हरियाणा में वर्षों से जमा कचरे के करीब 59 फीसदी हिस्से को कर लिया गया है प्रोसेस

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

By Susan Chacko, Lalit Maurya
Published: Tuesday 17 January 2023

हरियाणा के शहरी स्थानीय निकाय विभाग द्वारा दायर रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि हरियाणा में वर्षों से जमा 54.18 लाख मीट्रिक टन कचरे में से करीब 31.9 लाख मीट्रिक टन कचरे यानी 58.87 फीसदी को प्रोसेस कर लिया गया है, हालांकि इसमें गुरुग्राम शामिल नहीं है।

गौरतलब है कि यह रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा 9 मई, 2022 को दिए एक आदेश पर हरियाणा की ओर से कोर्ट में दाखिल की गई है। इतना ही नहीं नगर पालिकाओं ने जानकारी दी है कि प्रोसेस किए हुए पारंपरिक कचरे के हिस्सों का वैज्ञानिक तरीके से निपटान किया जा रहा है।

पता चला है कि प्रोसेस किए गए इस 31.9 लाख मीट्रिक टन कचरे में से करीब 29.3 लाख मीट्रिक टन संसाधित अंश जैसे कि खाद/मृदा, आरडीएफ, कंस्ट्रक्शन एंड डेमोलिशन वेस्ट आदि में से करीब 24.38 लाख मीट्रिक टन का निपटान नगर पालिकाओं द्वारा अब तक किया जा चुका है और इससे करीब 101.05 एकड़ भूमि का पुनर्ग्रहण किया गया है।

वहीं यदि 39 शहरी स्थानीय निकाय (यूएलबी) में पैदा होते कचरे की बात करें तो उसमें भी सुधार कार्य प्रगति पर है। पता चला है कि इन स्थानीय निकायों में हर दिन करीब 2,642.45 टन कचरा पैदा हो रहा है, जिसमें से करीब 2,146 टन कचरे को हर दिन प्रोसेस किया जा रहा है और बाकी बचे कचरे को डंप साइटों पर डंप किया जा रहा है।

इतना ही नहीं रिपोर्ट के अनुसार शहरी स्थानीय निकाय विभाग (यूएलबीडी) ने नगर पालिकाओं में ताजा कचरे के प्रसंस्करण में जो अंतर है उसे प्रबंधित करने के लिए भिवानी, सिरसा और करनाल-कैथल-कुरुक्षेत्र के एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (आईएसडब्ल्यूएम) क्लस्टर के लिए कंसेसियनार का चयन किया है।

त्रिवेणी घाट पर ओवरफ्लो होते सीवर चैंबर गंगा को कर रहे हैं मैला, एनजीटी ने दिए जांच के आदेश

एनजीटी ने 12 जनवरी 2023 को एक संयुक्त समिति को निर्देश दिया है कि वो ऋषिकेश में गंगा नदी के त्रिवेणी घाट पर स्थित सीवर चैम्बर्स से होते ओवरफ्लो और उसके कारण गंगा में बढ़ते प्रदूषण की जांच करें।

साथ ही अदालत ने उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, देहरादून के जिला मजिस्ट्रेट और सहायक अभियंता, गढ़वाल जल संस्थान, गंगा प्रदूषण नियंत्रण (यूनिट), ऋषिकेश को मामले की जांच करने और शिकायत सही पाए जाने पर उचित उपचारात्मक और निवारक कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया है।

कोर्ट के अनुसार इस मामले में एक माह के अंदर नियमानुसार कार्रवाई की जानी चाहिए। गौरतलब है कि देहरादून के जिलाधिकारी इस मामले में नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करेंगे।

चंदे बाबा तालाब को दूषित कर रहा है लखनऊ में गांवों से निकला सीवेज

लखनऊ में गांवों से निकला घरेलू सीवेज चंदे बाबा तालाब को दूषित कर रहा है। मामला लखनऊ की सरोजिनी नगर तहसील के गढ़ी चुनोती गांव का है। इस बारे में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) द्वारा एकत्र और विश्लेषण किए गए पानी के नमूनों में फीकल कॉलीफॉर्म का स्तर निर्धारित मानदंडों से ज्यादा पाया गया है, जिसके लिए मानव मल को वजह माना गया है।

चंदे बाबा तालाब के कुल क्षेत्रफल के करीब एक चौथाई हिस्से में तालाब में जलकुंभी पाई गई थी, जैसा कि यूपीपीसीबी की 13 जनवरी की रिपोर्ट में कहा गया है। इस तालाब का कुल क्षेत्रफल करीब 36.909 हेक्टेयर है।

साथ ही 22 सितंबर, 2022 को एनजीटी के आदेश पर संयुक्त समिति द्वारा किए निरीक्षण के समय चंदे बाबा तालाब के 36.909 हेक्टेयर क्षेत्र में से 3.1859 हेक्टेयर क्षेत्र में स्थाई और अस्थाई प्राकृतिक आवासों पर अतिक्रमण पाया गया था।

सोने की जांच और हॉलमार्किंग केंद्रों के लिए दिशानिर्देश जारी करेगा पर्यावरण मंत्रालय

भारत के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ और सीसी) ने एनजीटी को अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी है कि मंत्रालय सोने की जांच और हॉलमार्किंग केंद्रों के लिए पर्यावरण मानकों को निर्धारित करने के साथ उनसे होते प्रदूषण में कमी, नियंत्रण और रोकथाम के लिए नीति तैयार करने में लगा हुआ है।

गौरतलब है कि इन मानकों को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी)/प्रदूषण नियंत्रण समितियों (पीसीसी) के माध्यम से लागू किया जाता है। एसपीसीबी/पीसीसी को इन मानकों को लागू करने और उद्योगों द्वारा इनका पालन किया जा रहा है इसपर निगरानी करने की जरूरत है।

गौरतलब है कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पीसीसी को ऐसे सभी उपाय करने के लिए अधिकार दिए गए हैं जो पर्यावरण की सुरक्षा और गुणवत्ता में सुधार के साथ-साथ पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण और कमी के उद्देश्य से आवश्यक या समीचीन समझे जाते हैं।

किसी राज्य अथवा केंद्र शासित प्रदेश में इनकी स्थापना या संचालन के लिए सहमति जारी करना संबंधित प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पीसीसी के अधिकार क्षेत्र में आता है और उन्हें अपने संबंधित राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में प्रदूषण के नियंत्रण और रोकथाम के लिए एमओईएफएंडसीसी द्वारा अधिसूचित मानकों की तुलना में कहीं अधिक कड़े उपायों को अपनाने का अधिकार है।

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