देश के महज 13 शहरों में साफ रह गई है हवा, कटिहार बना आज का सबसे प्रदूषित शहर

हालांकि जिन शहरों में हवा संतोषजनक दर्ज की गई है वहां भी प्रदूषण डब्ल्यूएचओ द्वारा तय मानकों से कहीं ज्यादा है

By Lalit Maurya
Published: Sunday 17 December 2023

भारत के महज 13 शहरों में हवा साफ रह गई है। हालांकि इन शहरों में भी हवा विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय मानकों के आधार पर सुरक्षित नहीं है। वहीं यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर की बात करें तो कटिहार पहले स्थान पर हैं। जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बढ़कर 391 पर पहुंच गया है जो देश के सबसे साफ शहर आइजोल से 17 गुणा ज्यादा प्रदूषित है। हालांकि प्रदूषण के मामले में पटना, पूर्णिया, सहरसा, श्रीगंगानगर, तालचेर जैसे शहर भी पीछे नहीं हैं जहां वायु गुणवत्ता बेहद खराब बनी हुई है।

देश में कुछ ऐसी ही स्थिति दिल्ली की भी हैं जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 331 दर्ज किया गया है। हालांकि कल के मुकाबले दिल्ली प्रदूषण का स्तर कम जरूर हुआ है, लेकिन इसके बावजूद हवा जानलेवा बनी हुई है। बता दें कि लम्बे समय तक प्रदूषण जानलेवा साबित हो सकता है। कुल मिलकर देखें तो बढ़ते प्रदूषण का जहर अब केवल बड़े शहरों तक सीमित नहीं रह गया है, इससे छोटे शहर भी बुरी तरह प्रभावित हैं।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 17 दिसंबर 2023 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक देश के 234 में से महज 13 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 52 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) थी, जबकि 110 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) रही।

भुवनेश्वर-देहरादून सहित 46 शहरों में प्रदूषण का स्तर दमघोंटू (201-300 के बीच) रहा, जबकि पूर्णिया-श्रीगंगानगर सहित 13 शहरों में प्रदूषण का स्तर जानलेवा (301-400 के बीच) है। यदि दिल्ली की बात करें तो यहां वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' श्रेणी में है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 23 अंक गिरकर 331 पर पहुंच गया है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 275, गाजियाबाद में 283, गुरुग्राम में 265, नोएडा में 296, ग्रेटर नोएडा में 300 पर पहुंच गया है। 

देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 126 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के 'मध्यम' स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 217, चेन्नई में 74, चंडीगढ़ में 227, हैदराबाद में 115, जयपुर में 146 और पटना में 337 दर्ज किया गया।  

देश के इन शहरों की हवा रही सबसे साफ 

देश के जिन महज 13 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें आइजोल 23, अरियालूर 48, चामराजनगर 41, मदिकेरी 30, मैहर 40, मैसूर 48, नाहरलगुन 42, पालकालाइपेरुर 34, पुदुचेरी 48, रामानगर 45, रामनाथपुरम 29, सलेम 48 और सिलचर 29 शामिल रहे।

वहीं अजमेर, अलवर, अनंतपुर, बागलकोट, बरेली, बाड़मेर, बेलगाम, बेंगलुरु, ब्रजराजनगर, चेंगलपट्टू, चेन्नई, छाल, चिकबलपुर, चित्तूर, दमोह, दावनगेरे, धारवाड़, एलूर, गडग, गांधीनगर, गंगटोक, हावेरी, हुबली, झांसी, कडपा, कलबुर्गी, कांचीपुरम, कन्नूर, करौली, कोहिमा, कोलार, कोल्लम, कोप्पल, कोरबा, मंगलौर, मंगुराहा, मिलुपारा, राजसमंद, सागर, शिलांग, शिवमोगा, सिरोही, सिरसा, शिवसागर, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, तिरुपति, उदयपुर, वाराणसी, विजयपुरा, विजयवाड़ा, वृंदावन, आदि 52 शहरों में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया। 

क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, इसे कैसे जा सकता है समझा?

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।

वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।

इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है। 

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