वायु प्रदूषण-2 : भारत को दूसरे देशों से सीखना होगा

अब यह समझ भी पैदा हो रही है कि देशों के भीतर अंतर-क्षेत्रीय और अंतरराज्यीय रणनीतियों तथा कार्यक्रमों की जरूरत है खासतौर पर उन देशों में जो बड़े इलाके में फैले हुए हैं

By Anumita Roychowdhury
Published: Tuesday 18 February 2020
Photo: Wikimedia commons

डब्ल्यूएचओ-यूनिसेफ-लांसेट आयोग की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक वायु प्रदूषण के चलते हर साल करीब 38 लाख लोगों की मौत हो जाती है। भारत में इसका व्यापक असर है। इसके कारणों और उसके समाधान को लेकर डाउन टू अर्थ ने रिपोर्ट्स की एक सीरीज शुरू की है। पहली कड़ी में आपने पढ़ा कि छोटे शहरों में भी वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। प्रस्तुत है, दूसरी कड़ी-

दुनियाभर में सरकारें इस चुनौती का जवाब ढूंढने की कोशि‍श कर रही हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, सीमापार वायु प्रदूषण के संबंध में अंतर-सरकारी संधियां और करार किए गए हैं जैसे कन्वेंशन ऑन लॉन्ग-रेंज ट्रांसबाउंड्री एयर पॉल्यूशन। लेकिन अब यह समझ भी पैदा हो रही है कि देशों के भीतर अंतर-क्षेत्रीय और अंतरराज्यीय रणनीतियों तथा कार्यक्रमों की जरूरत है खासतौर पर उन देशों में जो बड़े इलाके में फैले हुए हैं। यह दृष्टिकोण चीन, यूरोप और अमेरिका में अपनाया जा रहा है और इससे सीखने की जरूरत है। 


चीन: वायु प्रदूषण देश में एक बड़ी समस्या है, ऐसे में इसने एशियाई देशों की रहनुमाई करते हुए अधिक अनुकूल क्षेत्रीय विनियामक और निगरानी दृष्टिकोण अपनाया है। पेइचिंग में सरकार ने एकीकृत आयोजना, निगरानी और चेतावनी देने संबंधी दृष्टिकोण अपनाया है जिसमें अनेक संक्रामक क्षेत्रों में साझा मानदंडों का निर्माण भी शामिल है। वर्ष 2017 में पेइचिंग और तियानजिन शहरों तथा हेनान, हेबेई, शेनडोंग और शांक्सी प्रांतों के लिए संयुक्त कार्य योजना अपनाई गई। इसने तथाकथित “2+26” शहरों को अपनी औसत पीएम 2.5 सघनता कम करने तथा पिछले वर्ष के मुकाबले प्रदूषित दिनों की संख्या में 15 प्रतिशत से अधिक की कटौती करने को कहा। इस संयुक्त क्षेत्र ने अत्यधिक प्रदूषण के खिलाफ अपनी आपातकालीन प्रतिक्रिया योजना में सुधार किया है ताकि प्रत्येक चेतावनी के दौरान उत्सर्जन में कमी के लिए एकसमान चेतावनी तंत्र बनाया जा सके।



आखिरकार, इन कदमों से संयुक्त निगरानी और निरीक्षण तंत्र का निर्माण हुआ। वर्ष 2017 के अंत तक पेइचिंग पर्यावरण संरक्षण निरीक्षण टीम को अनहुई, फूजियान, गुइजहोउ, हुनान, लिओनिंग और शांक्सी समेत 15 प्रांतों (स्वायत्त क्षेत्र और नगर निगम) के लिए उत्तरदायी बनाया गया। बाद में हैनान, जिलिन, किंघाई स्वायत्त क्षेत्र, सिचुआन, शेनडोंग, तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र, शिंजिआंग स्वायत्त क्षेत्र और झेजिआंग समेत आठ और प्रांतों तथा क्षेत्रों को इस प्रणाली में शामिल किया गया। कोयले के उपभोग को कम करने, क्षेत्र के स्रोतों का प्रबंधन करने और औद्योगिक संरचनाओं को व्यवस्थित करने के लिए आपसी सहमति के साथ कार्य योजना बनाई गई व लागू की गई। इन क्षेत्रों में संयुक्त कार्य योजना के उल्लंघन को दूर किया गया। पर्यावरण संरक्षण एजेंसियों द्वारा निगरानी, निरीक्षण और कानून लागू करने के लिए प्रबंधन और जवाबदेही प्रणाली में सुधार किया गया है। यह क्षेत्रीय दृष्टिकोण अपनाकर पेइचिंग स्वच्छ ऊर्जा और प्रौद्योगिकी के जरिए वायु प्रदूषण के स्तर को 2012 के स्तर से 40 प्रतिशत तक कम करने में कामयाब रहा।

यूरोप: इतिहास पर नजर डालें तो यूरोप ने अंतरराष्ट्रीय वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए वर्ष 1979 में अपनाए गए कन्वेंशन ऑन लॉन्ज-रेंज ट्रांसबाउंड्री एयर पॉल्यूशन (एयर कन्वेंशन के नाम से प्रचलित) के तहत साथ मिलकर काम किया है। इस कन्वेंशन के तहत किए गए करार गैर बाध्यकारी, समर्थकारी और लचीले तंत्र पर आधारित हैं। हालांकि उत्तरोत्तर, सदस्य देश विभिन्न अधिकार-क्षेत्रों में क्षेत्रीय कार्रवाई करने के लिए विनियामक साधनों की संभावनाएं तलाशने लगे। सदस्य राज्यों से इस तरह के क्षेत्रों और सीमाओं में हवा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने की उम्मीद की जाती है। जो देश इन अपेक्षाओं को पूरा करने में विफल रहते हैं, उन पर यूरोपीय आयोग द्वारा वायु गुणवत्ता मानकों के उल्लंघन के लिए मुकदमा दायर किया जाता है। आयोग ने 17 मई, 2018 को प्रेस को जारी किए गए एक बयान में कहा, “वायु गुणवत्ता की सहमत सीमा का पालन करने और उल्लंघन की अवधि को कम से कम रखने के उचित उपाय करने में नाकाम रहने के कारण वह फ्रांस, जर्मनी, हंगरी, इटली, रोमानिया और यूनाइटेड किंगडम को यूरोपीय संघ के न्यायालय के हवाले करने के लिए सहमत था।” इससे अधिक सामंजस्यपूर्ण और क्षेत्र-आधारित कार्रवाई किए जाने की उम्मीद है।

संयुक्त राज्य: संयुक्त राज्य पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (यूएसईपीए) के पास वायु प्रदूषण संबंधी स्पष्ट अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय नियम हैं। यूएसईपीए के नियामक दस्तावेजों की समीक्षा से पता चलता है कि एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र तक प्रदूषण को फैलने से रोकने के लिए यूएस स्वच्छ वायु अधिनियम के तहत कई कार्यक्रम बनाए गए हैं। अधिनियम में सख्ती से यह अपेक्षा की गई है कि एक राज्य का उत्सर्जन हवा के जरिए दूसरे राज्यों में स्वास्थ्य समस्याओं का कारण न बने, खासतौर पर ऐसे क्षेत्रों में जो एजेंसी के राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों को पूरा करने में विफल रहते हैं। इस “अच्छे पड़ोसी” प्रावधान के अनुसार, यदि कोई राज्य वायु प्रदूषण को कम करने के लिए आवश्यक योजना विकसित करने में विफल रहता है, तो एजेंसी आवश्यक कार्रवाई कर सकती है और उत्सर्जन में कमी के लिए एक संघीय योजना को लागू कर सकती है। ओजोन और सूक्ष्म कणों से संबंधित अच्छे पड़ोसी प्रावधानों में डाउन-विंड एयर क्वालिटी समस्याओं की पहचान, अप-विंड राज्यों की पहचान करना शामिल है।

यह आगे की समीक्षा और विश्लेषण के लिए डाउन-विंड वायु गुणवत्ता की समस्याओं की पहचान में पर्याप्त योगदान देते हैं। अप-विंड राज्यों को डाउन-विंड वायु गुणवत्ता समस्याओं में बढ़ोतरी करने से रोकने के लिए उत्सर्जन में आवश्यक कटौती की पहचान करना और इस उत्सर्जन में कटौती के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए स्थायी और प्रवर्तनीय उपायों को अपनाना अपेक्षित है। यह अधिनियम राज्यों को यह अधिकार भी देता है कि वे यूएसईपीए को अप-विंड क्षेत्रों में प्रदूषण के विशिष्ट स्रोतों के लिए उत्सर्जन सीमा निर्धारित करने के लिए कहें। उपलब्ध जानकारी के अनुसार, राज्य वायु प्रदूषण को कम करने के लिए अप-विंड क्षेत्रों की आवश्यकता के संबंध में यूएसईपीए के समक्ष याचिका दायर कर सकते हैं। अंतरराज्यीय आयोग वायु प्रदूषण को दूर करने के लिए क्षेत्रीय रणनीति विकसित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, पूर्वी तट के साथ जमीनी स्तर के ओजोन को कम करने के लिए मेन से वर्जीनिया तक राज्य सरकारें यूएसईपीए के साथ मिलकर काम कर रही हैं। यहां तक ​​कि वायु की गुणवत्ता की निगरानी में भी क्षेत्रीय दृष्टिकोण अपनाया जाता है।

अमेरिका में हवा की गुणवत्ता की निगरानी और वायु गुणवत्ता मानकों को लागू करने के लिए शहर नहीं बल्कि एयर बेसिन भौगोलीय क्षेत्र हैं। उदाहरण के लिए, वायु प्रदूषण के बेहतर प्रबंधन के लिए कैलिफोर्निया को 15 एयर बेसिन में बांटा गया है। एयर बेसिन की सीमाएं समान भौगोलिक और मौसमी विशेषताओं वाले क्षेत्रों को एक साथ मिलाकर निर्धारित की जाती हैं। एयर बेसिन की सीमाओं के निर्धारण में राजनीतिक सीमाओं को भी ध्यान में रखा जाता है। कुछ एयर बेसिन अपेक्षाकृत छोटे होते हैं, जबकि अन्य काफी बड़े होते हैं। अमेरिका में क्षेत्रीय ढांचे को लागू करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, जैसा कि यूएसईपीए के नियामक दस्तावेजों से स्पष्ट है। राज्यों से अपेक्षा की जाती है कि वे अच्छे पड़ोसी प्रावधानों को पूरा करने के लिए या तो अतिरिक्त कदम उठाएं या फिर यह साबित करें कि ऐसे उपाय क्यों आवश्यक नहीं हैं। यदि राज्य दावा करते हैं कि प्रदूषण एक अन्य अप-विंड राज्य से आ रहा है इसलिए मानकों को पूरा नहीं किया जा सकता है तो ऐसे में मामला न्यायालय में जा सकता है। 

अगली कड़ी में पढ़ें - भारत में राज्यों को करनी होगी क्षेत्रीय पहल

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