भोपाल में कोरोनावायरस से चार की मौत, सभी का गैस कांड से है वास्ता

भोपाल गैस पीड़ितों पर कोरोनावायरस संक्रमण की दोहरी मार पड़ रही है, जहां उनके अस्पताल को कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित कर दिया गया है, वहीं वे आसानी से कोरोना संक्रमित हो रहे हैं

By Manish Chandra Mishra
Published: Tuesday 14 April 2020

भोपाल में नोवेल कोरोना वायरस (कोविड-19) से अब तक चार लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। इन मरीजों की मेडिकल हिस्ट्री चौकाने वाली है। सभी मृतक का वास्ता भोपाल गैस त्रासदी से है, जिसकी वजह से वे फेफड़े और सांस की गंभीर बीमारी से पहले से जूझ रहे थे। चार में से तीन मामलों में कोविड-19 की बात मृत्यु के बाद पता चली, जबकि एक मामले में मृत्यु से कुछ घंटे पहले संक्रमण की बात सामने आई। सबसे ताजा मामला 13 अप्रैल का है जब मृतक राजकुमार यादव की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। उनकी मृत्यु 11 अप्रैल को हो गई थी।

11 अप्रैल को ही इमराम (40) की कोविड-19 से मौत हुई। इस घटना के तीन दिन पहले 8 अप्रैल को जगन्नाथ मैथिल (80) की मृत्यु हुई थी। पहली मृत्यु 5 अप्रैल नरेश खटीक (55) की हुई थी। हालांकि, भोपाल का प्रशासन इन मरीजों की जानकारी गैस पीड़ित के तौर पर सामने नहीं ला रहा, लेकिन इनके मेडिकल रिकॉर्ड, गैस पीड़ितों के इलाज के लिए बने स्मार्ट कार्ड से साबित होता है कि इनका वास्ता भोपाल गैस त्रासदी से है।

मृतक राजकुमार यादव के पुत्र अमन यादव ने डाउन टू अर्थ से बातचीत में कहा कि उनके पिताजी है पीड़ित थे और स्मार्ट कार्ड भी बना था। बावजूद इसके गैस पीड़तों के लिए बने अस्पताल में उन्हें इलाज नहीं मिला। अभी अमन के पूरे परिवार को प्रशासन ने क्वारंटाइन किया है और जांच के लिए सैंपल ले गए हैं।

पिछले महीने 21 मार्च को भोपाल गैस पीड़ितों के कुछ संगठनों ने मिलकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री, डायरेक्टर जनरल-आईसीएमआर, सचिव-रसायन एवं उर्वरक विभाग सहित राज्य और केंद्र के कई विभागों को 21 मार्च को चिट्ठी लिखकर कहा था कि गैस पीड़ितों में कोविद-19 का असर सामान्य मरीजों से पांच गुना अधिक होगा, इसलिए संक्रमण की पहचान, जांच और इलाज के लिए कदम उठाए जाएं।

मौत के बाद कोविड-19 संक्रमण की पुष्टि

भोपाल के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ प्रभाकर तिवारी ने अपने बयान में कहा कि भोपाल में तीन व्यक्तियों की मौत हुई है यह तीनों व्यक्ति पूर्व से ही दूसरी गंभीर बीमारी से पीड़ित रहे थे, और बाद में जांच के बाद कोरोना संक्रमण पॉजिटिव आया है। डाउन टू अर्थ ने स्वास्थ्य विभाग के कमिश्नर फैज किदवई और भोपाल कलेक्टर तरूण पिथोड़े से इस मामले में सरकार का रुख और गैस पीड़ितों के मामले में उनकी आगे की योजना जानने के लिए संपर्क किया, लेकिन वे बात करने के लिए उपलब्ध नहीं थे। उनका पक्ष सामने आने के बाद स्टोरी को अपडेट किया जाएगा।

क्या गैस पीड़ितों में संक्रमण फैल रहा है?

प्रशासन ने अबतक कोरोना पीड़ितों की मेडिकल हिस्ट्री सार्वजनिक नहीं की है, लेकिन चार मौत के बाद सवाल उठता है कि क्या भोपाल में गैस पीड़ितों के बीच संक्रमण फैल रहा है। इन चार मौत में से दो मामले जहांगिराबाद इलाके के अहिरपुर मोहल्ला का है। एक मामला चौकी इमामवाड़ा और एक इब्राहिमगंज का है। मृतक के परिवार को क्वॉरेंटाइन में रखकर इन इलाकों में सरकार की कंटेनमेंट योजना के तहत संक्रमण को रोकने का काम चल रहा है। चार मौत में गैस कांड के तार जुड़ने से सवाल उठते है कि क्या गैस पीड़ितों पर नोवेल कोरोना वायरस का असर जानलेवा हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन और चीन के एक साझा रिपोर्ट में सामने आया है कि 60 वर्ष से ऊपर के लोग और उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, हृदय रोग, पुरानी सांस की बीमारी और कैंसर जैसे रोगियों पर नोवेल कोरोना वायरस से मौत का खतरा सबसे अधिक होता है। भोपाल गैस पीड़ितों में ये बीमारियां बहुतायत देखी जाती हैं।

गैस पीड़ितों पर कोविड-19 की दोहरी मार

कोविड-19 का संक्रमण भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों पर दोहरी मार लेकर आया है। भोपाल में 22 मार्च के बाद भोपाल गैस पीड़ित मरीजों के इकलौते सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (बीएमएचआरसी) को सिर्फ कोविद-19 के मरीजों के इलाज के लिए आरक्षित होने की वजह से सैकड़ों मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है। गैस पीड़ितों के हक में काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता रचना ढींगरा आरोप लगाती हैं कि बीएमएचआरसी में इलाज न मिलने की वजह से कई अस्पताल भटकने के बाद उन्हें निजी अस्पताल में इलाज कराना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गैस पीड़ितों के इलाज पर नजर रखने के लिए स्थापित निगरानी समिति के सदस्य पुर्णेंदु शुक्ला बताते हैं कि जिन मरीजों की मृत्यु भोपाल में हुई है वह सभी गैस पीड़ित हैं और शिकायतों के माध्यम से उनके गैस अस्पताल में होने वाले इलाज के लिए बना स्मार्ट कार्ड भी उनके पास पहुंचा है।

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