बूंद-बूंद बचत, भाग पांच: जैसिंधर गांव - शरणार्थियों ने संजोया जल
गांव में वर्षा से भरपूर जल संचय किया जाता है, यही कारण है कि अब गांव के मवेशी भी इसी अमृत जल को पी रहे ...
अंग्रेजों की नीति पर चलने से तबाह हुए तालाब
आंध्र प्रदेश में कभी तालाबों से सिंचाई होती थी लेकिन सरकारी उपेक्षा और बड़ी परियोजनाओं ने इन्हें बदहाल कर दिया
365 दिन 68 हजार लोगों को पानी दे सकते हैं थर्मल प्लांट
जलसंकट और सूखे के इस दौर में भी देश के तमाम थर्मल पावर प्लांट जल उपभोग सीमा का पालन नहीं कर रहे हैं। न ...
हिमाचल प्रदेश: सरकारी पेयजल परियोजना का क्यों विरोध कर रहे हैं 50 ग्राम पंचायतों के लोग?
ग्रामीणों का आरोप है कि अदाणी समूह की कंपनी अंबुजा सीमेंट के फायदे के लिए यह परियोजना बनाई जा रही है
मिटने लगी हैं पारंपरिक जल संचय प्रणालियां
अंडमान की पारंपरिक व्यवस्थाएं काम नहीं कर रही हैं, अगर उन पर ध्यान दिया जाए तो ये लोगों की पानी संबंधी जरूरतें पूरी कर ...
बिहार: कहां जा रहा है कुओं पर खर्च किया जा रहा पैसा?
बिहार सरकार ने हर कुएं के जीर्णोद्धार पर औसतन 62 हजार करोड़ रुपए खर्च करने का निर्णय लिया है, लेकिन इसके क्या परिणाम निकलेंगे?
क्या 50 लाख साल बाद, जल संकट से होने वाले पलायन से फिर जूझ रही है दुनिया?
लाखों साल पहले पूर्वी अफ्रीका में पड़े सूखे ने हमारे पूर्वजों को जल समृद्ध स्थानों में पलायन के लिए बाध्य कर दिया था। तभी ...
रास्ते हैं, बस चलने की जरूरत
महात्मा गांधी ने कहा था कि हम जैसी दुनिया देखना चाहते हैं, उसी हिसाब से हमें खुद को ढालना होगा। आज की दुनिया में ...
गोकुल का गौरव
कोंकण की पारंपरिक जल संचय विधियां आज भी प्रासंगिक हैं जिन्हें अधिकांश लोगों ने भुला दिया है
उम्मीदों के दीए
प्राचीन काल में राजाओं और प्रधानों द्वारा बनवाए गए तालाब अब भी प्रयोग में हैं लेकिन उनकी हालत बेहद खराब है।
बदलाव से बर्बादी
केरल के कासरगोड जिले की सिंचाई पद्धति में सरकारी दखल के बाद कच्चे बांधों की परंपरा को भारी नुकसान पहुंचा है।
मौसम विज्ञान को चुनौती, यह घड़ा बताता है कि बारिश होगी या नहीं
बीहड़ों में रहनेवाले आदिवासी मौसम विज्ञानियों के पूर्वानुमान पर निर्भर नहीं रहते। इनके पास देसी तरकीब है, जिसका इस्तेमाल ये सदियों से करते आए ...
पाट में झलकती पटुता
पाट प्रणाली के अंतर्गत पहाड़ी से नीचे बहते हुए पानी को खास तरह से सिंचाई-नालों की तरफ मोड़ दिया जाता है
परंपरागत जल प्रणाली का धनी
अहमदाबाद में पानी को जमा रखने के लिए अनेक जलाशय और झील थी। 34 बराबर किनारों वाले कांकरिया तालाब का निर्माण सन 1451 में ...
पानी से घिरे फिर भी प्यासे
शोंपेन आदिवासियों को बुलेटवुड लकड़ी शायद ही कभी मिल पाती है। इसी के चलते लट्ठों से बांधों का बनना भी धीरे-धीरे कम होता जा ...
जल की अग्निपरीक्षा
स्थानीय समुदाय को जल संरचनाओं का स्वामित्व देना, लोकतंत्र को मजबूत करना और शक्तियों का हस्तांतरण। इससे जल का कुप्रबंधन रोका जा सकता है
जल संकट का समाधान: विजयनगर के जल कौशल के अंग्रेज भी थे कायल
दक्षिण भारत के राजाओं ने तालाबों और बांधों की उत्तम व्यवस्था की और स्थानीय लोगों को भी इसके लिए प्रेरित किया
अकेले ही तालाब को किया कचरा मुक्त, अब गांव वाले देते हैं साथ
बिना सरकारी मदद के बाड़मेर के भंवर लाल ने अपने गांव के तालाब की सफाई शुरू की और अब पूरा गांव उनके साथ खड़ा ...
ये दो शहर दुनिया को सिखा रहे बूंदों की संस्कृति
बारिश का पानी बचाकर और सीवेज के पानी को दोबारा उपयोग लायक बनाकर हम भारतीय शहरों की घरेलू पानी की जरूरतों को आसानी से ...
वरदान बना बारिश का पानी
सूखे साल में भी वर्षा जल से 42 परिवारों की पानी की जरूरतें एक साल तक पूरी की जा सकती हैं और धनबाद पानी ...
पीने के पानी पर आफत
शहरीकरण ने तालाबों को बहुत नुकसान पहुंचाया है और पुराने जल मार्ग आज गायब हो गए हैं। चेन्नई शहर में जलापूर्ति की व्यवस्था 1872 में ...
पेड़ हटे, नदियों के रास्ते बंटे
ब्रह्मपुत्र घाटी के प्राकृतिक जल स्रोतों की संरचना अब काफी बदल गई है। पेड़ों के हट जाने से नदियां “आजाद” हो गईं और जहां ...
खत्म हो रही है एक पारंपरिक सिंचाई प्रणाली, कौन है जिम्मेवार
महाराष्ट्र में खेतों तक पानी पहुंचाने वाली यह पारंपरिक व्यवस्था गन्ने की खेती और सरकारी उपेक्षा की कीमत चुका रही है
यहां खुली है खेती की पाठशाला
यह बुंदेलखंड की यात्रा का वृत्तांत है, जो वहां की भौगोलिक सीमाओं में जल संरक्षण के नमूनों की यात्रा के साथ खेती की उस ...
अब वातावरण की नमी से दूर होगी पानी की किल्लत
यह नई तकनीक बिना किसी ऊर्जा के हर दिन कम से कम दो बार पानी का उत्पादन कर सकती है