तीन मिनट, एक मौत : संसद में भी उठा मामला

सदन में हेल्थ इमरजेंसी घोषित करने की मांग उठी। संसद सदस्य वंदना च्वहाण ने कहा कि पूरे देश में पुणे की तर्ज पर कार्बन इंवेटरी बननी चाहिए।

By Vivek Mishra
Published: Thursday 21 November 2019
Photo : Vikas Choaudhry

देश की संसद में वायु प्रदूषण के मुद्दे पर राजनीतिक पार्टियों के बीच एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप व नोक-झोंक जारी है। इस बीच अक्तूबर में डाउन टू अर्थ की ओर से प्रकाशित विशेष रिपोर्ट “तीन मिनट : एक मौत” की गूंज 21 नवंबर, 2019 को राज्यसभा में भी सुनाई दी। रिपोर्ट में बताया गया था कि कैसे वायु प्रदूषण के कारण निचले फेफड़े के संक्रमण से हर तीन मिनट में पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चे की मौत हो जाती है।  

राज्यसभा में ध्यानाकर्षण के दौरान महाराष्ट्र से एनसीपी की वंदना च्वहाण ने राज्यसभा में कहा कि यह बेहद चिंताजनक है कि देश में हर तीन मिनट में एक बच्चे की मौत वायु प्रदूषण के कारण हो रही है। वहीं, हमारा पूरा ध्यान सिर्फ दिल्ली पर नहीं होना चाहिए। सदन में वायु प्रदूषण में पराली की 4 फीसदी हिस्सेदारी को लेकर भी बात उठी। किसानों को वायु प्रदूषण का जिम्मेदार मानने के लिए राजनीतिक पार्टियों के सदस्यों ने एक दूसरे पर आरोप भी लगाया। 

वहीं, कर्नाटक से कांग्रेस के संसद सदस्य डॉक्टर एल हनुमंतय्या ने सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरमेंट की 2017 बॉडी बर्डेन लाइफ डिजीजेज रिपोर्ट का हवाला देकर कहा कि देश में वायु प्रदूषण के कारण 30 फीसदी समयपूर्व मौते, कैंसर और मेंटल डिजीज हो रही हैं। वहीं प्रदूषण के कारण समयपूर्व मौतों में बढ़ोत्तरी हुई है। उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के हवाले से यह भी कहा कि बच्चों में निचले फेफड़े के संक्रमण से सबसे ज्यादा मौतें बच्चों की हो रही हैं।  सदन में वंदना च्वहाण ने कहा कि पूरे देश में पुणे की तर्ज पर कार्बन इंवेटरी बननी चाहिए।

केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि वायु प्रदूषण पर रोकथाम के लिए एक कॉमन मिनिमम एजेंडा बनना चाहिए। साथ ही विपक्ष नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि यह समय एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का नहीं है। जरूरत है कि सभी राज्यों के मुख्यमंत्री एक दूसरे से मिलकर बैठक करनी चाहिए। इसके बाद ही कोई समाधान निकल सकता है। वहीं, सदन में हेल्थ इमरजेंसी घोषित करने की मांग भी सरकार से की गई है।

 

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