पटना में सूखने लगे ट्रांसलोकेट किए गए पेड़

पटना में जहां वायु प्रदूषण बढ़ रहा है, वहां पुराने पेड़ों को एक जगह से हटाकर दूसरी जगह लगाने की योजना विफल रही है

By Pushya Mitra
Published: Monday 24 February 2020
पटना में नव निर्मित आर ब्लॉक-दीघा रोड के किनारे ट्रांसलोकेट किये गए पेड़ सूख रहे हैं। फोटो: पुष्यमित्र

पिछले साल जब बिहार की राजधानी पटना में सड़कों की चौड़ा करने और दूसरे निर्माण कार्यों की वजह से पुराने पेड़ों की कटाई होने लगी थी तो शहर के जागरूक नागरिकों ने उसका तीखा विरोध किया था। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के हस्तक्षेप के बाद उस वक़्त बिहार सरकार ने कहा था कि अब पेड़ों की कटाई नहीं होगी, उन्हें मशीन से ट्रांसलोकेट (स्थानांतरित) किया जाएगा। उस वक़्त बाहर से मशीन मंगवा कर कुछ पेड़ों को स्थानांतरित किया भी गया, मगर जुलाई, 2019 से ही पेड़ों के स्थानांतरण का काम ठप है, क्योंकि पटना नगर निगम ने इस काम के लिये जरूरी पांच ट्रांसलोकेशन मशीनों की खरीदारी नहीं की है।

एक सरकारी आवास समूह तैयार करने के लिये पटना के गर्दनीबाग मोहल्ले से 75 हजार पुराने पेड़ों को हटाना है, मगर ट्रांसलोकेट मशीन नहीं होने की वजह से परियोजना भी रुकी है और पेड़ों का स्थानांतरण भी। पटना नगर निगम की मेयर सीता साहू का कहना है कि जून, 2019 में ही पांच मशीनों की खरीदारी के लिये 5 करोड़ की योजना स्वीकृत हुई थी। मगर राशि के अभाव में अब तक मशीन खरीदी नहीं जा सकी।
 
शहर के तरु मित्र फाउंडेशन से जुड़े पर्यावरण कार्यकर्ता नागेश कहते हैं कि हमने शुरू से ही इस पद्धति का विरोध किया। क्योंकि हमें मालूम है ट्रांसलोकेशन की प्रक्रिया छोटे पेड़ों में ही सफल होती है, बड़े पेड़ों में नहीं।

नागेश की बात इसलिये भी सच मालूम होती है, क्योंकि पटना के आर ब्लॉक-दीघा सड़क के किनारे ट्रांसलोकेट करके लगाए गए तमाम पेड़ सूख गए हैं। इस सड़क के किनारे 15 सौ पेड़ों को लगाने की योजना है। इसके अलावा शेष पेड़ों को गंगा नदी के किनारे लगाने की योजना है।

नागेश कहते हैं, वैसे भी लगातार प्रदूषण की मार झेल रहे पटना शहर से किसी भी पेड़ को हटाना ठीक नहीं। गर्दनीबाग जैसे इलाके से हटा कर पेड़ों को गंगा के किनारे लगाने से क्या लाभ। गंगा तट का पर्यावरण तो वैसे भी ठीक रहता है, हमें शहर की आबोहवा ठीक करने की जरूरत है। नागेश की संस्था तरुमित्र ने पटना शहर में पेड़ों की कटाई को रोकने के लिये हाइकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की थी। बाद में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने शहर से पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी।

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