डाउन टू अर्थ विश्लेषण: पश्चिमी राजस्थान में मई-जून की भारी बारिश कितने आ सकती है काम

राजस्थान के सूखे माने जाने वाले इलाकों में मई और जून में असामान्य व अप्रत्याशित वर्षा रिकॉर्ड हुई

By Pradeep Kumar Mishra
Published: Friday 08 September 2023
पश्चिम राजस्थान के गांवों के खेतों में इन दिनों बारिश के कारण पानी भर गया है। इसलिए यह पानी खेतों की मेड़ों के पार बने डिग्गी में धीरे-धीरे जा कर जमा हो रहा है (फोटो: अनिल अश्विनी शर्मा)

पश्चिमी राजस्थानी के जिले स्वभाव से सूखे और रेगिस्तानी होते हैं, लेकिन मॉनसून 2023 के पहले दो महीनों मई-जून में इन जिलों में जबरदस्त बारिश हुई। पश्चिमी राजस्थान के कुल दस जिलों में राज्य में होने वाली कुल वर्षा से डेढ़ गुना अधिक बरसात हुई। यह बीते 100 सालों में सर्वाधिक वर्षा का रिकॉर्ड है, जिसने ग्रामीणों के लिए वर्षा जल संचय की संभावनाओं के असीम द्वार खोल दिए हैं। ग्रामीणों ने इस वर्षा जल को कितना सहेजा यह जानने के लिए अनिल अश्विनी शर्मा ने राज्य के चार जिलों के 8 गांव का दौरा किया और देखा कि कैसे ये जिले अप्रत्याशित वर्षा की चुनौतियों को अवसर में बदल रहे हैं। अब तक आप ब्यावर जिले के सेंदरा गांव गांव बर  , गांव रुपावास गांव  पाकिस्तान से सटे चंदनियाजैसिंधररामसरमधासर  और सावंता  की ग्राउंड रिपोर्ट पढ़ी। अब पढ़ें, डाउन टू अर्थ का ओवरऑल विश्लेषण-  

इस साल मई और जून सबसे ज्यादा बारिश वाले महीने रहे। भारतीय जल संसाधन सूचना पोर्टल (www.indiawris.gov.in) के आंकड़ों के अनुसार, राजस्थान के पश्चिमी जिलों में मई और जून 2023 के महीने में वार्षिक औसत की 70 प्रतिशत वर्षा हुई है। जिलों की बात करें तो, बाड़मेर में 270.9 मिमी बारिश हुई, जो वार्षिक औसत बारिश (261 मिमी) का 104 प्रतिशत है, जबकि जालोर में 467.2 मिमी बारिश हुई, जो वार्षिक औसत (438.1 मिमी) का 107 प्रतिशत है।

इसी प्रकार, पाली में मई और जून 2023 के दौरान वार्षिक औसत का 92 प्रतिशत बारिश हुई। नागौर, जोधपुर, जैसलमेर, बीकानेर, चूरू, हनुमानगढ़ एवं श्री गंगानगर में मई और जून 2023 के महीनों में वार्षिक औसत की 69, 68, 64, 55, 45, 43 और 41 प्रतिशत वर्षा हुई है।

इन जिलों में वर्षा में वृद्धि के साथ, वर्षा जल के संचयन की भारी संभावना है। वर्षा जल का संचयन भूजल पुनर्भरण, घरेलू उपयोग और अन्य कृषि उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है। राजस्थान के इन शुष्क जिलों में वर्षा जल संचयन की बड़ी संभावनाओं का उपयोग किया जाएगा। राजस्थान परंपरागत रूप से वर्षा जल का उपयोग पीने, नहाने और मवेशियों के उपयोग के लिए करता रहा है। इन जिलों में भारी वर्षा के कारण सभी पारंपरिक जलाशय अपनी क्षमता तक भर गए हैं।

मई और जून 2023 के महीनों के लिए कुल वर्षा जल संचयन क्षमता उल्लेखनीय है। चूंकि जिलों का भूविज्ञान और मिट्टी का प्रकार मिश्रित है, इसलिए अपवाह गुणांक (C) 0.5 माना गया है। अपवाह गुणांक वह रूपांतरण कारक है, जो भूमि आवरण, मिट्टी के प्रकार और भूविज्ञान के आधार पर वर्षा के उस प्रतिशत को बताता है जो अपवाह में परिवर्तित हो जाएगा।

संचय की अपार संभावना

बाड़मेर में मई और जून 2023 के महीने में क्रमशः 27 मिमी और 243 मिमी वर्षा हुई है, जिससे कुल 3,845 मिलियन क्यूबिक मीटर (38 सौ अरब लीटर) की वर्षा जल संचयन क्षमता पैदा हुई है। 2011 की जनगणना के अनुसार, बाड़मेर जिले की जनसंख्या 2,603,751 है। प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 55 लीटर पानी की आवश्यकता के अनुसार, बाड़मेर को एक वर्ष के लिए अपनी आबादी के लिए 52 अरब लीटर पानी की आवश्यकता होती है। यदि संपूर्ण संभावित वर्षा जल संचयन का उपयोग किया जाता है, तो इस क्षमता का केवल 1.35 प्रतिशत ही पीने के पानी की आवश्यकता को पूरा कर सकता है। शेष पानी का उपयोग सर्दियों की फसलों की सिंचाई और भूजल पुनर्भरण के लिए किया जा सकता है।

जालोर जिले की कुल वर्षा जल संचयन क्षमता 2485.50 मिलियन क्यूबिक मीटर (2485 अरब लीटर) है। जिले का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 10,640 वर्ग किलोमीटर या 1,064,000 हेक्टेयर (www.agricoop.nic.in) है। यदि जिले में सिंचाई की औसत गहराई 40 सेमी रखकर गेहूं की खेती की जाए तो जिले की वर्षा जल संचयन क्षमता से 621 हजार हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जा सकती है, जो जालोर जिले के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 58 प्रतिशत है।

मई और जून 2023 में नागौर में औसत वार्षिक वर्षा का 69 प्रतिशत प्राप्त हुआ है। जिले की वर्षा जल संचयन क्षमता लोगों की पीने के पानी की जरूरतों को पूरा कर सकती है। जिले की कुल आबादी 3,307,743 है, जिसे घरेलू जरूरतों के लिए सालाना 66 अरब लीटर पानी की जरूरत होती है। वर्षा जल की क्षमता का केवल 3 प्रतिशत ही इस आवश्यकता को पूरा कर सकता है। इसके अतिरिक्त, 40 सेमी की सिंचाई गहराई के साथ गेहूं की फसल को उदाहरण के रूप में लेते हुए, वर्षा जल क्षमता से सिंचित होने वाला कुल क्षेत्र 621 हजार हेक्टेयर है, जो नागौर जिले के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 35 प्रतिशत है।

यदि सभी 10 जिलों की कुल वर्षा जल संचयन क्षमता पर विचार किया जाए, तो यह 21,650 मिलियन क्यूबिक मीटर आती है। इन 10 जिलों का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 19.5 मिलियन हेक्टेयर है। अनुमान है कि वर्ष 2023 के मई एवं जून माह में हुई वर्षा से कुल वर्षा जल संचयन क्षमता से 54 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जा सकती है।

ग्राफ से स्पष्ट है कि पाली जिले में कृषि योग्य क्षेत्रफल से अधिक सिंचाई क्षमता है। पानी को लंबे समय तक संग्रहित कर उपयोग में लाया जा सकता है।



लबालब तालाब

एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू भंडारण संरचनाओं में वर्षा जल का भरना है। इन 10 जिलों में कुल 15,235 गांव हैं (www.census2011.co.in). एक सामान्य आकार का तालाब जिसका शीर्ष क्षेत्रफल 20 मीटर x 20 मीटर (लंबाई x चौड़ाई), निचला क्षेत्रफल 14 मीटर x 14 मीटर और गहराई 3 मीटर है, उसकी कुल क्षमता 880 घन मीटर होगी (झारखंड सरकार द्वारा पत्र के माध्यम से सुझाया गया है - क्रमांक जे-11016/11/2012-मनरेगा-IV दिनांक 16 फरवरी 2016)। प्रत्येक गांव में कम से कम एक तालाब को ध्यान में रखते हुए, 10 जिलों में कुल मिलाकर 15,235 तालाब हैं।

मई और जून 2023 की वर्षा से उत्पन्न वर्षा जल संचयन क्षमता की मात्रा के साथ, 880 घन मीटर क्षमता के 24 मिलियन से अधिक तालाबों को कम से कम एक बार भरा जा सकता है और यह कुल तालाबों की संख्या का 1,832 गुना है (यदि पश्चिमी राजस्थान के प्रत्येक जिले के प्रत्येक गांव में अनुमानित न्यूनतम एक तालाब के अनुसार)।

वर्षा जल पश्चिमी राजस्थान के लिए एक वरदान साबित हो सकता है। पुरानी जल संरचनाएं इस इलाके को इतना पानी दे सकती हैं जिससे रेगिस्तान में भी हरियाली आ सकती है।

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