सावधान : पराली, पटाखे और मौसम मिलकर दिल्ली-एनसीआर में पैदा कर सकते हैं एयर इमरजेंसी
दिल्ली-एनसीआर के शहर एक बार फिर गंभीर वायु प्रदूषण का सामना कर सकते हैं। केंद्रीय एजेंसियों ने आगाह किया है कि बीमार लोग सचेत रहें।
By Vivek Mishra
Published: Wednesday 03 November 2021
दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत में प्रदूषकों को फंसा कर रखने वाले मौसम ने दस्तक दे दिया है। देरी से बुआई और अक्तूबर तक हुई वर्षा के कारण पंजाब-हरियाणा-पश्चिमी उत्तर प्रदेश के खेतों में अचानक पराली जलाने की घटनाएं तेज हो रही हैं। वहीं यदि दीवाली पर पटाखे दगाए गए और मौसम एजेंसियों के अनुमान के मुताबिक पंजाब-हरियाणा से हवा की दिशा दिल्ली की तरफ हुई तो वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बहुत खराब से - गंभीर श्रेणी में दाखिल हो सकती है। दिल्ली समेत आस-पास के कई इलाके प्रदूषण के हॉटस्पॉट बन सकते हैं और गंभीर श्रेणी के ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान को लागू करना पड़ सकता है। गंभीर श्रेणीँ की वायु गुणवत्ता न सिर्फ बीमार व्यक्ति के लिए घातक हैं बल्कि स्वस्थ्य लोगों पर भी इसका दुष्प्रभाव पड़ सकता है।
पृथ्वी मंत्रालय के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेट्रोलॉजी (आईआईटीएम) के मुताबिक दिल्ली और एनसीआर के प्रमुख शहरों ( फरीदाबाद, गुरुग्राम, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, नोएडा) में धीरे- धीरे एक्यूआई बिगड़ना शुरू हो चुका है। खासतौर से श्वसन और दिल से जुड़ी बीमार लोगों को अलर्ट के जरिए सचेत किया जा रहा है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की ओर से जारी एक्यूआई रिपोर्ट यह बताती है कि प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। 4 और 5 नवंबर को यह और घातक हो सकता है। देखिए सीपीसीबी के 24 घंटे एक्यूआई रिपोर्ट का टेबल :
शहर | 2 नंवंबर | 3 नवंबर | श्रेणी |
दिल्ली | 303 | 314 | बहुत खराब |
फरीदाबाद | 306 | 337 | बहुत खराब |
गुरुग्राम | 287 | 330 | बहुत खराब |
ग्रेटर नोएडा | 276 | 286 | बहुत खराब |
नोएडा | 300 | 327 | बहुत खराब |
गाजियाबाद | 334 | 353 | बहुत खराब |
बागपत | 320 | 338 | बहुत खराब |
भिवाड़ी | 245 | 253 | खराब |
सीपीसीबी के एक्यूआई के मुताबिक अक्तूबर में मॉडरेट और खराब वायु गुणवत्ता के बाद नवंबर महीने में उत्तर भारत के कई शहर इन दिनों मध्यम से खराब वायु गुणवत्ता वाली हवा झेल रहे हैं।
वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 24 घंटे की औसत वायु गुणवत्ता के आंकड़ों को प्रदर्शित करते हैं। सीपीसीबी के मुताबिक 1-50 का एक्यूआई अच्छा, 51 से 100 का एक्यूआई संतोषजनक, 101 से 200 का एक्यूआई मध्यम (मॉडरेट), 201-300 का एक्यूआई खराब, 301 से 400 का एक्यूआई बहुत खराब और 401 से अधिक का एक्यूआई गंभीर श्रेणी की वायु गुणवत्ता को दर्शाता है।
दीवाली के आस-पास होने वाले वायु प्रदूषण पर दो केंद्रीय एंजेंसियां वायु गुणवत्ता पर निगरानी रख रहीं हैं। इनमें केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) व पृथ्वी मंत्रालय का पुणे स्थित इंडयन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेट्रोलॉजी (आईआईटीएम) शामिल हैं। दोनों एजेंसियों की फोरकास्टिंग रिपोर्ट आगाह कर रही है कि मौसम की स्थितियां पलट रही हैं और दीवाली में स्थानीय प्रदूषण वायु गुणवत्ता को बहुत खराब स्तर की ऊंचाई पर या गंभीर स्तर तक भी पहुंचा सकता है।
आईआईटीएम के मुताबिक दिल्ली में 4 और 5 नवंबर को एक्यूआई बहुत खराब स्थिति में रह सकता है, जिसमें मुख्य प्रदूषक पीएम 10 का स्तर 300 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और पीएम 2.5 का स्तर 150 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक जा सकता है।
इतना ही नहीं, ऊपरी गंगा मैदान में पंजाब के अमृतसर से लेकर उत्तर प्रदेश के वाराणसी तक वायु गुणवत्ता खराब से बहुत खराब स्तर की हो चुकी है। यह आंकड़ा 2 नवंबर, दोपहर 12 बजे तक की स्थिति प्रदर्शित करता है, सीएसई की वायु गुणवत्ता निगरानी टीम ने इसे तैयार किया है, इसे इस टेबल में देख सकते हैं -
नई दिल्ली स्थिति थिंक-टैंक सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरमेंट की क्लीन एयर एंड सस्टेनबल मोबिलिटी टीम की डिप्टी प्रोग्राम मैनेजर शाम्भवी शुक्ला ने बताया कि दीवाली के बाद 5 नवंबर की सुबह 2021 को 04 से 08 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली उत्तर-पश्चिमी हवा दिल्ली की तरफ आ सकती है। इस हवा में पराली प्रदूषक भी होते हैं जो दिल्ली के पीएम प्रदूषण का बोझ बढ़ा सकते हैं
10 किलोमीटर प्रति घंटे से कम रफ्तार से वाली हवा प्रदूषकों को बिखेरने में मददगार नहीं होती है। इसके अलावा अनुमान है कि दिल्ली में 6 नवंबर को प्रदूषण कणों को बाहर निकलने का रास्ता भी बाधित हो सकता है क्योंकि वेंटिलेशन इंडेक्स 6000 वर्ग मीटर प्रति सेंकेड से कम रह सकता है।
सीएसई के सस्टेनबल सिटीज प्रोग्राम के प्रोग्राम मैनेजर व एक्सपर्ट अविकल सोमवंशी ने बताया कि दीवाली के बाद 5 नवंबर, 2021 को पराली प्रदूषण का दिल्ली की हवा में शेयर जो अभी 10 फीसदी है वह 40 फीसदी तक पहुंच सकता है ऐसे में एक्यूआई गंभीर श्रेणी में पहुंच सकती है। इसके अलावा एक और कंडीशन है यदि 2019 में जितने पटाखे जलाए गए थे उसका यदि 50 फीसदी भी इस बार जलाया गया तो भी एक्यूआई गंभीर श्रेणी में पहुंच सकती हैं।
अविकल के मुताबिक इस साल वेदर फैक्टर और प्रतिबंधों में छूट, पराली प्रदूषण मिलाकर प्रदूषण का पीक पॉल्यूशन बीते कुछ वर्षों के मुकाबले ज्यादा हो सकता है। हालांकि, यह संभव है कि जैसा ट्रेंड है कि यह ज्यादा दिन ठहर नहीं रहा, ऐसे में इस बार भी जल्द ही राहत मिल सकती है।