बड़े शहरों को पीछे छोड़ जलना में जानलेवा हुआ प्रदूषण, दिल्ली में भी 43 अंक बढ़ा सूचकांक

देश के छह शहरों में हवा दमघोंटू बनी हुई है। इन शहरों में बारीपदा (243), फरीदाबाद (209), गुरूग्राम (236), रूपनगर (216), श्रीगंगानगर (291) और उल्हासनगर (207) शामिल हैं

By Lalit Maurya
Published: Thursday 07 March 2024

देश में बड़े शहरों को पीछे छोड़ जलना में वायु प्रदूषण जानलेवा स्तर पर पहुंच गया है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक जलना में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 335 पर पहुंच गया है। बता दें कि कल देश के किसी भी शहर में प्रदूषण का स्तर जानलेवा श्रेणी में नहीं था। वहीं दिल्ली में भी प्रदूषण में इजाफा दर्ज किया गया है, जहां एक्यूआई 43 अंक बढ़कर 181 पर पहुंच गया है। हालांकि इसके बावजूद दिल्ली में प्रदूषण का स्तर मध्यम श्रेणी में बना हुआ है। इसी तरह देश के छह शहरों में हवा दमघोंटू बनी हुई है। इन शहरों में बारीपदा (243), फरीदाबाद (209), गुरूग्राम (236), रूपनगर (216), श्रीगंगानगर (291) और उल्हासनगर (207) शामिल हैं।

वहीं दूसरी तरफ देश में तुमकुरु की हवा सबसे ज्यादा साफ है जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 25 दर्ज किया गया है। इसी तरह देश के छोटे बड़े अन्य 12 शहरों में भी वायु गुणवत्ता का स्तर बेहतर है। वहीं उन शहरों की बात करें जहां वायु गुणवत्ता संतोषजनक है, तो इन शहरों की संख्या में कल के मुकाबले गिरावट आई है। बता दें कि जहां कल 128 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक दर्ज की गई थी। वहीं आज यह आंकड़ा घटकर 115 पर पहुंच गया है। वहीं देश के 113 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी की है। आंकड़ों की मानें तो देश में बड़े शहरों की तुलना में छोटे शहरों में प्रदूषण से स्थिति कहीं ज्यादा खराब है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा सात मार्च 2024 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 248 में से 13 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 115 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) है, गौरतलब है कि छह मार्च 2024 यह आंकड़ा 128 दर्ज किया गया था। 113 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) रही।

वहीं छह शहरों बारीपदा (243), फरीदाबाद (209), गुरूग्राम (236), रूपनगर (216), श्रीगंगानगर (291) और उल्हासनगर (207) में वायु गुणवत्ता 'खराब' (201-300 के बीच) दर्ज की गई, जबकि जलना (335) में प्रदूषण का स्तर जानलेवा बना हुआ है।  

यदि दिल्ली की बात करें तो यहां वायु गुणवत्ता 'मध्यम' श्रेणी में है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 43 अंक बढ़कर 181 पर पहुंच गया है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 209, गाजियाबाद में 137, गुरुग्राम में 236, नोएडा में 150, ग्रेटर नोएडा में 185 पर पहुंच गया है।

देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 108 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के 'मध्यम' स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 89, चेन्नई में 81, चंडीगढ़ में 146, हैदराबाद में 83, जयपुर में 122 और पटना में 138 दर्ज किया गया।  

देश के इन शहरों की हवा रही सबसे साफ 

देश के जिन 13 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें बागलकोट 46, बेलगाम 49, बिहारशरीफ 42, बिलासपुर 49, चामराजनगर 46, मदिकेरी 36, मैहर 48, मिलुपारा 44, पालकालाइपेरुर 37, पंचकुला 44, तुमकुरु 25, उडुपी 50 और वाराणसी 32 शामिल रहे।

वहीं आगरा, आइजोल, अकोला, अलवर, अमरावती, अंबाला, अमरावती, अंकलेश्वर, अरियालूर, आरा, औरंगाबाद (बिहार), औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बागपत, बरेली, बाड़मेर, भिलाई, भुवनेश्वर, ब्रजराजनगर, चेंगलपट्टू, चेन्नई, छाल, चिक्कामगलुरु, चुरू, कुड्डालोर, कटक, दावनगेरे, देहरादून, देवास, धारवाड़, एलूर, फतेहाबाद, फिरोजाबाद, गडग, गंगटोक, गया, हुबली, हैदराबाद, इंफाल, इंदौर, जैसलमेर, जालंधर, झालावाड़, झांसी, जींद, जोधपुर, कडपा, कैथल, कलबुर्गी, कन्नूर, कानपुर, करनाल, कारवार, काशीपुर, क्योंझर, खन्ना, खुर्जा, कोच्चि, कोलार, कोल्लम, कोप्पल, कोरबा, कुंजेमुरा, कुरूक्षेत्र, लातूर, लखनऊ, लुधियाना, मांडीखेड़ा, मानेसर, मंगलौर, मंगुराहा, मेरठ, मुरादाबाद, मोतिहारी, मैसूर, नागपुर, नाहरलगुन, नारनौल, नासिक, ऊटी, पाली, परभनी, पटियाला, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुदुचेरी, पूर्णिया, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, राजगीर, राजसमंद, रामानगर, ऋषिकेश, सागर, सहरसा, समस्तीपुर, सांगली, सतना, शिलांग, शिवमोगा, सिलचर, सिरोही, शिवसागर, सुआकाती, सूरत, टेंसा, तिरुवनंतपुरम, त्रिशूर, तिरुपति, तुमिडीह, उदयपुर, विजयपुरा, विजयवाड़ा, विशाखापत्तनम, यादगीर और  यमुनानगर आदि 115 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया। 

क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, इसे कैसे जा सकता है समझा?

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।

वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।

इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है। 

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