिजली खरीदी जाती है।
इन राज्यों के पास विभिन्न कोयला-फायरिंग पावर जनरेटर के साथ टाई-अप है जो विभिन्न राज्यों में भी स्थित हैं। सीएसई ने बिजली मंत्रालय की वेबसाइट से आंकड़ों को लेकर आकलन किया है कि किसी विशेष राज्य द्वारा कितनी क्लीन बिजली खरीदी जा रही है।
सीएसई ने अपने अध्ययन में पाया कि देश के नौ राज्य प्रमुख रूप से सरकारी मापदंडों को पालन में चूक कर रहे हैं। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि राज्य अपनी कोयले पर आधारित बिजली का लगभग 60 प्रतिशत अशुद्ध स्रोतों से खरीद रहे हैं।
इस मामले में पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और गुजरात शीर्ष पर हैं। पश्चिम बंगाल में राज्य को बिजली की आपूर्ति करने वाले 84 प्रतिशत बिजली स्टेशन अशुद्ध हैं और सल्फर डाइऑक्साइड के मानदंडों को पूरा करने से बहुत दूर हैं।
पश्चिम बंगाल अपने बिजली स्टेशनों के माध्यम से अपनी जरूरत की सभी बिजली उत्पन्न करता है। इसलिए राज्य में नियामक अधिकारियों के पास प्रदूषण को कम करने के लिए आवश्यक शक्तियां हैं।
तेलंगाना में यह आंकड़ा 74 प्रतिशत है और गुजरात में यह 71 फीसदी है। इन राज्यों में स्थित और आपूर्ति करने वाले अधिकांश पावर स्टेशनों ने मानदंडों को बहुत कम पूरा किया है।