हिमाचल प्रदेश: बाढ़ में बहे पुल के कारण 12 दिन से अलग-थलग पड़ा है गांव जसरथ

हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति जिले में सब्जियों की सप्लाई दूर-दूर तक होती है, लेकिन गांव जसरथ के किसान अपनी सब्जियों को मंडियों तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं

By Rohit Prashar
Published: Thursday 01 September 2022
18 अगस्त को चंद्रभागा नदी में आई बाढ़ से पुल बहने के कारण गांव जसरथ अलग-थलग पड़ा है। फोटो: रोहित पराशर

प्रकृति ने इस बार हमारे साथ बहुत बड़ा मजाक किया है। आजकल एग्जॉटिक और बेमौसमी सब्जियों का सीजन चला हुआ है] हमारी सब्जियां भी तैयार हैं, लेकिन इन्हें बाजार तक पहुंचाने के लिए हमारे पास रास्ता ही नहीं है।

हमारे गांव को जोड़ने वाला मुख्य पुल बाढ़ की चपेट में आने से ढह गया है, जिससे अब हमारे गांव के 100 से अधिक किसानों के सामने अपने तैयार उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने को लेकर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

यह कहना है जसरथ गांव के किसान ओम प्रकाश का। जसरथ हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति जिले का वो सुंदर गांव है, जो बाढ़ की वजह से पिछले 12 दिन से शेष दुनिया से कटा हुआ सा है।

दरअसल 18 अगस्त को जहालमा नाले में आई अचानक बाढ़ की वजह से चंद्रभागा नदी में अचानक जलस्तर बढ़ गया और इसकी वजह से इस गांव के किसानों की दर्जनों बीघा जमीन तो बाढ़ की भेंट चढ़ गई, साथ ही इस

गांव को दूसरे इलाकों से जोड़ने वाला इकलौता पुल भी टुट गया। इस पुल के टुटने से इस गांव में रहने वाले 150 से अधिक गा्रमीणों की दुश्वारियां दिनों दिन बढ़ती जा रही हैं।

जसरथ गांव के किसान ओम प्रकाश डाउन टू अर्थ को बताते हैं कि गांव को जोड़ने का एकमात्र रास्ता यही है। गांव के ज्यादातर लोग खेती-बाड़ी ही करते हैं ऐसे में अब जब सब्जियों का सीजन चालू है। ऐसे में हमें अपने उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने के कई किलोमीटर लंबे और जोखिम से भरे रास्ते से गुजरकर जाना पड़ता है।

लाहौल पोटेटो समीति के अध्यक्ष सुदर्शन जास्पा का कहना है कि जसरथ गांव के किसानों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है। अभी आने वाले समय में आलू और सेब की फसल तैयार हो जाएगी, ऐसे में इन्हें भी बाजार में पहुंचाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। इसलिए सरकार को चाहिए कि किसानों और आम जनमानस को राहत पहुंचाने के लिए नए पुल के निर्माण के साथ वैकल्पिक मार्ग की व्यवस्था में तेजी लानी चाहिए।

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की ओर से जो सड़क बनाई जा रही है उसकी निर्माण गति बहुत धीमी है और जिस स्थान से यह सड़क निकाली जा रही है वह भूस्खलन क्षेत्र में आती है जहां कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। 

इसके अलावा सुदर्शन जास्पा ने कहा कि हमारे क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन का असर स्पष्ट देखने को मिल रहे हैं। यहां प्राकृतिक आपदाओं की आवृति कई गुणा बढ़ गई है। इसलिए इस संवेदनशील इलाके पर हो रहे पर्यावरणीय बदलावों को लेकर गहन शोध करवाना अनिवार्य हो गया है ताकि भविष्य की रणनीति तैयार की जा सके।

जसरथ गांव वालों ने जिला उपायुक्त को वैकल्पिक झूला पुल का जल्द निर्माण करने और सामान को नदी के पार ले जाने के लिए पुराने स्पैन तार की तुरंत मरम्मत को लेकर 24 अगस्त को मांग पत्र दिया है। लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि आने वाले सप्ताह में स्कूल भी खुलने जा रहे हैं ऐसे में स्कूली बच्चों को स्कूल तक सुरक्षित पहुंचाने का भी इंतजाम किया जाए।

गौरतबल है कि लाहौल स्पीति जिले में सर्दियों में भारी बर्फबारी होने के कारण आना-जाना लगभग बंद हो जाता है। ऐसे में यदि समय रहते सर्दियों से पहले इस गांव के लिए सुरक्षित रास्ते की व्यवस्था न की गई तो सर्दियों में इन लोगों के लिए चुनौतियां और अधिक बढ़ जाएंगी।

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