हर साल सिगरेट से पैदा हो रहा है 76.6 करोड़ किलोग्राम हानिकारक कचरा

दुनिया भर में हर साल 6 लाख करोड़ से ज्यादा सिगरेट का उत्पादन किया जाता है। इनमें हर सिगरेट में फिल्टर या बट होते हैं। समस्या तब पैदा होती है जब इन्हें ऐसे ही खुले में फेंक दिया जाता है

By Lalit Maurya
Published: Friday 04 February 2022

क्या आप जानते हैं कि केवल सिगरेट पीना ही स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं है, इसके कारण पैदा होने वाला कचरा भी पर्यावरण और स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहा है। अनुमान है कि हर साल सिगरेट पीने के बाद जो बचा हुआ हिस्सा फेंक दिया जाता है वो दुनिया भर में 76.6 करोड़ किलोग्राम हानिकारक कचरा पैदा कर रहा है।

ऐसे में इस समस्या को उजागर करने के लिए संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूनेप) और विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (डब्‍ल्‍यूएचओ) के फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल ने एक सोशल मीडिया अभियान शुरू किया है।  इस साझेदारी को यूनेप के क्लीन सी कैंपेन का सहयोग प्राप्त है, जोकि 63 देशों का एक वैश्विक गठबंधन है। इसका मकसद समुद्र में बढ़ते प्लास्टिक प्रदूषण को दूर करना है। 

सिगरेट के कारण पैदा होने वाले इस कचरे की समस्या कितनी बड़ी है इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि दुनिया भर में हर साल 6 लाख करोड़ से ज्यादा सिगरेट का उत्पादन किया जाता है। इनमें हर सिगरेट में फिल्टर या बट होते हैं, जो मुख्य रूप से माइक्रोप्लास्टिक के बने होते हैं, जिन्हें सेल्युलोज एसीटेट फाइबर के रूप में जाना जाता है।

दुनिया में सबसे ज्यादा फेंका जाने वाला कचरा है सिगरेट बट

समस्या तब पैदा होती है जब सिगरेट के इन टुकड़ों का ठीक से निपटान नहीं किया और उन्हें ऐसे ही खुले में फेंक दिया जाता है। देखा जाए तो सिगरेट के यह टुकड़े दुनिया भर में सबसे ज्यादा फेंका जाने वाला कचरा है। धूप और नमी के चलते सिगरेट के यह टुकड़े टूटने लगते हैं, जिनसे माइक्रोप्लास्टिक, भारी धातुएं और कई अन्य रसायन निकलने लगते हैं। यह हानिकारक तत्व हमारे इकोसिस्टम और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं।  

अनुमान है कि सिगरेट के इन टुकड़ों और बट से हर साल करीब 76.6 करोड़ किलोग्राम हानिकारक कचरा पैदा हो रहा है। यह तटों पर मिलने वाला सबसे आम प्लास्टिक कचरा है, जिसे हर जगह देखा जा सकता है। इस कचरे की वजह से समुद्री इकोसिस्टम रिसाव के प्रति कहीं ज्यादा संवेदनशील हो जाता है।

इतना ही नहीं जब इस कचरे को पक्षी, मछलियों या अन्य जीवों द्वारा निगल लिया जाता है तो वो लम्बे समय में इन जीवों के स्वास्थ्य पर गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है, यहां तक की इसकी वजह से उन जीवों की मृत्यु तक हो सकती है। 

संयुक्त राष्ट्र द्वारा शुरु किए गए इस सोशल मीडिया अभियान का उद्देश्य प्रभावशाली लोगों के साथ-साथ यूनेप से जुड़े सद्भावना राजदूतों और पृथ्वी के युवा चैंपियंस को भी इसमें शामिल करना है। साथ ही इस बात की वकालत करना भी है कि प्लास्टिक फिल्टर वाले सभी तंबाकू उत्पादों में इसकी स्पष्ट रूप से जानकारी देना अनिवार्य हो। साथ ही लोगों को भी इस बारे में जागरूक करना है जिससे वो भी इसके खतरे को पहचान सकें।   

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