क्या है प्लास्टिग्लोमरेट और कैसे समुद्र के लिए बन रहा है खतरा?

आने वाले समय में दुनिया भर का तटीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए प्लास्टिग्लोमरेट एक बड़ा खतरा बन सकता है

By Dayanidhi
Published: Friday 21 July 2023
प्लास्टिग्लोमरेट अंडमान और निकोबार के एवेस द्वीप से बरामद किया गया। फोटो साभार: नेचर इंडिया, प्रसून गोस्वामी

प्लास्टिक का कचरा हमारे समुद्र तटों के लिए एक बहुत बड़ी समस्या है। अनियमित अपशिष्ट निपटान के कारण यह दुनिया के तटों पर कई महीनों से लेकर वर्षों तक फैला रह सकता है। अक्सर समुद्र तट पर कूड़ा-कचरा जला दिया जाता है और प्लास्टिक कचरे का एक विशेष रूप बनता है जिसे प्लास्टिग्लोमरेट कहते हैं। यह "चट्टान" प्राकृतिक चीजों से बनी होती है, जैसे मूंगे के टुकड़े, जो पिघले और फिर से जमा किए गए प्लास्टिक द्वारा एक साथ रखे जाते हैं।

कील विश्वविद्यालय में एक जर्मन-इंडोनेशियाई शोध दल द्वारा किए गए एक नए अध्ययन में इंडोनेशिया के क्षेत्रीय नमूनों का उपयोग करते हुए दिखाया गया है कि ऐसी चट्टानें समुद्री घास के तल, मैंग्रोव या मूंगा चट्टानों जैसे तटीय पारिस्थितिक तंत्रों के लिए एक भारी पर्यावरणीय खतरा पैदा करती हैं। पिघला हुआ प्लास्टिक माइक्रोप्लास्टिक में अधिक तेजी से विघटित होता है और कार्बनिक प्रदूषकों से भी दूषित होता है। इस शोध के निष्कर्ष जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित किए गए हैं

शोधकर्ताओं के मुताबिक, अब तक, प्लास्टिग्लोमरेट के बनने का वर्णन करने वाले बहुत कम अध्ययन हुए हैं। अध्ययन में पहली बार दिखाया है कि प्लास्टिग्लोमरेट अन्य प्लास्टिक कचरे से कैसे अलग है और इसके पर्यावरणीय प्रभाव के बारे में बेहतर जानकारी दे सकते हैं।

नई जानकारी

यदि प्लास्टिक के कचरे को सीधे समुद्र तट पर जलाया जाता है, तो यह पिघलने और जलने की प्रक्रिया प्लास्टिग्लोमरेट "चट्टान" उत्पन्न करती है, जिसके प्लास्टिक मैट्रिक्स में कार्बन श्रृंखलाएं नष्ट हो जाती हैं। यह रासायनिक रूप से टूटा हुआ प्लास्टिक समुद्र तट पर हवा, लहरों और तलछट कणों के संपर्क के माध्यम से अधिक तेजी से माइक्रोप्लास्टिक में बदल जाता है।

जलने से प्लास्टिक से नए प्रदूषक निकलते हैं जो पहले प्लास्टिक पर जमते हैं और फिर वातावरण में फैल जाते हैं। इन प्रदूषकों में अक्सर मूल प्लास्टिक की तुलना में अधिक इकोटॉक्सिकोलॉजिकल या जहरीली चीजें होती है, जैव उपलब्ध होते हैं और इस प्रकार ये खाद्य श्रृंखला में मिल सकते हैं।

वैज्ञानिकों ने इंडोनेशियाई द्वीप जावा के पश्चिमी किनारे पर पंजांग द्वीप के समुद्र तटों से कुल 25 नमूने एकत्र किए और प्रयोगशाला में उनका विश्लेषण किया। विश्लेषण से पता चलता है कि प्लास्टिग्लोमेरेट कार्बनिक प्रदूषकों से दूषित हैं। हालांकि जैव संचय पर आगे के परिणाम अभी भी आने बाकी हैं, उन्हें इंसानों के लिए कैंसरकारी के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है

प्रयोगशाला में प्रदूषकों की रासायनिक जांच

शोधकर्ताओं ने पहले मानदंडों के अनुसार प्लास्टिग्लोमरेट नमूनों को कम और अधिक पिघले या जलाए गए नमूनों को अलग-अलग किया और सॉल्वैंट्स की मदद से अस्थिर प्रदूषकों को निकाला। शोध में कहा  गया है कि, ये विश्लेषण, जो भूविज्ञान संस्थान में प्रोफेसर लोरेंज श्वार्क के ऑर्गेनिक जियोकेमिस्ट्री ग्रुप में किए गए थे, उदाहरण के लिए, पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (पीएएच) और फ़ेथलेट्स के साथ प्रदूषण का पता चला, जो प्लास्टिक के लिए प्लास्टिसाइज़र के रूप में उपयोग किए जाते हैं। विशेषज्ञ दोनों वर्गों के पदार्थों को कैंसर पैदा करने की उच्च क्षमता वाला मानते हैं।

शोधकर्ताओं ने पॉलीप्रोपाइलीन (पीपी) या पॉलीइथाइलीन (पीई) या उनके मिश्रण जैसे पॉलिमर की प्रकृति की पहचान करने के लिए भौतिक रासायनिक तरीकों और इनकी डेटाबेस के साथ तुलना की। उन्होंने मौसम के आधार पर जांच करने के लिए फूरियर ट्रांसफॉर्म इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी (एफटीआईआर) का उपयोग कर इसकी माप की। परिणाम में पाया गया कि, जो क्षेत्र पहले से ही जलने की अधिक प्रक्रिया में थे, उनमें अपक्षय और ऑक्सीकरण की अधिक मात्रा देखी गई।

तटीय पारिस्थितिकी तंत्र पर कई प्रभाव पड़ने के आसार

शोधकर्ता कहते हैं कि, पर्यावरणीय नुकसान का बेहतर आकलन करने के लिए, हम वर्तमान में प्लास्टिक से जुड़े कार्बनिक प्रदूषकों, जैसे ऑर्गेनोफॉस्फोरस यौगिकों की सटीक संरचना पर शोध कर रहे हैं। प्लास्टिग्लोमेरेट्स की आसानी से नष्ट होने की प्रवृत्ति भी दिलचस्प है। उन्होंने कहा, आम तौर पर, यूवी प्रकाश द्वारा फोटो-ऑक्सीकरण प्लास्टिक की ऊपरी परत को प्रभावित करता है। लेकिन प्लास्टिक कचरे को जलाने से थर्मो-ऑक्सीकरण सामग्री की आंतरिक संरचनाओं को भी बदल देता है।

भविष्य में, इंडोनेशिया के साथ-साथ दुनिया भर के उष्णकटिबंधीय पानी के कई तटीय पारिस्थितिकी तंत्र प्लास्टिग्लोमेरेट से प्रभावित होंगे। अध्ययनों से पता चला है कि कार्बनिक प्रदूषक कोरल या अन्य समुद्री जीवों में भी पहुंच जाते हैं और इस तरह समुद्र के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए आगे के अध्ययन अन्य पारिस्थितिक तंत्रों जैसे समुद्री घास के तल, मैंग्रोव या तलछट में रहने वाले जीवों पर भी ध्यान दिया जा रहा है।

शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि, सामान्य प्लास्टिक कचरे की तुलना में, प्लास्टिग्लोमेरेट के अनोखे गुणों के लिए तटीय प्रबंधन के एक विशिष्ट रूप की आवश्यकता होती है। यदि उष्णकटिबंधीय समुद्र तटों पर शहरी क्षेत्रों से निकलने वाले कचरे का बेहतर निपटान और प्रबंधन किया जाए, तो एक गंभीर समस्या को रोका जा सकता है।

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