1976 से क्रोमियम प्रदूषण से जूझ रही गंगा, एनजीटी ने कहा तत्काल नैनो फिल्टेरेशन जैसे उपाय अपनाएं

एक साल में 280 करोड़ रुपए पर्यावरणीय जुर्माना भरने में आठ औद्योगिक ईकाइयां विफल रहीं।

 

By Vivek Mishra
Published: Friday 19 May 2023

उत्तर प्रदेश में कानपुर देहात के रनिया इलाके में खतरनाक अपशिष्ट क्रोमियम को अब तक वैज्ञानिक तरीके से सही ठिकाने पर नहीं पहुंचाया जा सका है। 1976 से ही टैनरीज के जरिए निकलने वाले क्रोमियम अपशिष्ट का मामला अदालत में जारी है। इस क्रोमियम के कारण न सिर्फ लोगों का स्वास्थ्य दांव पर लगा हुआ है बल्कि भू-जल में इसकी मिलावट हो रही है। चार साल से इस मामले की सुनवाई कर रहे नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कहा कि जाजमऊ में गंगा का पानी डी श्रेणी में बना हुआ है। जाजमऊ स्थित कॉमन इफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) का निर्माणकार्य भी संतुष्टिजनक नहीं है। पीठ ने कहा कि उत्तर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड यह सुनिश्चित करे कि खतरनाक क्रोमियम युक्त अपशिष्ट गंगा में न जाने पाए। वहीं, पीठ ने सरकार से स्थिति रिपोर्ट भी तलब की है।

16 मई, 2023 को एनजीटी में हुई सुनवाई में यह स्पष्ट हुआ कि जिन आठ रासायनिक औद्योगिक ईकाइयों पर प्रदूषण फैलाने के लिए उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 14 अप्रैल, 2022 को 280 करोड़ रुपए का पर्यावरणीय जुर्माना लगाया था, उसे एक साल बाद भी अभी तक वसूला नहीं जा सका है। बीते वर्ष एनजीटी ने 280 करोड़ रुपए जुर्माने की समीक्षा करते हुए इसे 210 करोड़ के आस-पास कर दिया था।

वहीं, रनिया के खानचंदपुर में प्रदूषित भू-जल की सफाई के लिए उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अभी तक कोई कदम नहीं उठा पाया है। यूपीपीसीबी की ओर से अदालत को बताया गया कि भू-जल की सफाई के लिए दक्ष और तकनीकी हितधारकों को आमंत्रित किया गया था हालांकि इस दिशा में किसी ने दिलचस्पी अभी तक नहीं दिखाई है। यूपीपीसीबी ने यह भी कहा कि क्रोमियम प्रदूषण का प्रभाव भू-जल पर कितना हुआ है इसे भी देखने की जरूरत है।

एनजीटी ने कहा कि पंप और ट्रीट जैसे उपाय दीर्घकाल के लिए हैं। बल्कि भू-जल में क्रोमियम प्रदूषण से उपाय के लिए आरओ और नैनो फिल्टरेशन सिस्टम प्रमुखता के साथ लगाया जाना चाहिए ताकि तत्काल उपाय किए जा सकें।

पीठ ने एनएमसीजी की कमेटी, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और कानपुर देहात के जिलाधिकारी से क्रोमियम प्रदूषण की स्थिति रिपोर्ट और पाइलट योजना के तहत नैनो फिल्टरेशन जैसे उपायों पर 15 नवंबर, 2023 तक रिपोर्ट तलब की है। मामले की अगली सुनवाई 29 नवंबर, 2023 को होगी।

क्रोमियम प्रदूषण को कार्सियोजेनिक यानी कैंसरकारी भी माना गया है। ऐसे में यह खतरनाक प्रदूषण अभी तक गंगा में गिरना बंद नहीं हुआ है। खानचंदपुर के आसपास भू-जल में भी इसके प्रबलता से होने के आसार हैं। 

Subscribe to Weekly Newsletter :