उत्तराखंड में भारी बारिश से टूटे रास्ते, जनजीवन अस्त-व्यस्त

28 मई को हुई भारी बारिश की वजह से उत्तराखंड के थलीसैंण ब्लॉक में गदेरे उफान पर आ गए

By Varsha Singh
Published: Saturday 30 May 2020
उत्तराखंड के पौड़ी जिले के कुनेथ गांव में घर के पास आया मलबा। फोटो: वर्षा सिंह

28 मई से उत्तराखंड के कई हिस्सों में बारिश की स्थिति बनी हुई है। पौड़ी में भी 28 मई को हुई तेज बरसात से थलीसैंण ब्लॉक के कई गांवों में मुश्किल हालात पैदा हो गए। यहां पूर्वी नयार नदी को जाने वाला गदेरा उफान पर आ गया। बारिश के साथ गदेरे मे बह कर आए गाद और मलबे से गांवों के रास्ते टूट-फूट गए। ब्यासी, कुनेथ, रौली समेत कई गांवों के रास्तों पर बड़े-बड़े बोल्डर आ गए।

थलीसैंण ब्लॉक के कुनेथ गांव प्रधान मनवर सिंह बताते हैं कि तेज बारिश से 28 मई को दोपहर तीन बजे गदेरे का तेज बहाव विध्वंसक नजर आने लगा। गांव के कुछ घरों और गौशाला को भी इससे आंशिक नुकसान हुआ। आलू-प्याज के खेत भी प्रभावित हुए। इस गदेरे से गांव के घराट से जुड़ता है। जिससे आटा चक्की चलती है। यही गदेरा आगे जाकर पूर्वी नयार नदी में मिल जाता है।

रौली गांव के प्रधान स्वरूप ममगाईं बताते हैं कि गदेरे के साथ बहकर आए मलबे से गांव के रास्ते कट गए हैं। सड़क से करीब पांच किलोमीटर दूर गांव में आवाजाही मुश्किल हो गई है।

ग्राम प्रधानों ने इसकी सूचना प्रशासन को नहीं दी। जब हमने आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की पौड़ी इकाई से इस बारे में बात की तो उनतक ये सूचना नहीं पहुंची थी, जबकि 27 मई को ही पौड़ी के जिलाधिकारी धीराज गर्ब्याल ने मानसून से पहले तैयारियों को लेकर बैठक की। आपदा से जुड़ी सूचनाएं कंट्रोल रूम में हर रोज देने को कहा।

उत्तराखंड सरकार ने भी 20 मई मानसून के दौरान सुरक्षा से जुड़ी तैयारियों के दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। जिसमें कहा गया है कि आपदा प्रभावित स्थानों से नियमित सूचनाएं प्राप्त करने की व्यवस्था की जाए। साथ ही आपातकालीन परिचालन केंद्र, बाढ़ नियंत्रण केंद्रों को 24 घंटे संचालित किया जाए।

बरसाती नालों-नदियों के किनारे अतिक्रमण हटाने के साथ एसडीआरएफ को भी अलर्ट रहने को कहा गया है। लेकिन पौड़ी की घटना बताती है कि अभी प्रशासन मानसून को लेकर अलर्ट मोड में नहीं आया है।

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