मुंबई के सेमी फाइनल मैच पर वायु प्रदूषण का मंडरा रहा खतरा!
विश्व कप क्रिकेट के बचे दस मैचों पर भी वायु प्रदूषण का असर देखने को मिल सकता है
By Anil Ashwani Sharma
Published: Tuesday 07 November 2023
विश्व कप किक्रेट अब अपने अंतिम दौर में पहुंच चुका है, लेकिन बढ़ता वायु प्रदूषण विश्व कप मैचों पर असर डाल सकता है।
भारतीय टीम सेमी फाइनल में पहुंच चुकी है और उसका यह मुकाबला मुंबई में आगामी 15 नवंबर को खेला जाना है और मुंबई में वायु प्रदूषण की हालत इतनी बदतर हो गई कि मुंबई हाईकोर्ट को इस संबंध में स्वत: संज्ञान लेकर चिंता जाहिर करनी पड़ी है।
इससे समझा जा सकता है कि मुंबई की आबोहवा खेल के लिए पूरी तरह से मुनासिब नहीं है। ऐसे में सवाल है कि यह मैच किस स्थिति में होगा या स्थल बदला जाएगा, क्योंकि यह विदित है कि आगामी 12 नवंबर को दिवाली का त्यौहार है, और इस अवसर तमाम प्रतिबंधित उपायों के बाद भी लोग आतिशबाजी से बाज नहीं आते।
जब बिना आतिशबाजी के इस मैच के एक हफ्ते पूर्व ही वायु प्रदूषण की स्थिति बद्तर बनी हुई है, तब आगामी 15 नवंबर को और कितनी बुरी स्थिति होगी। इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।
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यही नहीं विश्व कप का फाइनल आगामी 19 नवंबर को अहमदाबद में खेला जाना है। और वर्तमान में इस शहर का वायु प्रदूषण की स्थिति देखी जाए तो वहां की वायु गुणवत्ता खतरे की श्रेणी में बनी हुई है। यह तब है जब शहर में किसी प्रकार की आतिशबाजी नहीं हुई है।
विगत छह नवंबर को बांग्लादेश और श्रीलंका के बीच आखिरी घंटों तक पशोपेश की स्थिति बनी रही कि मैच रद्द होगा या खेला जाएगा। आखिर वायु प्रदूषण के बचाव के जैसे-तैसे उपाय करके यह मैच पूरा कराया गया।
हालांकि इस खेल को कवर कर रहे खेल पत्रकार राकेश थपलियाल कहते हैं कि दिल्ली क्रिकेट एसोसिएशन ने इसके लिए पहली बार मीटर इंडेक्स खरीदा है और इस मैच के दौरान लगातार इसको उपयोग में लाया गया। इस मीटर में वायु गुणवत्ता को निरंतर मापा गया।
ध्यान देने की बात है कि बीसीसीआई और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) को यह मालूम था कि जो समय उन्होंने विश्व कप के लिए चुना है, उस समय हर साल यह स्थिति बनती है। फिर भी उन स्थानों पर अधिकांश मैच आयोजित किए गए हैं, जहां वायु प्रदूषण सबसे अधिक है।
भारत के जिन दस शहरों में यह विश्व कप खेला जा रहा है उनमें से केवल एक दो स्थानों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश शहरों का प्रदूषण का स्तर बहुत खराब स्थिति में बना हुआ है।
दूसरी ओर वायु प्रदूषण मामले में बीसीसीआई ने अपनी ओर से सफाई दी है कि वह वायु प्रदूषण को कम करने के सभी उपायों का पूरी ईमानदारी से पालन कर रहा है और इसके अलावा उसने मैच के बाद आतिशबाजी पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।
इसके अलावा आईसीसी भी वायु प्रदूषण से संबंधित घटनाक्रम पर गहरी नजर रख रही है। ध्यान रहे कि आईसीसी के खेल की परिस्थितियों से जुड़े अनुच्छेद 2.8 के अनुसार, “अगर किसी भी समय अंपायर इस बात पर सहमत होते हैं कि मैदान, मौसम या रोशनी या कोई अन्य परिस्थितियां खतरनाक या अनुचित हैं, तो वे तुरंत खेल को निलंबित कर देंगे या खेल शुरू करने की अनुमति नहीं देंगे।”
लेकिन अभी तक वायु प्रदूषण की वजह से खेल रोकने को लेकर कोई स्पष्ट नियम नहीं हैं। हालांकि 2017 में जरूर यह सवाल उठा था। तब भी भारत में ही मैच हो रहा था। दिसंबर, 2017 में दिल्ली में हो रहे टेस्ट मैच के दौरान श्रीलंकाई खिलाड़ी मास्क पहन कर उतरे, तब इस पर बात हुई थी।
उस समय प्रदूषण की पड़ी मार के असर पर आईसीसी ने अपना बयान जारी कर कहा था, “हमने इस बात पर ध्यान दिया है कि दिल्ली में टेस्ट मैच किन हालात में खेला गया। साथ ही, हमने पहले से ही अपनी चिकित्सीय कमेटी को यह मुद्दा भेज दिया है, जिससे भविष्य में इस तरह के मुद्दे से निपटने के लिए दिशा-निर्देश और मानक तय किए जा सकें। कोटला टेस्ट मैच में श्रीलंकाई खिलाड़ी प्रदूषण से निपटने के लिए चेहरे पर मास्क पहने दिखाई पड़े थे। यह एक ऐसी तस्वीर थी, जो पहले कभी क्रिकेट के इतिहास में मैदान पर तो नहीं ही देखी गई थी।”
लेकिन उसके बाद से अब तक इस मुद्दे पर आईसीसी ने कोई ठोस नियम कायदे नहीं बना पाया है। हालांकि इस घटना के बाद भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने यह जरूर ऐलान किया था कि भविष्य में नवंबर और दिसंबर के दौरान दिल्ली को अंतरराष्ट्रीय मैचों की मेजबानी से वंचित किया जा सकता है।
वायु प्रदूषण का खिलाड़ियों पर क्या असर होता है, इस संबंध में मेट्रो अस्पताल, नोएडा के डॉ दिनेश समुझ बताते हैं कि खिलाड़ी को खेल के दौरान काफी थकान होती है, जिसकी वजह से वह तेजी से सांस लेता है। ऐसे में प्रदूषित वातावरण उसे और उसके प्रदर्शन को प्रभावित कर सकता है। खेल के दौरान मैदान में प्रकाश कम होता है तो उसे जरूरत के अनुसार सही कर लिया जाता है, पर प्रदूषण के स्तर को कम कर पाना एक टेढ़ी खीर है।