खास रिपोर्ट: कोयले का काला कारोबार-एक
कोविड-19 लॉकडाउन के बावजूद जून 2020 में कोयले की खानों की नीलामी की प्रक्रिया शुरू हुई, लेकिन इसके पीछे पूरी कहानी क्या है?
ऐतिहासिक अन्याय और वनाधिकार कानून
वनाधिकार कानून लागू करते हुये भारत सरकार की यह स्वीकारोक्ति कि यह कानून 'ऐतिहासिक अन्याय' को समाप्त करने में मील का पत्थर साबित होगा ...
ख्यात पर्यावरणविद सुंदर लाल बहुगुणा का कोरोना संक्रमण के बाद निधन
1981-1983 तक सुंदरलाल बहुगुणा ने हिमालय के पार 5,000 किलोमीटर की एक यात्रा की। इसके बाद तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने हिमालय में पेड़ों ...
मोबाइल फोन सिग्नल की मदद से जंगल की आग से उठने वाले धुंए की मात्रा का लगाया जा सकता है पता
मोनाश विश्वविद्यालय के नेतृत्व में किए शोध के अनुसार मोबाइल फोन सिग्नल और उससे जुड़े डाटा का उपयोग, जंगल की आग से उठते धुंए ...
क्या जंगलों और जैवविविधता को बचाने के लिए संरक्षित क्षेत्र घोषित करना ही है काफी
जंगलों को बचाने के लिए संरक्षित क्षेत्रों का विवेकपूर्ण चयन करने के साथ-साथ, वहां नियमों को भी कड़ाई से लागु किया जाना चाहिए
भारत में पाया गया कैंसर के उपचार में उपयोग होने वाला पौधा
एक अंतरराष्ट्रीय शोध में बताया गया है कि भारत में पाए गए छोटे से पौधे में पाए जाने वाला रसायन, कैंसर की बीमारी को ...
रिजर्व फॉरेस्ट में खनन की ई-नीलामी आदेश से नया संकट
ग्रामीणों का कहना है कि इस आदेश के बाद उनका निस्तार, उनके आसपास का पर्यावरण और वन्य प्राणियों पर संकट खड़ा हो जाएगा
वन (सरंक्षण) संशोधन कानून 2023: देश के लिए वरदान या अभिशाप
सरंक्षण के नाम पर कानून की शक्तियों का केन्द्रीकरण किया जा रहा है। इसमें वही समुदायों को दूर किया जा रहा है, जो कि ...
सुंदरवन में क्यों घट रहा मैंग्रोव का जंगल?
फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, दो साल में सुंदरवन का मैनग्रोव वन 2 वर्ग किलोमीटर घट गया है, इसके लिए मछली ...
हाथियों की मौत के लिए एनएचएआई जिम्मेवार, नहीं बनाया फ्लाईओवर
वन विभाग का कहना है कि हाईवे को चौड़ा करने का काम शुरू होने के बाद हाथी रेलवे ट्रैक की ओर जा रहे हैं
पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना के प्रकाशन पर 7 सितंबर तक रोक
अदालत में दाखिल एक याचिका में कहा गया है कि अधिसूचना का 22 क्षेत्रीय भाषा में अनुवाद होना चाहिए
एसओई इन फिगर्स 2023 : हिमालयी राज्यों में वन संसाधनों का दोहन बड़े पैमाने पर
एसओई रिपोर्ट 2023 में बताया गया है कि देश के 19 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में टिंबर परितंत्र का मूल्य घटा है। जबकि 17 ...
1990 से लेकर अब तक 17.8 करोड़ हेक्टेयर जंगल हो चुके हैं ख़त्म
यदि पृथ्वी पर हर इंसान के हिस्से का हिसाब लगाए तो प्रति व्यक्ति के हिसाब से 0.52 हेक्टेयर जंगल बाकी हैं
अनिल अग्रवाल डायलॉग 2020: अंग्रेजों के जमाने के वन कानून से परेशान होते रहे हैं वनवासी
भारत के वन कानून जंगलों को आमदनी का जरिया मानते हुए इसपर निर्भर रहने वाले वनवासियों के साथ अपराधी जैसा व्यव्हार करती है
जंगलों को बचाने की कुंजी हैं उसके मूल निवासी
आज भी धरती के बचे 36 फीसदी बचे अनछुए जंगल उसके मूल निवासियों द्वारा ही संजो कर रखे गए हैं
भारतीय वन अधिनियम का पहला संशोधन मसौदा तैयार
संरक्षण और जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखकर तैयार मसौदा प्रतिक्रिया के राज्यों के पास भेजा गया है
मध्य प्रदेश में नहीं मिल सके 58 दिनों में सामुदायिक संसाधनों के अधिकार
मध्य प्रदेश सरकार ने 15 नवंबर तक 19158 गांवों को वनाधिकार देने का वादा किया था, लेकिन किसी भी गांव को अधिकार नहीं दिया गया
भारत में पेड़ों की 469 प्रजातियों पर मंडरा रहा है विलुप्त होने का खतरा
देश में पेड़ों की 2,603 प्रजातियों में से 18 फीसदी (469) पर विलुप्ति का खतरा मंडरा रहा है। वहीं वैश्विक स्तर पर केवल 41.5 ...
वनीकरण से 15 प्रतिशत तक कम हो सकता है घटता जल स्तर
दुनिया भर के सतही जल में लगभग 53 प्रतिशत की वृद्धि के लिए वाष्पीकरण की तुलना में अधिक वर्षा का होना था।
भारत में जल, जंगल, जमीन के लिए एक दशक में 79 पर्यावरण प्रहरियों की हुई हत्या
वहीं 2012 से 2021 के बीच दुनिया भर में 1,733 पर्यावरण कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गई थी, क्योंकि वो अपने पर्यावरण को बचाने ...
पेड़ों की 17,510 प्रजातियों पर मंडरा रहा है विलुप्ति का खतरा, जानिए क्यों जरूरी है बचाना
दुनिया में पेड़ों की 58,497 प्रजातियों में से करीब एक तिहाई पर विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है
टिप्पिंग पॉइंट पर पहुंचा अमेजन के जंगलों का 26 फीसदी हिस्सा, मूल निवासियों पर टिकी उम्मीदें
रिपोर्ट की मानें तो 2025 तक अमेजन के 80 फीसदी हिस्से को संरक्षित करना संभव है, लेकिन इसके लिए वहां रहने वाले मूल निवासियों ...
उत्तराखंड: अप्रैल के 30 दिनों में ही वनाग्नि की 1653 घटनाएं, 2708 हेक्टेयर जंगल प्रभावित
अप्रैल में गर्मी और बारिश न होने के कारण उत्तराखंड में जंगलों में आग लगने की घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि हुई
अप्रैल में उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने की घटनाओं में तीन गुणा वृद्धि
15 फरवरी से 1 अप्रैल तक राज्य के वनों में कुल 154 अग्नि घटनाएं दर्ज हुई थीं। जबकि अप्रैल के इन 12 दिनों में ...
आवरण कथा: कैसे बच सकते हैं जंगल, क्या हो एजेंडा
हमें पांचवीं पीढ़ी के वन सुधारों की आवश्यकता है जो वनों के विकास और आजीविका को सुरक्षित करेंगे