एनजीटी ने अपशिष्ट प्रबंधन की ताजा स्थिति पर आंध्र प्रदेश से मांगी रिपोर्ट

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

By Susan Chacko, Lalit Maurya
Published: Friday 18 November 2022

एनजीटी ने आंध्र प्रदेश को 15 अप्रैल, 2023 तक राज्य में अपशिष्ट प्रबंधन की ताजा स्थिति पर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। इस बारे में अदालत ने 17 नवंबर, 2022 को एक आदेश जारी किया है, जिसमें राज्य सरकार को इसपर तत्काल उपाय करने का भी निर्देश दिया है, जो निम्नलिखित मुद्दों का समाधान करेगा:

  1. अनावश्यक व्यय से बचने के लिए बीओडी और फीकल कॉलीफॉर्म की कमी पर नालियों के बायोरेमेडिएशन के प्रभाव का सत्यापन।
  2. जहां तक संभव हो नदियों और अन्य जल स्रोतों में इसके डाले जाने से बचने के लिए उपचारित सीवेज का उपयोग सुनिश्चित करना। साथ ही सीवेज उपचार संयंत्रों (एसटीपी) का सही तरीके से संचालन और रखरखाव तंत्र होना जरूरी।
  3. वर्तमान में बिना प्रोसेस किए ठोस अपशिष्ट को पुराने अपशिष्ट स्थलों के साथ मिश्रित नहीं किया जाना चाहिए। बायो-रेमेडिएशन और बायोमाइनिंग प्रक्रियाओं से निकलने वाले अंशों अथवा घटकों का उचित प्रबंधन किया जाना चाहिए।

सोनभद्र में प्रदूषण फैला रहा है रिहायशी इलाके के पास अवैध रूप से डंप किया जा रहा कोयला

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने  शक्तिनगर में एक आवासीय क्षेत्र कृष्णाशिला रेलवे साइडिंग के पास बड़ी मात्रा में कोयले की जा रही डंपिंग के आरोपों की जांच के लिए एक समिति के गठन का निर्देश दिया है। मामला उत्तरप्रदेश के सोनभद्र का है। इस मामले में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड समन्वय एवं अनुपालन के लिए नोडल एजेंसी होगी। आरोप है कि नॉर्दर्न कोल फील्ड लिमिटेड की 35 बीघा जमीन में एक करोड़ टन कोयला डंप किया गया है।

इतना ही नहीं इस कोयले को बिना किसी अनुमति के डंप किया गया है, जिसे अवैध रूप से कोयला क्षेत्रों से अवैध रूप से ट्रांसपोर्ट किया गया है। इस मामले में आवेदक संदल परवीन ने कहा है कि इससे जल स्रोतों को नुकसान हो रहा है, भूजल दूषित हो रहा है और वायु प्रदूषण भी हो रहा है।

गाजियाबाद में यमुना नदी पर होते अवैध बालू खनन पर एनजीटी ने लगाई रोक

एनजीटी ने उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद जिले के पचयारहा खंड में हो रहे बालू खनन पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। कोर्ट ने गाजियाबाद के जिला मजिस्ट्रेट और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को यह सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने का भी निर्देश दिया है कि संबंधित खनन स्थल में कोई अवैध खनन न हो।

गौरतलब है कि पर्यावरण नियमों को ताक पर रख यमुना नदी तल में 15 से 20 फीट की गहराई तक खनन किए जाने के संबंध में आवेदक ओम पाल द्वारा दायर याचिका के जवाब में अदालत ने यह मामला उठाया था।

इस मामले में न्यायालय के आदेश पर गठित संयुक्त समिति ने 12 जुलाई, 2022 को निरीक्षण के बाद सूचित किया था कि इस क्षेत्र में बाढ़ के कारण खनन बंद कर दिया गया था और फिर शुरू नहीं किया गया है। साथ ही खनन के परियोजना प्रस्तावक पर 69 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। हालांकि इसे अब तक वसूल नहीं किया जा सका है।

फरीदाबाद में हर पेड़ के काटने पर एनजीटी ने लगाया दो लाख का जुर्माना

फरीदाबाद के सराय ख्वाजा गांव में पेड़ों के अवैध रूप से काटे जाने के लिए एनजीटी ने मैसर्स एसवीसी एंड लाहरी पर 10 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। मामला हरियाणा के फरीदाबाद का है, जहां कोर्ट ने दो लाख रुपए हर पेड़ के हिसाब से कुल 10 करोड़ का जुर्माना तय किया है। गौरतलब है कि वहां 500 पेड़ों को अवैध रूप से काटा गया था। 

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि उक्त मुआवजे और वन भूमि को बहाल करने साथ परियोजना प्रस्तावक को मंडल वन अधिकारी (डीएफओ), फरीदाबाद से परामर्श करने के बाद तीन महीने के भीतर काटे गए पेड़ों की एवज में 10 गुना पेड़ लगाने होंगे।

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