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- न दीवाली न पराली फिर भी उत्तर भारत में जारी है गंभीर वायु प्रदूषण
- इलाज पर खर्च करने के कारण दिवालिया हो रहे हैं अमेरिकी
- केंद्र ने खारिज की उत्तराखंड की डीम्ड फॉरेस्ट की परिभाषा
- स्लम बस्तियों के प्रदूषण से बदल रहा है मौसम का पैटर्न, भारत पर भी असर
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- भोपाल त्रासदी के 35 साल : 20 साल तक -20 डिग्री में सहेजा मृतकों का सैंपल, बाद में फेंकना पड़ा
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भोपाल इज्तिमा में आए तकरीबन 13 लाख लोग, रोजाना चार टन बायो कचरे से बनेगी खाद
देश की सबसे साफ राजधानी भोपाल में हो रहे इज्तिमा में तकरीबन 35 देश से 13 लाख मुस्लिम श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं। इस कार्यक्रम के दौरान साफ-सफाई के विशेष इंतजाम किए गए हैं।
अनाज के कचरे से बन सकता है ईंधन
वैज्ञानिकों ने बनाई सस्ती और सुगम तकनीक जिससे ब्रेवरीज में बचे वेस्ट अनाज को ईंधन में बदल सकते हैं
बायोमास वेस्ट से पूरी हो सकती हैं ऊर्जा और निर्माण संबंधी जरूरतें
वैज्ञानिकों ने बायोमास वेस्ट और उसको जलाने से होने वाले प्रदूषण से निपटने के लिए पर्यावरण के दृष्टिकोण से लाभदायक मार्ग सुझाया है
कानपुर के डंपिंग ग्राउंड में लगी आग, प्रदूषण से हुआ बुरा हाल
कानपुर के भाउपुर में लगभग 25 लाख मीट्रिक टन कूड़े का ढेर पड़ा है, जहां दिवाली की रात से आग लगी है, इस वजह से कानपुर देश का दूसरा प्रदूषित शहर बना हुआ है
उत्तराखंड में एक और शाही शादी ने पर्यावरण संरक्षण पर खड़े किए सवाल
उत्तराखंड के औली में हुई शादी की याद अभी धुंधली नहीं हुई होगी। हरिद्वार में हुई एक और शाही शादी की तस्वीरों ने उत्तराखंड में पर्यावरण संरक्षण को लेकर चल रहे प्रयासों पर सवाल उठने लगे हैं
साॅलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट से लोगों को कैंसर का खतरा
ग्राउंड रिपोर्ट-2 : देहरादून से 30 किमी दूर कचरे के प्रबंधन के लिए बनाया प्लांट काम नहीं कर रहा है, जिससे आसपास रह रहे लोग कैंसर जैसी बीमारी का शिकार हो रहे हैं
कचरे के पहाड़ की वजह से खतरे में है 2 लाख लोगों का जीवन
ग्राउंड रिपोर्ट: देहरादून से 30 किमी दूर कचरे के प्रबंधन के लिए बनाया प्लांट काम नहीं कर रहा है, जिससे आसपास रह रहे 2 लाख लोग नारकीय जीवन जी रहे हैं
कूड़े-कचरे की डंपिंग से पहाड़ों पर त्रासदी को न्यौता
जैसे-जैसे संवेदनशील जगहों पर जोखिम के खेल खेलने का चलन बढ़ रहा है, वैसे-वैसे इन ग्लेशियर्स और ऊंची चोटियों पर कचरे की मौजूदगी और उसके दुष्परिणामों का रुझान आना भी शुरू हो गया है।