जलवायु परिवर्तन से भारत समेत दुनिया भर की एक अरब से अधिक गायों को गर्मी का प्रकोप झेलना होगा: शोध
उत्सर्जन बना रहा तो कई उष्णकटिबंधीय देशों में पशु पालन कठिन हो जाएगा, तेजी से उत्सर्जन में कटौती और मवेशी की संख्या को सीमित ...
हर दस साल में 0.2 डिग्री सेल्सियस की रिकॉर्ड दर से गर्म हो रही है दुनिया, वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी
पेरिस समझौते के तहत तापमान लक्ष्य को बनाए रखने के लिए 2030 तक सीओ2 उत्सर्जन को कम से कम 40 प्रतिशत कम करने और ...
लगातार बढ़ रहा है तापमान, पांचवां सबसे गर्म वर्ष रहा 2022: नासा
वैज्ञानिकों के अनुसार 1880 में आधुनिक रिकॉर्ड रखने शुरू होने के बाद से, पिछले नौ साल सबसे गर्म साल रहे
143 वर्षों के रिकॉर्ड में छठा सबसे गर्म रहा इस साल का अगस्त महीना
जलवायु को लेकर अगस्त में जो नए रिकॉर्ड बने हैं उनमें पाकिस्तान की बाढ़ शामिल थी। जब देश का करीब एक-तिहाई हिस्सा पानी में ...
भारत में जरूरी हो जाएगा एयरकंडीशनर, 2050 तक 23 गुना बढ़ जाएगी संख्या
अनुमान है कि सबसे बदतर हालात में जलवायु परिवर्तन के चलते देश का तापमान 5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है, ऐसे में आज ...
तापमान के 1.5 डिग्री होने पर छोटे ग्लेशियरों का 50 फीसदी हिस्सा होगा गायब :आईपीसीसी रिपोर्ट
रिपोर्ट के मुताबिक कम उत्सर्जन परिदृश्य के तहत पहाड़ों में वर्तमान बर्फ के लगभग आधे हिस्से संरक्षित रहेंगे, जबकि उच्च स्तर दो-तिहाई और 90 ...
इतिहास का पांचवा सबसे गर्म सितम्बर, 2021 में किया गया रिकॉर्ड
इस वर्ष सितम्बर का औसत तापमान बीसवीं सदी के औसत तापमान से 0.9 डिग्री सेल्सियस ज्यादा दर्ज किया गया है
बढ़ते तापमान के कारण वर्षावनों में रहने वाले वन्यजीव खतरे की कगार पर: अध्ययन
जलवायु परिवर्तन के तीव्र होने के कारण प्रजातियां अब उष्णकटिबंधीय जंगलों में जीवित नहीं रह पाएंगी, जिससे वैश्विक विलुप्ति का संकट और बढ़ जाएगा ...
क्या जलवायु परिवर्तन की वजह से बढ़ रहा है मलेरिया का संक्रमण, वैज्ञानिकों ने लगाया पता
शोध के मुताबिक, मच्छर के संक्रामक बनने में लगने वाला समय वातावरण के तापमान पर निर्भर करता है, यह मलेरिया और मच्छर की प्रजाति ...
खतरे में हैं समुद्री तट, बहुत तेजी से बढ़ रही हैं गर्मी व लू के दिनों की संख्या
दुनिया भर के तटीय क्षेत्रों में 2025 से 2049 के बीच हर साल औसतन 38 दिनों की सीएचडब्ल्यूईएसएल स्थिति का होगा अनुभव, जो 1989 ...
अलास्का और हिमालय में ग्लेशियर से बनी झीलों के फटने से बाढ़ के खतरे और बढ़ सकते हैं
दुनिया भर में लगभग 15 लाख लोग झीलों के निचले प्रवाह में रहते हैं, जिनमें एशिया के ऊंचे पहाड़ों में रहने वाले लोग सबसे ...
बढ़ते तापमान के कारण अंटार्कटिका नई चरम घटनाओं की जद में, दुनिया भर में क्या होगा असर?
अंटार्कटिका के ग्लेशियर, समुद्री बर्फ और प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र सभी चरम घटनाओं से प्रभावित हो रहे हैं जो दुनिया भर के लिए खतरे का ...
रिकॉर्ड पर सबसे गर्म सालों में से एक हो सकता है साल 2023: नोआ
जलवायु विशेषज्ञों के मुताबिक, 2023 न केवल असाधारण रूप से गर्म होगा, बल्कि यह एक रिकॉर्ड गर्म साल हो सकता है, साल 2024 के ...
वैश्विक तापमान का 1.5 डिग्री सेल्सियस भी पृथ्वी की तबाही के लिए काफी: वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी
अध्ययन के मुताबिक, गरीब तबके वाले इलाकों में लगभग 20 करोड़ लोगों को असहनीय गर्मी का प्रकोप झेलना पड़ेगा, 50 करोड़ लोग समुद्र स्तरों ...
अंटार्कटिका के ग्लेशियरों से तेजी से पिघल रही है बर्फ, नई रडार तकनीक से चला पता
अंटार्कटिका में समुद्र के ऊपर तैरने वाली सारी बर्फ पिघल जाएगी तो समुद्र का स्तर औसतन 190 फीट बढ़ जाएगा और इससे 26.7 करोड़ ...
अब तक का सबसे गर्म महीना रहा सितंबर 2023, नासा ने किए आंकड़े जारी
नासा के सितंबर 2023 के तापमान के आंकड़ों से पता चलता है कि हर महीने तापमान में लगातार रिकॉर्ड वृद्धि हो रही है
गरीबों में याददाश्त की कमी को बढ़ा कर रही है भीषण गर्मी: अध्ययन
अध्ययन के अनुसार, अत्यधिक गर्मी के संपर्क में रहने से गरीब इलाकों के निवासियों में तेजी से ज्ञान-संबंधी गिरावट आई, लेकिन अमीर इलाकों में ...
खतरे की घंटी: हिमालय में ग्लेशियर से बनी 27 प्रतिशत झीलों का आकार बढ़ रहा है: इसरो
इसरो के मुताबिक, 676 झीलों में से 601 का आकार दोगुने से अधिक हो गया है, जबकि 10 झीलें 1.5 से दो गुना और ...
ग्लोबल वार्मिंग का असर, महासागर में जमा गर्मी एक बार फिर पहुंची रिकॉर्ड स्तर पर
जब तक उत्सर्जन पर पूरी तरह से लगाम नहीं लगेगी, तब तक तापमान का बढ़ना जारी रहेगा और महासागरों में तापमान बढ़ने का रिकॉर्ड ...
ग्रीनलैंड में लगातार बढ़ रहे समुद्र स्तर के कारण दलदल में बदल जाएंगे निचले इलाके: अध्ययन
वर्तमान में गर्म हो रही ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर अपने आयतन का 3.3 प्रतिशत तक बहा देगी, जिससे समुद्र का स्तर 27.4 सेंटीमीटर ...
जलवायु निगरानी में कमी के कारण गर्मी से प्रभावित हुए एक अरब लोग
अधिकांश कच्ची बस्तियां उष्णकटिबंधीय इलाकों में स्थित हैं, यहां साल भर गर्मी और उमस रहती है