यहां जानिए क्या 2023 एक सूखा वर्ष होगा?

डेटा के विश्लेषण से कोई सुसंगत पैटर्न नहीं पता चलता है, फिर भी सूखा वर्ष कहलाने से बचने के लिए 2023 में सितंबर में 154 मिलीमीटर से कुछ अधिक वर्षा या सामान्य वर्षा का 92 प्रतिशत की आवश्यकता होगी।

By Pulaha Roy, Vivek Mishra
Published: Friday 01 September 2023
In the last 123 years, there have been 14 instances or years when the monsoonal deficiency threshold has been over -10 percent. Photo: iStock

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने अगस्त, 2023 को आधिकारिक तौर पर पिछले 123 वर्षों का सबसे सूखा अगस्त घोषित किया है। मानसून के खत्म होने में अब सिर्फ सितंबर का महीना बाकी है। लेकिन सवाल उठ रहा है कि क्या 2023 का मानसून एक सूखा वर्ष होगा?

मानसून फोरकास्टिंग को ध्यान में रखते हुए डाउन टू अर्थ (डीटीई) ने दो स्थितियों में अपनी गणना की है। पहली स्थिति में गणना यह बताती है कि सूखे की स्थिति को टालने के लिए सितंबर महीने में कितनी बारिश होनी चाहिए? वहीं दूसरी स्थिति में 2023 मानसून सीजन को सामान्य रहने के लिए सितंबर में कुल कितनी वर्षा की आवश्यकता है? 

आईएमडी रिकॉर्ड्स के मुताबिक इस बार जून और अगस्त में वर्षा सामान्य से बेहद कम हुई है। मसलन , जून में सामान्य से -9 फीसदी और अगस्त में सामान्य से -36 फीसदी कम वर्षा रिकॉर्ड की गई है। इसकी भरपाई सितंबर में मुमकिन नहीं दिखाई दे रही,  तो क्या हम सूखे की स्थिति में पहुंच जाएगे?

आईएमडी के मुताबिक सितंबर महीने में सामान्य औसत वर्षा 167.9 मिलीमीटर (एमएम) है। पहली गणना के मुताबिक सूखे की स्थिति को टालने के लिए पूरे महीने कम से कम 92 फीसदी यानी 154.54 एमएम वर्षा होनी चाहिए। यदि 154.54 एमएम से कम वर्षा होती है तो 2023 को सूखे की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। 

अब दूसरी गणना जो कि मानसून के सामान्य होने की संभावना को समझाती है।  

 

मानसून में सामान्य वर्षा के लिए जरूरत

मानसून सीजन में कुल औसत सामान्य वर्षा 868.6 एमएम है, जबकि इस सीजन के तीन महीनों में यानी जून से अगस्त तक कुल वर्षा 627.2 एमएम रिकॉर्ड की गई। यानी मानसून सीजन में सामान्य वर्षा के लिए सितंबर के सामान्य औसत वर्षा का कम से कम 123 फीसदी (206 एमएम वर्षा ) की जरूरत है। 123 फीसदी से कम वर्षा होने पर इस सीजन को सामान्य से कम वर्षा करार दिया जाएगा। 

आईएमडी के मुताबिक मानसून में कुल 96 फीसदी वर्षा सामान्य है। इससे कम वर्षा "सामान्य से कम" और 90 फीसदी से कम डिफिशिएंट यानी सूखा माना जाएगा।  

भारत मौसम विज्ञान विभाग ने सितंबर में बारिश 'सामान्य' रहने का अनुमान लगाया है। हालांकि, यूनाइटेड किंगडम के रीडिंग विश्वविद्यालय के जलवायु वैज्ञानिक अक्षय देवरस के अनुसार, संभावनाएं धूमिल दिखती हैं। उनके अनुसार “आगे सामान्य मानसूनी बारिश की संभावना कम है। भारत के पश्चिमी, दक्षिणी, दक्षिण मध्य और उत्तरी हिस्सों में सामान्य से कम बारिश होने की संभावना बढ़ गई है।''

तो वर्तमान स्थिति कितनी चिंताजनक है? डीटीई ने वर्तमान स्थिति की तुलना पिछले 123 वर्षों के अन्य सूखे वर्षों से की।

सूखा वर्ष वह होता है जब मानसून की वर्षा 1971 से 2020 के दीर्घकालिक वर्षा औसत से 10 प्रतिशत कम होती है। पिछले 123 वर्षों में ऐसे 14 उदाहरण या वर्ष रहे हैं जब मानसून की वर्षा सामान्य की तुलना में 10 फीसदी से कम रही है।

इन 14 सूखे वर्षों में से 10 अल नीनो वर्ष भी थे। ऐसा माना जाता है कि अल नीनो सूखे को बढ़ाता है।  2023 भी एक अल नीनो वर्ष है।

अल नीनो और ला नीना उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में आवर्ती जलवायु पैटर्न के गर्म चरण और ठंडे चरण हैं जिन्हें अल नीनो-दक्षिणी दोलन कहा जाता है। ला नीना का तीन साल का दौर 2023 में समाप्त हुआ और अल नीनो ने इसके आगमन की घोषणा की।

डेटा के विश्लेषण से कोई सुसंगत पैटर्न नहीं पता चलता है, फिर भी सूखा वर्ष कहलाने से बचने के लिए 2023 में सितंबर में 154 मिलीमीटर से कुछ अधिक वर्षा या सामान्य वर्षा का 92 प्रतिशत की आवश्यकता होगी।

आईएमडी ने कहा है कि मौसमी गतिवधियां फेवरेबल हैं जो वर्षा को सितंबर में बढ़ा सकती हैं। इनमें  इंडियन ऑसियन डाइपोल (आईओडी) का सकारात्मक होना, मैडेन-जूलियन ऑसिलेशन (एमजेओ) का अनुकूल होना शामिल है।  

लेकिन देवरस के अनुसार सामान्य मानसून की संभावना नहीं है। उन्होंने कहा, "मुख्य रूप से पूर्वी भारत में केवल कुछ क्षेत्रों में सामान्य से अधिक बारिश होने की उम्मीद है, इसलिए बारिश का वितरण एक बार फिर से विषम होने की संभावना है।"

देवरस ने कहा कि एमजेओ से संभावित लाभ महीने में कुछ दिनों तक ही सीमित रहेगा। सितंबर के पहले सप्ताह में मॉनसून कम दबाव प्रणाली के विकास में दोलन की भूमिका निभाने की संभावना है, जिससे भारत के पूर्वी और मध्य भागों में बारिश होने की उम्मीद है।

देवरस के मुताबिक “सकारात्मक आईओडी आम तौर पर भारत के पश्चिमी तट के साथ-साथ पश्चिमी भागों में वर्षा को बढ़ाता है, लेकिन आईएमडी का लंबी दूरी का पूर्वानुमान इन क्षेत्रों में सामान्य से कम वर्षा की ओर इशारा कर रहा है। इसलिए सकारात्मक आईओडी से सितंबर 2023 के दौरान मानसून में मदद मिलने की संभावना नहीं है।''

लेकिन देवरस ने 2023 को बाहरी तौर पर सूखा वर्ष कहे जाने पर चेतावनी व्यक्त की।

उन्होंने कहा, "यह देखते हुए कि सितंबर की शुरुआत से लेकर मध्य सितंबर तक बारिश में कुछ सुधार होगा, हमें जून से सितंबर तक बारिश की कमी का सटीक अनुमान लगाने के लिए सितंबर के मध्य तक इंतजार करना होगा।"

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